संसार की सबसे ऊंची राजमार्ग सुरंग है बेहद सुरक्षित,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पीर-पंजाल की पहाड़ी को भेद कर 3200 करोड़ की लागत से देश का मान बनी अटल टनल रोहतांग को अपनी खूबियों और विशेषताओं के चलते संसार में सम्मान मिला है। दुनिया की सबसे ऊंचाई 10040 फीट पर बनी हाईवे टनल से देश की सरहदें नजदीक लाई हैं। चीन तथा पाकिस्तान सीमा पर पहुंचना आसान हुआ है। सदियों से सर्दियों का कहर झेलने वाले लाहुल घाटी के लोगों के दुख भी दूर हो गए हैं। अब सर्दियों में भी लोगों को रोज हरी सब्जियां, अंडे, दूध व सभी प्रकार की खाद्य सामग्री मिल रही है।

पूर्व पीएम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन जून 2000 को रोहतांग दर्रे के नीचे एक स्ट्रैटजिक टनल का निर्माण करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया था। टनल के दक्षिण छोर तक सड़क की आधारशिला 26 मई 2002 को रखी गई थी। जून 2010 को तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अटल सुरंग की आधारशिला रखी थी। बीआरओ ने स्ट्रॉबेग व एफकान कंपनी के माध्यम से आधुनिक टनल का निर्माण किया। तीन अक्टूबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टनल का उद्घाटन किया।

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छह महीने बर्फ से ढकी रहने वाली लाहुल घाटी टनल बनने से सालभर के लिए मनाली से जुड़ गई है। घाटी में पर्यटन को पंख लगे और सर्दियों में भी पर्यटक लाहुल आने लगे। अटल टनल का छोर मनाली की तरफ से सुहानी वादियों से शुरू होता है और दूसरा छोर लाहुल स्‍पीति में निकलता है। बर्फ से ढकी यह वादियां पर्यटकों को खूब भाती हैं। डेढ़ साल के भीतर 17 लाख से अधिक पर्यटकों ने अटल सुरंग को निहारा।

अटल टनल को 40 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति के साथ प्रतिदिन एक तरफा 5000 वाहनों के यातायात घनत्‍व के लिए डिजाइन किया गया है। यह टनल सेमी ट्रांसवर्स वेंटिलेशन सिस्टम, एससीएडीए नियंत्रित अग्निशमन, रोशनी और निगरानी प्रणाली सहित अति-आधुनिक इलेक्‍ट्रो-मैकेनिकल प्रणाली से लैस है। आपातकालीन कम्युनिकेशन के लिए प्रत्येक 150 मीटर दूरी पर टेलीफोन कनेक्शन तथा प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर फायर हाइड्रेंट सिस्टम लगाए हैं।

प्रत्येक 250 मीटर दूरी पर सीसीटीवी कैमरों से युक्‍त स्‍वत: किसी घटना का पता लगाने वाला सिस्टम लगा है। प्रत्येक किलोमीटर दूरी पर एयर क्वालिटी गुणवत्ता निगरानी तथा प्रत्येक 25 मीटर पर निकासी प्रकाश/निकासी इंडिकेटर पूरी टनल में प्रसारण प्रणाली और प्रत्‍येक 50 मीटर दूरी पर फायर रेटिड डैंपर्स व प्रत्येक 60 मीटर दूरी पर कैमरे लगाए हैं।

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अटल टनल की शुरुआत में इसके निर्माण लागत करीब 1400 करोड़ रुपये आंकी गई थी और इसका निर्माण कार्य पूरा होने का लक्ष्य साल 2014 रखा गया था। टनल के अंदर सेरी नाले का रिसाव दिक्कत का कारण बना, जिस कारण निर्माण में छह साल की देरी हुई और निर्माण की लागत भी 3200 करोड़ जा पहुंची। इसके निर्माण में 150 इंजीनियरों एक हजार मजदूरों ने अपनी सेवाएं दी।

10040 फीट ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी टनल के निर्माण में 2 लाख 37 हजार 596 मीट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल हुआ है। करीब 3200 करोड़ से तैयार विश्व की इस अत्याधुनिक टनल में पहली बार ऑस्ट्रियन तकनीक का प्रयोग किया गया है। एक साथ दो ट्रैफिक टनल वाली सुरंग के निर्माण में 14508 मीट्रिक टन इस्पात का इस्तेमाल हुआ है। अटल टनल के नीचे एक और आपातकालीन सुरंग है। आपात स्थिति में टनल से बाहर निकलने में आसानी होगी। टनल निर्माण के दौरान 14 लाख क्यूबिक मीट्रिक टन मलबा बाहर निकाला।

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बीआरओ की योजक परियोजना (रोहतांग सुरंग) के चीफ इंजीनियर विशेष सेवा मैडल प्राप्त जितेंद्र प्रसाद ने कहा अटल सुरंग देश की आधुनिक सुरंग है। इसे देखने के लिए देश व दुनिया के पर्यटकों में भारी रुचि है। चीफ इंजीनियर ने कहा एनएचपीसी कंपनी के साथ एमओयू हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग के शुभारंभ के दौरान कहा था कि महत्वपूर्ण सुरंग के निर्माण पर देश का इंजीनियरिंग से जुड़ा हर छात्र अध्ययन करेगा। पहले साल में इंजीनियरिंग के 150 छात्रों ने अटल टनल निर्माण की बारीकियों को जाना। अटल टनल को अब वर्ल्‍ड बुक आफ रिकार्डस ने दस हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर बनी सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग के रूप में प्रमाणित किया है।

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