शीतकालीन ओलंपिक में रूस और यूक्रेन तनाव का साया.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यूक्रेन और रूस के तनातनी के बीच बीजिंग में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक पर भी राजनीति शुरू हो गई है। अमेरिका समेत पश्चिम के कई मुल्‍क बीजिंग में होने वाले शीतकालीन ओलंपिक का बहिष्‍कार कर रहे हैं। इस विरोध के बीच पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अगले सप्‍ताह बीजिंग ओलंपिक के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए चीन की यात्रा पर जा रहे हैं।

अमेरिका और पश्चिम मुल्‍क ने शुरू से ही आयोजन का विरोध कर रहे है। चीन में शीतकालीन ओलंपिक पर सियासत शुरू हो गई है। यूक्रेन और रूस के बीच शुरू हुई जंग का असर शीतकालीन ओलंपिक पर पड़ेगा। इसके क्‍या दूरगामी परिणाम होंगे।

ओलंपिक खेलों की भव्यता पर पड़ेगा असर

प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि अमेरिका और उसके मित्र देशों के राजनयिक बहिष्कार से शीतकालीन ओलंपिक खेलों की भव्यता प्रभावित हो सकती है। अमेरिका के इस बहिष्‍कार के ऐलान से उसके खिलाड़‍ियों के खेलों में हिस्‍सा लेने पर रोक नहीं लगेगी। अमेरिका वर्ष 2028 में लास एंजिलिस में ओलंपिक का आयोजन करने जा रहा है। इस ऐलान के बाद अब सवाल उठने लगा है कि चीन कैसे अमेरिका को जवाब देगा। चीन का दावा है कि वह खेल के राजनीतिकरण का विरोध करता है, लेकिन वह खुद भी अमेरिकी खेल संघों को दंडित कर चुका है।

कई देशों ने की बहिष्कार की घोषणा

बता दें कि शीतकालीन ओलंपिक चार से 20 फरवरी तक चीन में होंगे, जिसके बाद पैरालंपिक शीतकालीन खेल 4 से 13 मार्च तक चलेंगे। चीन के कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर अमेरिका एवं ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों ने इन आयोजनों के राजनयिक बहिष्कार की घोषणा की है। चीन ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक में वैश्विक नेताओं की मौजूदगी के लिए जबर्दस्त कूटनीतिक मुहिम छेड़ रखी है।

अमेरिका , यूरोपीय संघ और कई पश्चिमी देशों ने घोषणा कर रखी है कि शिविरों में लाखों उइगर मुसलमानों को रखने समेत झिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघनों को प्रमुखता से उजागर करने के लिए उनके राजनयिक कार्यक्रम में नहीं पहुंचेंगे। हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, एवं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस समेत कई वैश्विक नेता इस आयोजन के उद्घाटन में भाग लेने वाले हैं।

यूक्रेन सीमा पर एक लाख सैनिक तैनात

यूक्रेन सीमा पर एक लाख सैनिक, मिसाइलें, टैंक और युद्धक वाहन तैनात करने के बाद पहली बार रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने चुप्‍पी तोड़ी है। राष्‍ट्रपति पुतिन ने कहा कि अमेरिका और नाटो देशों ने यूक्रेन के साथ चल रहे गतिरोध पर रूस की मुख्‍य सुरक्षा मांगों का निपटारा नहीं किया है। यूक्रेन संकट शुरू होने के कई सप्‍ताह बाद पहली बार पुतिन ने फ्रांसीसी राष्‍ट्रपति इमैनुअल मैक्रां के साथ फोन पर बातचीत के दौरान अपनी अपनी मांग दोहराई। पुतिन का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब रूस की ओर से यूक्रेन की जोरदार घेराबंदी के बाद अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने पूर्वी यूरोप में अतिरिक्‍त सेना को भेजने का ऐलान किया है।

आमने-सामने नाटो देश और रूस

उधर, रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन ने नाटो देशों से कहा है कि शीत युद्ध के जमाने के इस संगठन का विस्‍तार करने से बचा जाए। रूस की सीमा के पास आक्रामक हथियार को तैनात नहीं किया जाए। रूस यह भी गारंटी चाहता है कि यूक्रेन को स्‍थाई रूप से नाटो का सदस्‍य बनने से रोक दिया जाए। अमेरिका और नाटो रूस की मुख्य मांगों पर किसी भी तरह की रियायत को दृढ़ता से खारिज कर चुके हैं।

उधर, अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने चेतावनी दी है कि रूस फरवरी में यूक्रेन पर हमले की योजना बना रहा है। इस बीच, नाटो ने भी ऐलान किया है कि वह बाल्टिक सागर क्षेत्र में अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा रहा है। अमेरिका ने यूरोप में संभावित तैनाती के लिए 8,500 सैनिकों को अलर्ट रहने का आदेश दिया है।

चीन ने कहा अमेरिका के आरोप निराधार

अमेरिका के इस कदम पर चीन ने कहा था कि अमेरिका ने तथाकथित बंधुआ मजदूर और नरसंहार के बारे में चीन पर झूठे आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बाइडन प्रशासन द्वारा लगाए गए अन्य आरोप निराधार हैं।

उन्होंने कहा कि मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूं कि शीतकालीन पैरालंपिक और ओलंपिक खेल दुनिया भर के खिलाड़ियों के लिए खेल का एक मंच हैं। प्रवक्ता ने कहा कि इसका राजनीतिकरण ओलंपिक आंदोलन और सभी एथलीटों के हितों को सिर्फ नुकसान पहुंचाएगा। हमें विश्वास है कि संयुक्त प्रयासों से हम निश्चित रूप से विश्व के सामने सुव्यवस्थित, शानदार और सुरक्षित खेल पेश करेंगे और ओलंपिक खेलों को आगे बढ़ाएंगे।

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