राष्ट्रीय स्वाभिमान के जागरण ने यूक्रेन में किया अपार ऊर्जा का संचार!
राष्ट्रपति जेलिंस्की की दिलेरी देख नाटो के उदासीन रवैए से निराश यूक्रेनी जनता ने थामी बंदूकें
जंग का परिणाम जो भी हो यूक्रेनी जनता का राष्ट्रीय स्वाभिमान बना मिसाल
✍️गणेश दत्त पाठक,स्वतंत्र टिप्पणीकार :
इतिहास गवाह रहा है, जब – जब राष्ट्रीय चेतना का उभार आता है तो राष्ट्रीय स्वाभिमान हर नागरिक में अपार ऊर्जा का संचार कर जाता है। फिर वह सैनिक हो या आम जनता, उसके फौलादी इरादे दुश्मन को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर देते हैं। कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है रूस यूक्रेन जंग के मामले में, जहां विशाल सामरिक शक्ति से लैस यूक्रेन की अपेक्षाकृत कमजोर सेना के लिए, जहां चंद घंटे काफी माने जा रहे थे, वहीं जंग के पांच दिन बीत जाने के बाद रूस को अपने एटमी खेमे में हलचल शुरू करानी पड़ी है। जो रूस की बेचैनी को जाहिर करता है।
आंकड़ों के जतन में राष्ट्र तत्व को किया गया नजरंदाज
शुरुआत से ही सामरिक विशेषज्ञ सामरिक आंकड़ों के आधार पर जंग में रूस को काफी मजबूत बता रहे थे। सामरिक आंकड़ों पर गंभीर चिंतन करीब छह माह से संसारभर में चलता आ रह था। आंकड़ों के जतन में सभी आंकड़ा धुरंधर राष्ट्रीय स्वाभिमान के तत्व को नजरंदाज से कर गए। नाटो द्वारा यूक्रेन को अकेले छोड़ दिए जाने से राष्ट्रीय स्वाभिमान मचल उठा।
यूक्रेन के राष्ट्रपति डटे रहें अफगानी राष्ट्रपति की तरह भागे नहीं
राष्ट्रपति व्लादिमीर जुलिंस्की के जंग के मैदान में डटे रहने से राष्ट्रीय स्वाभिमान में उफान आया। लाखों यूक्रेन के नागरिक देश छोड़ कर जा रहे हैं। राष्ट्रपति जेलिंस्की भी किसी दूसरे देश में जा सकते थे। लेकिन अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति की तरह नहीं भाग कर उन्होंने दिलेरी से मुकाबला की ठानी। राष्ट्रीय नेतृत्व के इस हौंसले ने जहां सेना में ऊर्जा का संचार किया, वहीं जनता भी हथियार उठाकर जंग में कूद पड़ी है। आनेवाले दिनों में राष्ट्रपति जेलिंस्की के साथ क्या होगा? नहीं कहा जा सकता! लेकिन इतिहास में वे एक प्रतिष्ठित नेता के तौर पर सुस्थापित हो चुके हैं। भविष्य में वे राष्ट्रीय स्वाभिमान के प्रतीक के तौर पर ही जाने जायेंगे।
मिल रही सहायता से यूक्रेन में राष्ट्रीय स्वाभिमान और हो रहा तरंगित
नाटो द्वारा जंग के शुरुआती दौर में यूक्रेन को अकेला छोड़ने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रीय स्वाभिमान के जागृत होने के बाद बदले सामरिक आयामों को देखते हुए अमेरिका सहित नाटो के अन्य देश यूक्रेन को जंगी हथियारों की खेप के साथ आर्थिक और मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए खुलकर सामने आए हैं। इससे यूक्रेन के राष्ट्रीय स्वाभिमान को और भी ऊर्जा मिलती जा रही है। जिसका यूक्रेन के संदर्भ में सकारात्मक असर कुछ दिनों में दिखाई देने लगेगा। फिलहाल तो रुसी सेना को कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है।
पुतिन के लिए बढ़ रही चुनौतियां
रूसी राष्ट्रपति पुतिन के लिए आगे आनेवाला समय बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता हैं। स्वयं उनके देश में प्रदर्शनों के बड़े सिलसिले का आगाज हो चुका है। विश्व स्तर पर बड़े बड़े प्रदर्शन हो रहे हैं। आर्थिक प्रतिबंधों के संदर्भ में रूबल का मूल्य गिरता जा रहा है। रूस के शेयर बाजार में अफरा तफरी का माहौल है। रूस की प्रतिष्ठित मल्टी नेशनल कंपनियां बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है। अगर युद्ध लंबा खींचा तो रशिया की आर्थिक कमर टूट भी सकती है। जो रूसी राष्ट्रपति पुतिन की आकांक्षाओं के लिए बेहद दुखदाई तथ्य होगा।
राष्ट्रीयता का शानदार पाठ पढ़ा जायेगा यूक्रेन की प्रतिक्रिया
रूस यूक्रेन जंग का अंजाम जो भी हो लेकिन यह जंग विश्व स्तर पर राष्ट्रीयता का एक बेहतरीन पाठ पढ़ा जायेगा। हो सकता है बेचैनी की स्थिति में रूस द्वारा यूक्रेन पर और भी भीषण हमले शुरू हो जाएं या नाभिकीय आयुध भी इस्तेमाल में आ जाए। यूक्रेन पूरी तरह तबाह भी हो जाए। परंतु यूक्रेनी जनता के राष्ट्रीय स्वाभिमान की बंदगी विश्व स्तर पर एक सुनहरी छाप तो छोड़ ही जायेगी जो कभी भारतीय राजा पोरस ने सिकंदर के सामने जंग लड़कर छोड़ा था। सदियों सदियों तक यूक्रेनी जनता के राष्ट्रीय चेतना की तरंगे राष्ट्रीयता के दिव्य आभा का प्रकाश बिखेरती रहेगी।
