क्या लेट प्रेगनेंसी से फर्टिलिटी पर कोई असर पड़ता है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पिछली पीढ़ी की लड़कियां 20-23 साल की उम्र में शादी कर लेती थी। मगर, आजकल कई महिलाएं व्यक्तिगत सुरक्षा और आर्थिक आत्मनिर्भरता जैसी कई बातों को ध्यान में रखते हुए जीवन में एक अच्छे मुकाम पर पहुंचकर ही शादी करना बेहतर समझती है। आजकल, ज्यादातर महिलाएं 25 से 30 साल की उम्र से पहले शादी करने की सोचती हैं। वहीं, देर से शादी करने के बाद भी महिलाएं तुरंत बच्चा पैदा करने के बारे में नहीं सोचती। मगर, सवाल यह है कि क्या लेट प्रेगनेंसी से फर्टिलिटी पर कोई असर पड़ता है। चलिए आपको बताते हैं कि इसपर एक्सपर्ट की क्या राय है?
क्या कहता है शोध?
शोध की मानें तो ज्यादातर महिलाएं 30 साल की उम्र के बाद बच्चा पैदा करने की योजना बनाना शुरू कर देती हैं। पारिवारिक और ऑफिस की जिम्मेदारियों, वित्त और बच्चों की परवरिश में अन्य जिम्मेदारियां प्रेगनेंसी टालने का का कारण हो सकती हैं। वहीं, कपल्स सोचते हैं कि ज्यादा से ज्यादा सिर्फ एक या दो बच्चे ही काफी हैं। अध्ययन के मुताबिक, “राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2019-2021 के अनुसार, 2015-16 में कुल प्रजनन दर 2.2 से गिरकर 2 हो गई, जबकि शहरी आबादी में यह 1.6 और ग्रामीण आबादी में 2.1 थी।”
अंडे की गुणवत्ता पर असर
चिकित्सकीय रूप से प्रसव को टालने से कुछ जटिलताएं हो सकती हैं। बढ़ती उम्र के साथ महिलाओं के अंडाशय में अंडे की मात्रा, संख्या और गुणवत्ता कम हो जाती है, जिससे कंसीव करने में दिक्कत आ सकती है। इसके अलावा, खराब लाइफस्टाइल, खाने की आदतें आदि भी अंडे की गुणवत्ता को कम सकते हैं।
40 की उम्र के बाद कंसीव करना
इसके अलावा, अध्ययनों से पता चलता है कि जैसे-जैसे एक महिला बड़ी होती जाती है, उसे जन्मजात बीमारियां और जन्म दोष होने की संभावना अधिक होती है। यही नहीं, 40 वर्ष से अधिक उम्र की करीब 1/3 महिलाएं बांझपन का शिकार हो सकती हैं।
प्रेगनेंसी के बाद की परेशानियां
इस उम्र की में जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा 3 से 6 गुना बढ़ जाता है। इसके अलावा आपका बढ़ा हुआ वजन मेटाबोलिज्म को कम करता है, जिससे प्रेगनेंसी के बाद ठीक करना मुश्किल हो जाता है।