स्वास्थ्य क्षेत्र में आयुष्मान भारत से आ रहा है अभूतपूर्व बदलाव,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

स्वास्थ्य जीवन का एक ऐसा पक्ष है, जिस पर हमारी व्यक्तिगत ही नहीं, बल्कि देश की भी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रगति टिकी है। स्वास्थ्य सुविधाएं हमारे जीवन के हर पक्ष की गुणवत्ता का स्तर तय करती हैं। मौजूदा कोरोना वायरस ने जिस तरह वैश्विक स्वास्थ्य आपदा को जन्म दिया है, उसमें स्वास्थ्य की बुनियादी तैयारियों को नए सिरे से संवारने का संदेश भी है। भौगोलिक एवं जनसांख्यिकीय विविधताओं के कारण भारत के करोड़ों नागरिकों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बड़ी चुनौती रही है।

बढ़ा बजटीय आवंटन : स्वास्थ्य से समृद्धि की राह पर बढ़ने के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में मोदी सरकार ने 86,200.65 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है। यह राशि वित्त वर्ष 2021-22 के 73,931 करोड़ रुपये के मुकाबले 16 प्रतिशत अधिक है। नेशनल हेल्थ मिशन के बजटीय आवंटन में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई है। हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के लिए बजटीय आवंटन 315 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 978 करोड़ रुपये किया गया है।

केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के लिए सकल बजटीय आवंटन 10,566 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 15,163 करोड़ रुपये करने से राज्यों को काफी मदद मिलेगी। हालांकि अभी भी हम अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का तीन प्रतिशत स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च नहीं कर रहे हैं।

बनेगा नेशनल डिजिटल हेल्थ सिस्टम : स्वास्थ्य ढांचे को टिकाऊ एवं समावेशी बनाने के लिए बजट में नेशनल डिजिटल हेल्थ सिस्टम को मजबूती देने की घोषणा की गई है। इसमें अस्पतालों और नागरिकों को डिजिटल माध्यम से जोड़ा जाएगा। यह हेल्थ आइडी के विकास को गति देकर ही संभव होगा। सेहत का डिजिटल तंत्र खड़ा हो, इसके लिए मौजूदा बजट में 200 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रविधान किया गया है।

सेहत का बही-खाता : देखा जाए तो डिजिटल स्वास्थ्य तंत्र की स्थापना में नागरिकों का डिजिटल स्वास्थ्य पहचान पत्र अनिवार्य घटक है। इसे मजबूती देने के लिए 27 सितंबर, 2021 को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन शुरू किया गया। इसके अंतर्गत नागरिकों को एक आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) प्रदान किया जाता है। आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट को आप एक स्वास्थ्य पहचान पत्र कह सकते हैं। इस हेल्थ आइडी में संबंधित व्यक्ति की सेहत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे कि डाक्टरी परामर्श, मेडिकल जांच आदि डिजिटल रूप में संग्रहित कर दी जाती हैं। ।

ग्रामीण इलाकों में पहुंचेंगी स्वास्थ्य सुविधाएं : आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन में एक व्यवस्था विकसित की गई है, जिसमें मरीज को डाक्टर से परामर्श करने के लिए भौतिक रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं पड़ती। अत्यंत सुदूर इलाकों में भी मरीजों को उनके घर पर ही सामान्य बीमारियों की स्थिति में टेलीमेडिसिन के जरिये उपचार प्रदान किया जाता है। किसी गंभीर बीमारी अथवा दुर्घटना की स्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता में मिनटों का अंतराल काफी अहम होता है।

