भारतीय वैज्ञानिकों की अंतरिक्ष में ऊंची उड़ान.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

आजादी के बाद कई क्षेत्र ऐसे थे, जिनमें अपने पैरों पर खड़ा होना देश के लिए बड़ी चुनौती थी। अंतरिक्ष भी इनमें से एक था, लेकिन श्रम और समर्पण के दम पर विज्ञानियों ने न सिर्फ इस चुनौती को आसान किया बल्कि भारत को दुनिया के प्रभावी देशों की पंक्ति में ला खड़ा किया..

केरल के चर्च में चलता था कार्यालय : आजादी के बाद सरकार के लिए मूलभूत जरूरतों की पूर्ति सबसे अहम थी, इसलिए अंतरिक्ष की दिशा में हमने काम थोड़ी देर से शुरू किया। यह दिलचस्प है कि केरल के तिरुअनंतपुरम के थंबा गांव स्थित सेंट मैरी मैगडेलेन चर्च भारत के शुरुआती अंतरिक्ष कार्यक्रमों का मुख्य कार्यालय हुआ करता था। हालांकि, अब यह स्पेस म्यूजियम बन चुका है।

1962 में हुई थी पहल : 16 फरवरी, 1962 को परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत इंडियन नेशनल कमेटी फार स्पेस रिसर्च (इंकोस्पार) का गठन हुआ। इसने थुंबा इक्वाटोरियल राकेट लांचिंग स्टेशन (टीईआरएलएस) की स्थापना के लिए काम शुरू किया। 1 जनवरी, 1965 को थुंबा में स्पेस साइंस एंड टेक्नोलाजी सेंटर (एसएसटीसी) स्थापित हुआ।

इसरो की पड़ी नींव : अंतरिक्ष मिशन को व्यवस्थित रूप देने के लिए 15 अगस्त, 1969 को परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का गठन हुआ। इसका श्रेय महान विज्ञानी डा. विक्रम साराभाई को जाता है। 1 अप्रैल, 1975 को इसरो सरकारी संगठन बन गया। 19 अप्रैल, 1975 को इसरो ने पहले भारतीय उपग्रह आर्यभट्ट को लांच किया। दिलचस्प बात यह है कि विज्ञानी राकेट को लांच करने के लिए उसके हिस्सों को साइकिल और बैलगाड़ी पर लादकर ले जाया करते थे। विज्ञानियों ने देश के पहले राकेट को लांच करने के लिए नारियल के पेड़ को लांचिंग पैड बनाया था।

पहला स्वदेशी उपग्रह : मुश्किल दौर में डा. विक्रम साराभाई ने जिस अंतरिक्ष मिशन के पौधे की नींव रखी थी, उसे महान विज्ञानी और देश के पूर्व राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम ने सींचकर फलदार वृक्ष बना दिया। 18 जुलाई, 1980 को एसएलवी-3 लांच किया गया। इस प्रोजेक्ट के डायरेक्टर डा. कलाम थे।

पहले प्रयास में मंगल तक पहुंचने वाला देश : पांच नवंबर, 2013 को छोड़ा गया मंगलयान 24 सितंबर, 2014 को मंगल की कक्षा में स्थापित हो गया। इससे भारत पहले ही प्रयास में मंगल तक पहुंचने वाला पहला देश बन गया। इससे पहले सोवियत रूस, अमेरिका व यूरोप मंगल तक पहुंचे थे, लेकिन उन्हें यह सफलता पहली बार में नहीं मिली थी। अब भारत गगनयान के जरिये अगले वर्ष तक चंद्रमा पर मानव को भेजने की तैयारी में जुटा हुआ है।

अंतरिक्ष कारोबार में रफ्तार : भारत अब उन देशों में शुमार है जो दूसरे देशों की सेटेलाइट का प्रक्षेपण करते हैं। अब तक 38 देशों की 328 सेटेलाइट अंतरिक्ष में भेजी जा चुकी हैं। कम व मध्यम आय वाले देशों के लिए भारत आशा की नई किरण बनकर सामने आया है। अपना देश प्रौद्योगिकी के मामले में विश्वसनीय और किफायती विकल्प साबित हो रहा है।

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