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“अंगिका की उपेक्षा” विषय पर भागलपुर में कार्यक्रम आयोजित हुई।

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हिंदी एवं अंगिका साहित्य के चर्चित प्रकांड विद्वान आदरणीय अनिरुद्ध प्रसाद विमल सर से मेरी मुलाकात 21 फरवरी 2022 को विश्व मातृभाषा दिवस पर “अंगिका की उपेक्षा” विषय पर भागलपुर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई। हालांकि वर्षों से फेसबुक के माध्यम से जान पहचान थी पर, मिला पहली बार।व्यस्त कार्यक्रम एवं समयाभाव के कारण ठीक तरीके से बातचीत नहीं हो पाई जो दिल में कसक रह गया।

पहली मुलाकात इन्होंने अपने लिखित पुस्तक ‘कृष्णा’ भेंट की। यह एक प्रबंध काव्य है जो श्री कृष्ण पर आधारित है। पुस्तक पढ़ा काफी अच्छा लगा। इस पुस्तक को मैं तो आध्यात्मिक प्रेरणा स्रोत पुस्तक ही कहूंगा।चूंकि श्रीकृष्ण के संपूर्ण जीवन एवं गतिविधियों को प्रेरणादायक तरीके से वर्णन करते हुए काव्य के रूप में लिखा गया है।भगवान श्री कृष्ण जैसे असाधारण व्यक्तित्व पर काव्य लिखना बहुत कठिन कार्य है। बावजूद इसके इस कठिन कार्य को आदरणीय विमल सर ने आसान बनाया जो काबिले तारीफ है। कुछ उद्धृत काव्यों की चर्चा में कर रहा हूं जो मुझे बेहद ही अच्छा लगा।
वे जो मुझे उत्तरदायी ठहरा रहे हैं
सच मानिए
वे अपने उत्तरदायित्व से कतरा रहे हैं
मनुज होकर भी
जो मानवोचित कर्म नहीं करता
देख कर दुष्कर्म और न्याय को
जो चुपचाप सहन कर लेता
यह मौन भी अपराध है
ऐसा मनुष्य कभी भी मनुष्य नहीं हो सकता
बस मेरा अपराध यही है
सच को सच कहा मैंने
युगधर्म सत्य निभाया मैंने
युग के सभी पापियों के विरोध में
लड़कर सबक सिखाया मैंने
समझाने पर भी जो अरे रहे अधर्म पर
उसको मृत्यु दे स्वर्ग पठाया मैंने
अपने दायित्वों से जो मनुष्य भागता है
कालांतर में ही सही वह कष्ट भोगता है
धृतराष्ट्र की राजलिप्सा
उसका अंधत्व,उसका पुत्र मोह
गंधारी का आंखों पर पट्टी बांधना
महाभारत जैसे विनाशक युद्ध का कारण था
अंधत्व के कारण
मैं ईश्वर से कामना करता हूं कि आप स्वस्थ,दीर्घायु एवं यशस्वी हो।मैं आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूं। धन्यवाद व शुक्रिया।
संजय कुमार सुमन
साहित्यकार

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