राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्यकर्मियों को दी गयी ट्रेनिंग
जन्मजात विकृति की पहचान कर ससमय इलाज की मिलेगी सुविधा:
18 दिल के छेद व 32 क्लबफूट से पीड़ित बच्चों का हुआ ऑपरेशन:
श्रीनारद मीडिया, गया, (बिहार):
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत जन्मजात विकृति वाले बच्चों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का हर प्रयास स्वास्थ्य विभाग कर रहा है। इसे लेकर जिला के सभी प्रखंडों के 102 चिकित्सकों, एएनएम एवं फार्मासिस्ट को रिफ्रेशर ट्रेनिंग दी जा रही है। प्रशिक्षण की मदद से शिशुओं में जन्मजात विकृति की पहचान कर ससमय इलाज की सुविधा मिल सकेगी। जयप्रकाश नारायण सदर अस्पताल के सभागार में आयोजित यह प्रशिक्षण चार फरवरी तक आयोजित किया जायेगा। प्रशिक्षण जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक, संचारी रोग पदाधिकारी डॉ पंकज सिंह डॉ स्वांत रंजन, डॉ लखेंद्र सहित डॉ रीतेश पाठक आदि के द्वारा दिया जा रहा है।
18 दिल के छेद वाले बच्चों का किया गया ऑपरेशन:
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के जिला नोडल पर्सन डॉ उदय मिश्रा ने बताया तीन बैच को दो दिवसीय रिफ्रेशर ट्रेनिंग दी जायेगी। दो बैच की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। प्रशिक्षण प्राप्त कर आरबीएसके स्वास्थ्यकर्मी अपने क्षेत्र में बेहतर सेवा देने में सक्षम हो सकेंगे। बताया आरबीएसके के तहत पहले 39 प्रकार की बीमारियां शामिल थीं। लेकिन अब तीन और बीमारियों को जोड़ दिया गया है। इनमें ट्यूबरक्लोसिस, लेप्रोसी और बौनापन शामिल है। इस प्रकार अब बच्चों की 42 प्रकार की बीमारियों का इलाज किया जा सकेगा। बताया कि जिला में अक्टूबर 2020 से फरवरी 2022 तक दिल में छेद वाले 18 बच्चों का इलाज किया जा चुका है। वहीं 32 क्लबफूट तथा एक कटा तालू की समस्या वाले बच्चे का सफल आॅपरेशन किया जा चुका है। कार्यक्रम के तहत एक मलद्वार समस्या वाली एक अन्य प्रकार के रोग का इलाज किया गया है। डॉ उदय मिश्रा ने बताया सभी प्राइवेट अस्पतालों में राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के संबंधित अधिकारियों का नंबर भी दिया गया है। यदि कोई भी बच्चा जो प्राइवेट अस्पताल में हुआ है और जन्मजात विकृति की समस्या है वह अस्पताल प्रबंधन से इस संबंध में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम के तहत जन्मजात विकृति का नि:शुल्क इलाज:
उन्होंने बताया जन्मजात विकृति वाले बच्चों का इलाज परिजन नि:शुल्क करा सकते हैं। इसके लिए अपने प्रखंड स्थित प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम टीम से मुलाकात करेंगे। इसके बाद उन्हें शिशु की समस्या की जानकारी देंगे जिसके बाद आरबीएसके कार्ड बनाया जाता है। कार्ड बनाये जाने के उपरांत जिला के प्रभावती अस्पताल स्थित डिस्ट्रिक्ट अर्ली इंटरवेंशन सेंटर में चिकित्सक इलाज की प्रक्रिया प्रारंभ करते हैं।
जन्मजात विकृति वाले रोगों के बारे में दी गयी जानकारी:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ एमई हक ने प्रशिक्षण के दौरान जन्मजात विकृतियों वाली बीमारियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी और बताया कि प्रशिक्षण का उद्देश्य 4डी अर्थात चार प्रकार की परेशानियों की शीघ्र पहचान और उसके इलाज के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं की शुरुआत करनी है। इनमें जन्म के समय जन्म दोष, बीमारी, कमी और विकलांगता सहित विकास में रूकावट आदि की जांच शामिल हैं। वहीं संचारी रोग पदाधिकारी डॉ पंकज सिंह ने बच्चों में टीबी होने के लक्षणों व कारणों आदि की जानकारी दी।
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