मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे…
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
दो दिन का राष्ट्रीय शोक,
ऐसी आवाज को कोई कैसे भूल सकता है!
एक स्वर्णिम युग का अंत हो गया.
भारत ने अपना सबसे अमूल्य रत्न खो दिया।
संगीत बिरादरी में एक बड़ा शून्य छोड़ दिया है
त्याग, समर्पण, संघर्ष, उसूल,से बनी थी लता दी.
अपने अतुलनीय देशप्रेम, मधुर वाणी और सौम्यता से वो सदैव हमारे बीच रहेंगी।
लता मंगेशकर के निधन ने भारतीय संगीत बिरादरी में एक बड़ा शून्य छोड़ दिया है और देश स्तब्ध और दुखी है. कई राजनेताओं, खिलाड़ियों, बॉलीवुड और टेलीविजन सितारों ने सोशल मीडिया पर अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त की. महान गायिका के प्रशंसकों का दिल टूट गया और उन्होंने सोशल मीडिया पर यादों को ताजा कर रहे हैं. उनके प्रसिद्ध गीत वायरल हो रहे हैं.
92 साल की लता जी ने 36 भाषाओं में 50 हजार गाने गाए, जो किसी भी गायक के लिए एक रिकॉर्ड है। करीब 1000 से ज्यादा फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज दी। 1960 से 2000 तक एक दौर था, जब लता मंगेशकर की आवाज के बिना फिल्में अधूरी मानी जाती थीं। उनकी आवाज गानों के हिट होने की गारंटी हुआ करती थी। सन 2000 के बाद से उन्होंने फिल्मों में गाना कम कर दिया और कुछ चुनिंदा फिल्मों में ही गाने गाए। उनका आखिरी गाना 2015 में आई फिल्म डुन्नो वाय में था।
करीब 80 साल से संगीत की दुनिया में सक्रिय लता मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर 1929 को मध्य प्रदेश के ही इंदौर में हुआ था। 13 साल की छोटी उम्र में 1942 से उन्होंने गाना शुरू कर दिया था। लता जी के पिता पं. दीनानाथ मंगेशकर संगीत की दुनिया और मराठी रंगमंच के जाने पहचाने नाम थे। उन्होंने ही लता जी जो संगीत की शिक्षा दी थी। 5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता जी की तीन बहनें आशा भोंसले, उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं।
लता मंगेशकर को 2001 में संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था। इसके पहले भी उन्हें कई सम्मान दिए गए, जिसमें पद्म विभूषण, पद्म भूषण और दादा साहेब फाल्के सम्मान भी शामिल हैं। कम ही लोग जानते हैं कि लता जी गायिका के साथ संगीतकार भी थीं और उनका अपना फिल्म प्रोडक्शन भी था, जिसके बैनर तले बनी फिल्म “लेकिन” थी, इस फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट गायिका का नेशनल अवॉर्ड भी मिला था, 61 साल की उम्र में गाने के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली वे एकमात्र गायिका रहीं। इसके अलावा भी फिल्म “लेकिन” को 5 और नेशनल अवॉर्ड मिले थे।
लता को भारत की ‘सुर साम्राज्ञी’ के नाम से जाना जाता है और उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। इसके अलावा लता को पद्म भूषण, पद्म विभूषण और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। लता ने छत्तीस से अधिक भारतीय भाषाओं और कुछ विदेशी भाषाओं में गाने रिकॉर्ड किए हैं, हालांकि उन्होंने मुख्य रूप से हिंदी और मराठी में गाने गाये हैं।
लता जी लगभग दो साल से घर से नहीं निकली थीं। वे कभी-कभी सोशल मीडिया के जरिए अपने फैंस के लिए संदेश देती थीं। बढ़ती उम्र और गिरती सेहत के कारण वे अपने कमरे में ही ज्यादा समय गुजारती थीं। उनके घर के एक स्टॉफ मेंबर की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उनका टेस्ट कराया गया था। 8 जनवरी को उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।उनके चार भाई-बहन थे: मीना खादीकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और हृदयनाथ मंगेशकर – जिनमें से वह सबसे बड़ी थीं।
- यह भी पढ़े…..
- उनके खालीपन को भरा नहीं जा सकता–पीएम मोदी.
- नहीं रहीं सुर कोकिला लता मंगेशकर,अस्पताल में ली अंतिम सांस.
- गोरेयाकोठी प्रखंड प्रमुख, प्रमुख पति और पचास लोगों पर प्राथमिकी दर्ज
- होम लोन लेते समय रखे ध्यान , होम इन्शुरन्स के सहारे नही चुकाना पड़ता है ऋण
- एड़ी का दर्द होगा छूमंतर, अपनाये ये उपाय पाए खुद को बेहतर, घरेलु उपचार करेंगे दर्द को बेअसर