भारत-नेपाल लघुकथा दर्पण:साहित्य के माध्यम से हमारे द्विपक्षीय संबंध !

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दो देशों के बीच आपसी प्यार और सौहार्दपूर्ण संबंधों को साहित्य के माध्यम से एक-दूसरे तक पहुंचने का उपक्रम है लिटरेचर! आज़ इसकी बहुत ज़रूरत है। ज़रूरत इस तरह के लघुकथा संकलन की भी है जिसकी कहानियां अपने रचना कौशल से निखर कर आयी हैं और जिनके लिए संपादक ने साफ़ कहा है कि उसका विश्वास लघुकथा लिख रहे और खुद को प्रचारित कर रहे उन कथाकारों के साथ नहीं है जो साहित्य में प्रचलित तथाकथित नारों के साथ जिंदा रहने की जुगत में परेशान हैं और उनके साथ भी नहीं जो लघुकथा को बच्चों की किताब की तरह का प्रयास मानते हैं।

यह विश्वास संपादक का है और इस संग्रह की कहानियां अपने लघु आकार में रची जाकर भी अपनी अंतर्कथा में एक बड़ा विस्तार पाती हैं। यह इन लघुकथाओं का विश्वास है और यह विश्वास सच के धरातल पर खरा है।

संग्रह में छियासठ कहानियां हैं और हार्ड बाउंड में छपी यह किताब दो सौ पंद्रह पन्नों में अपना विशिष्ट आकार पाती साढ़े तीन सौ रुपए में उपलब्ध है। शायद यह पेपर बैक में आती तो पाठकों को कुछ राहत मिलती।यह संग्रह हमारे देश के हिंदी क्षेत्र और विदेशों में हिंदी के पाठकों तक पहुंच पाए तो हम इसके बड़े कैनवस को देख पाएंगे।

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