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सीवान के महोद्दीनपुर में आस्था, उमंग, उल्लास की बह रही त्रिवेणी!

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सिवान सदर प्रखंड के महोद्दीनपुर गांव में बह रही आस्था की अनवरत बयार, पूरा माहौल ही बन गया भक्तिमय

श्री हनुमान प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ में हो रहा नित्य हवन वायु को कर रहा शुद्ध तो प्रवचन आत्मिक शुद्धि का बन रहा सबब

मंत्रोच्चारण, हवन , प्रवचन की आध्यात्मिक सुंगध से पूरे क्षेत्र में वातावरण हुआ सुवासित

एकता, सद्भाव, सहकारिता का पड़ा अंकुर भविष्य में भी बहाता रहेगा सद्भावना की सुमधुर बयार

श्रीनारद मीडिया‚ गणेश दत्त पाठक‚ सेंट्रल डेस्कः

बिहार के सीवान जिले के सीवान सदर प्रखंड के महोद्दीनपुर गांव में इन दिनों आस्था, उमंग, उल्लास की अविरल बयार बह रही है। जहां श्री हनुमान प्राण प्रतिष्ठा महायज्ञ का आयोजन हो रहा है। कलश यात्रा, नगर भ्रमण के साथ दिनभर चल रहे पूजन अर्चन, प्रवचन की बह रही ज्ञान गंगा में आध्यात्मिकता की सनातन लहरें उठ रही हैं। कुछ अज्ञानी इसे शोरगुल, कोलाहल का आयाम बताने से नहीं चूक रहे। परंतु सत्यता यह है कि यज्ञ को सनातनी परंपरा में सत्कर्मों के पिता के तौर पर अभिभूत किया जाता रहा है। यज्ञ को सामूहिकता, आध्यात्मिकता, शुद्धता का प्रतिबिंब माना जाता रहा है। कोरोना महामारी के दौर में सिमटी मनुष्यता, इन यज्ञों में अपने नैसर्गिक अंदाज में प्रस्फुटित होकर सामने आ रही है।

शास्त्रों के आख्यान यज्ञ की महिमा का करते गुणगान

यज्ञ अनुष्ठान शाश्वत भारतीय सनातनी परंपरा के आभूषण के तौर पर जाने जाते रहे हैं। शास्त्रों के आख्यान यज्ञ परंपरा के महत्व को बताते रहे हैं। आज के उपभोक्तावादी दौर में जब मानव अपने कुविचारों के दायरे में सिमटता जा रहा है तो यज्ञ उसके अंतर्मन में प्रकाश की ज्योत जागृत करनेवाले साबित हो सकते हैं। श्रीमदभागवत गीता में श्री भगवान कहते हैं कि यज्ञ ही धर्म का सार है। यज्ञ के समान कोई दान नहीं और न ही यज्ञ के समान कोई कर्मकांड है। यजुर्वेद में कहा गया है कि यज्ञ को छोड़नेवाले के हाथ सुख शांति भी छूट जाती है। महानारायण उपनिषद् में कहा गया है कि यज्ञ में समस्त भौतिक और आध्यात्मिक लाभ भरे हुए हैं। चरक संहिता में कहा गया है कि रोगों से छुटकारा पाने का उत्तम मार्ग है यज्ञ। शास्त्रों के ये संदर्भ यज्ञ की महिमा का प्रतिपादन करते दिखते हैं। सनातन परंपरा के वेद, पुराण, उपनिषद्, श्री मद्भागवत गीता, रामायण, महाभारत जैसे ग्रंथ यज्ञ अनुष्ठान को परमात्मा के निमित्त किया गया सर्वश्रेष्ठ कार्य स्वीकार करते हैं।

यज्ञ आध्यात्मिकता, शुद्धता, सहकारिता के संदेश के संवाहक

यज्ञ सिर्फ मात्र अनुष्ठान भर ही नहीं होते, ये जीवन में आध्यात्मिकता, शुद्धता, सहकारिता के संदेश के संवाहक भी होते हैं। अमेरिका के नासा जैसे वैज्ञानिक संगठनों ने भी मंत्र से जनित ऊर्जा की सत्यता को साबित किया है। यज्ञ के दौरान निरंतर होने वाले मंत्रोच्चार वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। यह एक वैज्ञानिक तथ्य भी है। यज्ञ के मुख्य तीन आयाम होते हैं देव पूजा, दान और संगतीकरण यानी संगठन निर्माण। ये तीनों आयाम मिलाकर मानव जीवन को पूर्णता प्रदान करते हैं। यज्ञ द्वारा जनित ऊष्मा मनुष्य के अंतः करण पर देवत्व की छाप छोड़ जाती है, जो वर्षो तक मनुष्य को कुविचार, कुबुद्धि, दुर्गुण की गिरफ्त में आने से बचाती है। यज्ञ से ही आत्मा पर चढ़े हुए मलिन आवरण दूर होते हैं। शास्त्रों के मुताबिक काम, क्रोध, लोभ, मद, मत्सर, ईर्ष्या, द्वेष, कायरता, कामुकता, आलस्य, आवेश, संशय आदि मानसिक उद्वेगों की चिकित्सा का एकमात्र उपाय भी ये यज्ञ ही होते हैं।

