मां-बाप ने बिना कन्यादान किये सौंप दी बेटी, महिला पंडित ने कराई ये अनोखी शादी, जानें क्या है पूरा मामला
श्रीनारद मीडिया, सेंट्रल डेस्क:
हिन्दू धर्म में विवाह समेत सभी मांगलिक कार्य पंडित द्वारा संपन्न कराए जाते हैं. हिन्दू रीति-रिवाजों से होने वाली शादी में पिता अपनी बेटी का कन्यादान करता है. ये पारंपरिक तौर-तरीके हैं जो सदियों से चले आ रहे हैं. लेकिन अब जमाने और समाज होने वाले बदलाव से सोच भी बदल रही है.
पश्चिम बंगाल में हुई एक शादी महिला पंडित की मौजूदगी में हुई और इस विवाह में कन्यादान नहीं हुआ. महिला पंडित ने वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ वर-वधु को सात फेरे दिलवाएं और सभी रस्में पूरी कराईं.
उत्तरी परगना के चंदनपारा में रहने वाले वैद्य परिवार ने अपनी बेटी का कन्यादान नहीं किया. इसके जरिए परिवार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि बेटियां कोई वस्तु नहीं जिनका दान किया जाए इसलिए उन्होंने विवाह की रस्म में से कन्यादान को हटा दिया.
हमारे समाज में विवाह के दौरान कन्यादान की रस्म सालों से चली आ रही है जिसे इस परिवार ने तोड़कर समाज को एक नया संदेश देने का प्रयास किया है.
चंदनपारा के वैद्य परिवार में हुई यह शादी अपने आप में बेहद अनोखी रही. क्योंकि यहां हिन्दू धर्म में विवाह को लेकर किए जाने वाले कुछ रीति-रिवाजों का पालन नहीं किया गया. मैरिज हॉल मे मंडप के नीचे पुरुष पंडित होने के बजाय एक महिला पंडित दिखी. जिन्होंने मंत्रों के बीच यह शादी संपन्न कराई. विवाह के अंतिम पल में इस परिवार ने बेटी का कन्यादान नहीं किया.
हालांकि पश्चिम बंगाल में यह पहली बार नहीं हुआ है जब पुरुष प्रधान रिवाजों को तोड़ा गया है. इससे पहले पिछले साल महिलाओं के एक समूह ने लैंगिक समानता को लेकर आवाज उठाई थी. दरअसल भारत में महिला पंडित बहुत कम देखने को मिलती है क्योंकि हिन्दू धर्म में इसे लेकर कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन बंगाल में दुर्गा पूजा के अवसर पर 4 महिलाओं ने सालों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ते हुए कोलकाता में मां दुर्गा की पूजा की थी.
महाशक्ति देवी दुर्गा की पूजा नंदिनी भौमिक, रुमा रॉय, सेयमंती बनर्जी और पालोमी चक्रबर्ती ने की. वहीं इस विषय पर धार्मिक कर्मकांड में महिलाओं की स्वीकृति को लेकर एक बंगाली फिल्म भी बनी है.
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