गिद्धों की खाड़ी देशों में जमकर हो रही तस्करी,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत से गिद्धों को समुद्र के रास्ते दुबई और अन्य खाड़ी देशों में पहुंचाया जा रहा है। दस साल से यह तस्करी चल रही है। यह चौंकाने वाली जानकारी हाल ही में मध्यप्रदेश की स्टेट टाइगर टास्क फोर्स (एसटीएसएफ) के एक आपरेशन में सामने आई है। देश में विलुप्त हो रहे गिद्धों की खाड़ी देशों में जमकर तस्करी हो रही है। इन देशों के रसूखदार तंत्रक्रियाओं और घरों में पालने के लिए गिद्धों की मुंहमांगी कीमत दे रहे हैं।
वन विभाग की टीम ने कानपुर निवासी तस्कर फरीद शेख को गिरफ्तार कर उससे सात सफेद गिद्ध बरामद किए थे। फरीद इन गिद्धों को मालेगांव तक पहुंचने वाला था। वन विभाग और स्टेट टाइगर टास्क फोर्स इंदौर की टीम को पूछताछ में पता चला कि गिद्धों को समुद्र के रास्ते खाड़ी देशों में भिजवाया जाना था। वहां के रईस गिद्धों को घरों में पालते हैं। सफेद गिद्धों का इस्तेमाल तंत्र क्रिया में किया जाता है।फोर्स का दावा है कि गिद्धों के तस्कर पकड़े जाने का देशभर में संभवतः यह पहला मामला है।
तस्कर फरीद को रिमांड पर लेने के बाद खंडवा वन विभाग के रेंजर नितिन राजौरिया और एसटीएसएफ के रेंजर धर्मवीर सोलंकी सहित आठ लोगों की टीम मालेगांव पहुंची थी। फरीद ने टीम को जानकारी दी कि उसे मालेगांव में विदेशी पक्षियों के व्यापारी हाशिम को सात गिद्ध सौंपने थे। हाशिम की मालेगांव में दुकान है। टीम ने हाशिम की दुकान और घर पर दबिश दी, लेकिन वह फरार हो गया।
परिवार वालों के मुताबिक पांच-सात दिन से हाशिम घर नहीं आया है। वन अफसरों के मुताबिक वह भी गिरोह का सदस्य है। फरीद की काल डिटेल के आधार पर मालेगांव निवासी हुसैन के बारे में भी पता चला है। टीम ने दबिश दी तो वह भी फरार मिला। सूत्रों के मुताबिक फरार दोनों तस्कर मालेगांव से गिद्धों को बाक्स में रखकर मुंबई बंदरगाह भेजते थे। यहां से जहाज से समुद्र के रास्ते खाड़ी देश या अरब देशों में इन्हें भेजा जाता है। मालेगांव से मुंबई तक ले जाने के लिए भी तीन अलग-अलग स्तर पर गिरोह के सदस्य काम करते हैं।
फरीद ने बताया कि उन्नााव जिले के नजदीक बने स्लाटर हाउस के पास से गिद्धों को पकड़ा है। गिरोह के सदस्य जंगलों से भी गिद्धों को पकड़ते हैं। फरीद को सुल्तानपुर-मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस में बैठने से पहले समीर खान ने गिद्ध दिए थे। मालेगांव पहुंचने के बदले में फरीद को दस हजार रुपये दिए गए। इटारसी पहुंचने से पहले एक यात्री ने बदबू आने पर टीसी को इसके बारे में जानकारी दी।
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