यज्ञ प्रकृति के स्वभाव से तालमेल का आधार मुहैया कराते हैं

यज्ञ के माध्यम से ही मनुष्य प्रकृति के नैसर्गिक स्वभाव से तालमेल बैठा पाता है। प्रकृति का स्वभाव परमार्थ का होता है। चाहे वो वायु का बहना हो या समुद्र के जल का बादल बनना, चाहे बादल का बरसना हो या नदियों का बहना, हर जगह प्रकृति परमार्थ के लिए प्रयासरत रहती है। यज्ञ भी इसी परमार्थ की भावना का संचार करते हैं। यही परमार्थ की भावना ही मानवता को प्रकाशित करती है। यही भावना मनुष्य को पशु जीवन से अलग धरातल पर लाती है। यहीं यज्ञ से उद्भूत परमार्थ की भावना मानव के अस्तित्व का आधार भी है। चंदा का एकत्रण फिर भंडारे का आयोजन आदि गतिविधियां मानवता के हितार्थ ही संपोषित होती है।

आरोग्य रक्षण के संदर्भ में भी यज्ञ विशेष महत्वपूर्ण

आज के दौर में बदलती जीवनशैली के संदर्भ में आरोग्य रक्षण एक बड़ी चुनौती बन चुकी है। वातावरण में मौजूद कीटाणु, विषाणु, मानव अस्तित्व को चुनौती देते दिख रहे हैं। कोरोना वायरस ने त्राहिमाम पैदा कर दिया। यज्ञ के विज्ञान को समझा जाए तो हवन में डाली गई सामग्री वायु में प्रवेश कर वातावरण की शुद्धि का भी पर्याय बन जाती है। हवन से प्रसरित धुंआ छोटे छोटे कीटाणुओं से मानवता की रक्षा कर जाता है। चरक संहिता भी हवन को आरोग्य रक्षण का बड़ा आधार मानता है। वायुमंडल में आहुतियों से जनित शक्तिशाली ऊर्जा तत्व असंख्य कीटाणुओं के लिए हानिकारक साबित हो जाता है। यह भी एक वैज्ञानिक निष्कर्ष ही है। यह ऊर्जा साधारण बीमारियों से लेकर महामारियों के लिए भी मानवता की रक्षक साबित होती है।

यज्ञ सहकारिता की भावना से सद्भावना का आधार तैयार कराता है

यज्ञ एक महान शुभ कार्य है। जिसके आयोजन के लिए सहकारिता की भावना जरूरी होती है। यह सहकारिता की भावना ही समाज में एकता और सद्भावना का आधार बन जाती है। यज्ञ के आयोजन के दौरान सद विचारों के निरंतर प्रवाह से मानव का अंतर्मन भी शुद्ध होता है। यज्ञ के आयोजन के दौरान निर्मित संगतिकरण आपदा सहित अन्य चुनौतियों के निबटने में भी बड़ी भूमिका निभा जाती है। मत्स्य पुराण में कहा गया है कि निष्काम भाव से यज्ञ अनुष्ठान करने वालों को सच्चिदानंद परमात्मा का विशेष मंगल आशीष प्राप्त होता है।

प्रवचन मानसिक शुद्धि का बन जाता आधार

यज्ञ के दौरान संगीत साधना और प्रवचन से मानव का अंतर्मन शुद्ध होता है। ईश्वर तत्व के बारे में जानकर मानवता अपने जीवन के मूल उद्देश्यों को समझ पाती है तथा उसके विचारों पर कुसंगति के दुराग्रह दूर हो पाते हैं। प्रवचन के माध्यम से इंसान परम् सत्ता के अदभुत स्वरूप का साक्षात्कार कर पाता है। इससे शुद्धिकरण की प्रक्रिया का संचालन शुरू हो पाता है। यज्ञ त्याग, बलिदान, शुभ कार्य की त्रिवेणी बहा देता है और प्रवचन उस त्रिवेणी को मन में समाहित करने का सुअवसर उपलब्ध करा देता है। प्रवचन कुप्रवृतियों के त्याग के लिए प्रेरित करता है। प्रवचन कुत्सित इच्छाओं के दमन का आधार तैयार करता है। प्रवचन शुभ कार्यों का संदेश दे जाता है, जिसपर मानवता मर्यादित अंदाज में खिलखिला उठती है।

सनातनी परंपरा से आधुनिक परंपरा के तालमेल का प्रयास

महोद्दीनपुर में यज्ञ स्थल के पास बच्चों के मनोरंजन के लिए झूलों , स्वाद के लिए चाट पकोड़ों के स्टालों की सुविधा सनातनी अंदाज के साथ आधुनिकता के तालमेल का प्रयास करती दिखती है।

परंतु महोद्दीनपुर के आस पास का पूरा माहौल भक्तिमय बन चुका है। आस्था की अविरल बयार बहती जा रही है। सद्भावना की मजबूत आधार तैयार हो रही है। शुद्धता की बानगी जिंदगी का संदेश देती दिख रही है तो आध्यात्मिकता की गूंज मानव मन को असीम सुकून पहुंचा रही है।  आयोजक  कृष्णानंद पाण्डेय ने बताया कि पूरे क्षेत्र का माहौल भक्तिमय हो चुका है। श्रद्धालु अपार आस्था का प्रदर्शन करते हुए सहभागिता निभा रहे हैं।

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