तो हवाओं का रूख दिखा रहा राष्ट्रपति भवन का रास्ता•• मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी को अग्रिम बधाई.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


यह बात सर्वथा स्वाभाविक रही है। चाहे वह राजनीति हो या सरकारी तंत्र हर कोई अपने अंतिम पड़ाव में एक बेहतर विकल्प और पहचान के लिए कोशिश करता है।
हम बात कर रहे हैं बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नितीश जी की। अपने लगातार तीन कार्यालय को निभाते हुए कुछ बेहतर तो कुछ अपवादों को लेकर हर बार राष्ट्रीय स्तर पर छाए रहे। हालांकि पुरे कार्याकाल में सबसे अधिक जोड़तोड़ की राजनैतिक गणितज्ञ की भूमिका भी निभाई।

खुद के दिल की बात को अधिक महत्व भी दिया।तमाम झंझावातों को झेल बड़े बड़े फैसले भी लिए। पिछले युपिए के साथियों को एकजुट करने का प्रयास और प्रयोग भी किया।पर वक्त की नाजाकतो में कई बार फ़ैसले भी बदलने पड़े।

अब बड़े पर्दे पर आने की बात राजनैतिक गलियारों में अचानक उठ चली है। हालांकि डांवाडोल मन अभी कुछ वक्त ले सकता है। वर्तमान की गतिविधियों में लालु जी को सजा युपी में चुनावी फैसला धिरे धिरे ही सही विकल्प को बाहर निकाल रहा है।

वैसे भी यह कायास जारी था युपी चुनाव के पहले ही बिहार की सता बिखर सकती थी।जब जदयू ने यूपी चुनाव में अकेले लडने का मन बना लिया था।बडे लिडरो ने मामले को डैमेज कंट्रोल किया। हालांकि उस वक्त एनडिए के कुनबे से यह हवा भी उडती रही। नितिश जी को उपराष्ट्रपति पद पर आसीन किया जाएगा।सो मामला रफा दफा।

इधर माझी जी विधानपार्षद में सिटे न मिलने से अब -तब का चक्कर भी कायम रखे थे जो आज भी मौजूद है। अब यूपी चुनाव का रिजल्ट भी नजदीक है। तीन चरणों के चुनाव में योगी सरकार की सत्ता की डवाडोली उड़ती खबरें फिर से शायद परिस्थितियों के अनुसार नितिश जी को सोचने पर बाध्य किया होगा। लगे हाथ पवार तथा केसीआर साहब की आपसी प्रेम और राजनीत के अच्छे रणनितकार प्रशांत किशोर की मुलाकात ने बड़े सिंहासन का विकल्प तैयार होने का मसौदा भी बना डाला है।
भले ही इधर तेजस्वी दबे मन पिता के सजा बाद लाख कोसे ।पर मानमनौवल कायम है तभी तो नितिश जी की नरमदिली जारी है।

जैसे भी हो यूपी चुनाव का फैसले पर लगभग सब कुछ मुमकिन है। अगर एनडिए की सत्ता आई तो उप राष्ट्रपति अगर नहीं आई तो फिर राष्ट्रपति।
वहीं केन्द्र की एनडीए सरकार को बने रहने के लिए दोनों फैसलों में हां का स्वर मिलाना ही होगा। नितिश जी के कुनबे की भूमिका जो महत्वपूर्ण है।
वैसे भी कहा जाता है नितिश जी कच्चे खिलाड़ी नहीं है।हवा का रूख देख ही मन के फैसले लेते रहे हैं। और सफल भी हुए हैं।

वक्त के अनुसार हर कोई बेहतर कल के तलाश में रहता है रहना भी चाहिए। लाखों बिहार वासियों की शुभकामनाए रहेगी। राजेन्द्र बाबू मिरा जी के बाद कोई बिहार का बेटा देश का प्रथम नागरिक सम्मान से नवाजा जाए।

इधर बिहार की सता का डोर किसके साथ वाली बात भी काफी चर्चा में चल रही है। सवाल भी क्लियर है। अगर राष्ट्रपति तो बिहार के अगले मुख्यमंत्री तेजस्वी,अगर उपराष्ट्रपति तो बिहार के अगले मुख्यमंत्री माझी जी या ललन सिंह। हालांकि मजबूर केन्द्र की गठबंधन उप के सवाल पर चुप भी हो सकती है। और राष्ट्रपति के दावे पर अपनी सहमति दे सकती है। तब बिहार में मुख्यमंत्री पद पर भाजपा के शहनवाज जी की अहमियत बढ़ जाएगी।

जो भी हो आने वाला वक्त बड़ा ही दिलचस्प और देखने वाला होगा। नितिश जी के दोनों हाथों में लड्डू है पहले किसका स्वाद चखे फैसला उनके ही हाथ है। उनके वर्तमान समय में चेहरे पर हर रोज फैली एक विशेष मुस्कान लगभग बहुत कुछ बयां कर रही है।

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