आयुष्मान भारत का डिजिटल आधार : स्वास्थ्य क्षेत्र में आयुष्मान भारत योजना की वजह से जो अभूतपूर्व बदलाव आ रहे हैं, उससे लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ने के साथ उनके जीवन में स्वास्थ्य एवं समृद्धि की नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। नेशनल हेल्थ अथारिटी के मुताबिक इस योजना के अंतर्गत 17.33 करोड़ आयुष्मान ई-कार्ड जारी किए जा चुके हैं। इस कार्ड से बीपीएल परिवारों को प्रति वर्ष पांच लाख रुपये तक के नि:शुल्क उपचार की सुविधा मिल रही है। योजना के प्राथमिक हितग्राही ग्रामीण जन हैं। आयुष्मान भारत योजना में अपना नाम जानने, कार्ड बनवाने, अस्पतालों की जानकारी लेने समेत सभी सुविधाएं मोबाइल के द्वारा लोगों को प्राप्त हो रही हैं। देश भर में फैले कामन सर्विस सेंटर (सीएससी) की विशाल श्रृंखला महज कुछ देर में ही हितग्राहियों को आयुष्मान कार्ड मुहैया करा रही है।

ई-संजीवनी ओपीडी की बढ़ी लोकप्रियता : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय के अध्ययन में कहा गया है कि टेलीमेडिसिन प्रणाली भारत की संपूर्ण जनसंख्या के लिए बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं में वृद्धि कर सकती है। इससे मुख्यत: ग्रामीण आबादी अत्यधिक लाभान्वित होगी। टेलीमेडिसिन स्वास्थ्य सेवाओं की एक उभरती हुई विधा है। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी के साथ चिकित्सा विज्ञान के संयुग्मन से दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं।

ई-संजीवनी ओपीडी में कोई भी व्यक्ति वाइस कालिंग, वीडियो काल, लाइव चैट के माध्यम से साधारण स्मार्टफोन का उपयोग कर चिकित्सकीय परामर्श प्राप्त कर सकता है। इसके लिए उन्हें अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों पर जाने की भी जरूरत नहीं होगी। सिर्फ मोबाइल के गूगल प्ले स्टोर में जाकर ई-संजीवनी ओपीडी-नेशनल टेलीकंसल्टेशन सर्विस डाउनलोड करना होगा।

सेहत के डाटा की गोपनीयता जरूरी: तकनीक के जरिये सेहत से जुड़ी सेवाओं को संजीवनी देने के लिए हितग्राहियों तक डिजिटल उपकरणों की पहुंच बढ़ानी होगी। डिजिटल संसाधनों को प्रत्यक्ष स्वास्थ्य सेवाओं के सहायक एवं पूरक उपक्रम के रूप में ही उपयोग में लाया जाना चाहिए। ध्यान रहे अस्पतालों, चिकित्सकों और स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं का दायरा बढ़ाकर ही डिजिटल सेवाओं का लाभ लिया जा सकता है। इसी तरह सेहत से जुड़े डाटा की गोपनीयता से जुड़ी आशंकाओं को भी दूर करना होगा। डिजिटल चिकित्सा सेवाएं तभी कारगर होंगी, जब चिकित्सक एवं नर्सिग स्टाफ उसके प्रति उन्मुख हों। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित किए जाने की व्यवस्था भी खड़ी करनी होगी।

रोग पूर्व निदान को प्राथमिकता: प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत गांवों में संचालित हो रहे स्वास्थ्य उपकेंद्रों को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में परिवर्तित किया जा रहा है। इन केंद्रों का मुख्य उद्देश्य गांव के सभी लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाओं की पहुंच मुहैया कराने के साथ ही गंभीर रोग वाले मरीजों की पहचान करना है। इन केंद्रों में मधुमेह, रक्तचाप, बच्चों के टीकाकरण, शिशुओं एवं गर्भवती महिलाओं के पोषण संबंधी जांच भी की जाती है।

हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात स्टाफ सर्वे के दौरान लोगों को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बारे में जागरूक करते हैं, जिससे लक्षण प्रतीत होने पर लोग स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर उपचार प्रारंभ करा सकें। जाहिर है समय पर बीमारियों की पहचान करने के साथ यह व्यवस्था ग्रामीण स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता का मिसाल बन रही है।

 

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