पुस्तक ‘भोजपुरियत के थाती’ हमरो मिल गइल। एकर लेखक बानी श्री प्रमोद कुमार तिवारी— राजेश भोजपुरिया
प्रकाशक:- साहित्य विमर्श प्रकाशन,गुरुग्राम,हरियाणा। संस्करण:- प्रथम,2021।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
एह किताब के लेखक द्वारा दूगो खंड में बाँटल गइल बा। पहिला खंड नेंव के ईंट में भोजपुरी के पहिचान दिआवे वाला भोजपुरिया पुरखा-पुरनिया लोगन के बारे में विस्तार से बात राखल गइल बा आ दोसरा खंड में कुछ प्रमुख किताबन से बतकही करत विषय के राखल गइल बा।जेकर चर्चा कइल जरूरी होई।
खंड एक- नेंव के ईंट में जवना पुरखा-पुरनिया के चर्चा बा ओह में- जगावेवाला गुरु गोरखनाथ आ भोजपुरी, भोजपुरी आ कबीर,कवना समाज के हीरो हउअन रैदास?, भाषा के सामंतवाद आ तेग अली के तीखा तेग, किंवदंती बने बदे मजबूर महेंदर मिसिर, भारत देशवा के अमर गायक रघुवीर नारायण, भिखरी ठाकुर के नाटक आ भोजपुरी समाज, भोजपुरिया माटी के पहिचान:शैलेन्द्र के बारे में प्रमुखता से बा।एह विषय पर एगो लमहर चर्चा-परिचर्चा हो सकत बा,जवन जरूरी भी बा।भोजपुरी के नेंव के ईंट राखे में एह पुरखा-पुरनिया लोगन के अहम योगदान बा।
दोसरका खंड में किताब से बतकही के विषय राखल गइल बा,जवना में – भोजपुरी के ताकत क सनदि(जेहल के सनदि), बाबा निबिया के पेड़ जनि काटेउ निबिया चिरइया बसेर(भोजपुरी के करुण रस), तोहिं के बेंची धनि भइसीं ले आइब(भोजपुरी संस्कार गीत),भोजपुरिया शास्त्रीयता के पोढ़ प्रमाण(भोजपुरी भाषा आ साहित्य), देही पर ना लत्ता,पान खाये अलबत्ता(भोजपुरी लोकोक्तियां), भोजपुरियत के जीत के कहानी ‘बिंदिया’, लोहा चबाई के नेवता बा,सेनहुर पोछवाई के नेवता बा(कुँवर सिंह) प्रमुख बा।एह खंड में भी किताब से बतकही करत प्रमुख विषयन के राखल गइल बा जवना पर चर्चा-परिचर्चा जरूरी बा।
एह किताब में जवन तथ्य भा कथ्य के विवेचन कइल गइल बा सराहनीय बा। आठ गो अइसन व्यक्तित्व के चर्चा विस्तार से कइल बा जेकरा से भोजपुरी के पहिचान मिलल आ सात गो अइसन किताबन से संवाद बा जवन भोजपुरी साहित्य के पहिचान दिहलस। एह सब विषयन पर लेखक के गम्भीराह कलम चलल बा। सब विषय साचहूँ भोजपुरियत के थाती बा, जानकारी से भरल बा।
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