फाईलेरिया के मरीजों को हक और अधिकार दिलाने में सार्थक सिद्ध हो रहा है पेशेंट सपोर्ट ग्रुप
• फाइलेरिया उन्मूलन के स्वास्थ्य विभाग संकल्पित
• गांव-गांव में मरीजों की बन रही है लाइन-लिस्टिंग
• सपोर्ट ग्रुप की बैठक में बचाव के बारे में दी जाती है जानकारी
• एक दूसरे से अपना दर्द साझा करते हैं फाइलेरिया के मरीज
श्रीनारद मीडिया‚ पंकज मिश्रा‚ छपरा (बिहार)
छपरा जिले में फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर समुदाय स्तर पर विभिन्न प्रयास किये जा रहें है। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। अब सारण जिले में फाइलेरिया के मरीजों को हक और अधिकारों को दिलाने के लिए एक बेहतर मंच तैयार किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के सहयोगी संस्था सीफार के सहयोग से जिले के फाइलेरिया मरीजों की लाइन लिस्टिंग की जा रही है। इसके साथ हीं मरीजों को उनके अधिकारों के प्रति तथा बिमारी से बचाव के प्रति जागरूक करने के लिए पेंशेंट सपोर्ट ग्रुप बनाया जा रहा है। सारण जिले के मांझी प्रखंड के डुमरी गांव में फाइलेरिया मरीजों का पेशेंट सपोर्ट ग्रुप बनाया गया है। जिसके माध्मय से उनके हक और अधिकारों के बारे में जानकारी दी जा रही है। प्रत्येक माह बैठक कर मरीजों को जागरूक किया जाता है। इसके साथ फाइलेरिया के मरीजों को एमएमडीपी कीट उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। ताकि हांथी पांव वाले मरीज अपने पैर सफाई कर सके। मरीजों को यह जानकारी दी जाती है कि किस तरह से पैर की साफ-सफाई करनी है। अन्य लोगों में यह बिमारी नहीं फैले उसके लिए क्या-क्या सावधानियां है उसके बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है।
स्वास्थ्य केंद्रों पर लाकर कराया जाता है उपचार:
पेशेंट सपोर्ट ग्रुप में शामिल फाइलेरिया के मरीजों को समय-समय पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में लाकर उपचार कराया जाता है। ताकि उन्हें कुछ राहत मिल सके। चिकित्सकों के द्वारा के उपचार के साथ-साथ जरूरी दवाईयां भी दी जाती है।
अपने जीवन के दर्द को एक-दूसरे से करते हैं साझा:
सारण जिले के मांझी प्रखंड के डुमरी निवासी राम बाबू ने कहा कि मुझे तो जाने-अंजाने में यह गंभीर बिमारी हो गयी। जिसका दर्द मुझे जीवन भर सता रहा है। हम लोगों दर्द को सुनने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जो पहल की है वह काफी सराहनीय है। हम लोग ग्रुप की बैठक में अपनी समस्याओं को रखते हैं जिसका निदान स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों के द्वारा किया जाता है।
दर्द से मिली राहत:
डुमरी गांव निवासी सोना देवी ने बताया कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं थी कि अस्पताल में हम जैसे मरीजों का उपचार हो सकता है। लेकिन पेशेंट सपोर्ट ग्रुप की बैठक इस बात की जानकारी मिली और उन्हीं लोगों के द्वारा ले जाकर मेरा इलाज कराया गया। जहां पर चिकित्सकों ने दवा दिया और पैर को नियमित सफाई करने की सलाह दी। जिसके बाद दर्द से काफी राहत है। ग्रुप की बैठक में कई महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा होती है। जिसके माध्यम से हमलोगों को अपने हक और अधिकार की जानकारी मिलती है।
फाइलेरिया रोग से बचने का सबसे बेहतर उपाय जागरूकता:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया रोग से बचने का सबसे बेहतर उपाय जानकारी है। यह बीमारी परिलक्षित होने में कम से कम 8 से 10 साल लग जाते हैं। जिसमें व्यक्ति को संभलने का मौका नहीं मिलता। इससे बचने के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के तहत मिलने वाली डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा भी फाइलेरिया को होने से रोकने में कारगर है। इसलिए वर्ष में एक बार डीईसी और अल्बेंडाजोल की गोली अवश्य खाएं।
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