राष्ट्रीयता ही सर्वस्व
सदियों तक यूक्रेन संदेश देता रहेगा कि राष्ट्रीयता से बड़ी कोई ताकत नहीं होती। राष्ट्रीयता से बड़ा कोई वजूद नहीं होता है। राष्ट्रीयता से बड़ा कोई संस्कार नहीं होता है। राष्ट्रीयता से बड़ी कोई ऊर्जा नहीं होती है। आइए मेरे वतन के लोगों आप भी इस राष्ट्रीय तत्व को पहचानिए…
English version ?
The awakening of national self-respect infused immense energy in Ukraine!
Seeing President Zelinsky’s boldness, the Ukrainian people, disappointed by the indifferent attitude of NATO, catched guns
Whatever the outcome of the war, the national self-respect of the Ukrainian people became an example.
️✍️Ganesh Dutt Pathak
independent commentator
History has been witness, whenever national consciousness rises, national self-respect infuses immense energy in every citizen. Whether it is a soldier or a general public, his steely intentions compel the enemy to chew his gram. Something similar is being seen in the case of Russia-Ukraine war, where a few hours were considered enough for Ukraine’s relatively weak army armed with huge strategic power, while five days after the war, Russia had to lose its strength. A stir has to be started in the atomic camp. Which shows the restlessness of Russia.
The national element was ignored in the pursuit of statistics
From the very beginning, strategic experts were telling Russia to be very strong in the war on the basis of strategic data. Serious thinking on strategic data had been going on around the world for about six months. In the process of data, all the figures have neglected the element of national self-respect. National pride was raised by NATO leaving Ukraine alone.
The President of Ukraine should stand still, don’t run away like the Afghan President
With President Vladimir Zulinsky standing on the battlefield, national self-esteem soared. Millions of Ukrainian citizens are leaving the country. President Zelinsky could also go to another country. But by not running away like the former President of Afghanistan, he was determined to fight boldly. While this spirit of national leadership infused energy in the army, the people have also jumped into the war by taking up arms. What will happen to President Zelinsky in the coming days? Can’t be said! But he has been well established in history as a distinguished leader. In future, he will be known only as a symbol of national self-respect.
National self-respect is rising in Ukraine with the help being received
In view of the changed strategic dimensions after the awakening of Ukraine’s national self-respect after leaving Ukraine alone in the initial phase of the war by NATO, other NATO countries including America are openly to provide economic and humanitarian aid to Ukraine with war weapons. have appeared. With this, the national self-respect of Ukraine is getting more energy. The positive effect of which in the context of Ukraine will be visible in a few days. At present, the Russian army is facing stiff resistance.
Growing challenges for Putin
The time ahead for Russian President Putin can prove to be very challenging. A large series of demonstrations has started in his own country. Big demonstrations are taking place at the world level. In the context of economic sanctions, the value of the ruble is falling. There is an atmosphere of panic in the Russian stock market. Russia’s reputed multi-national companies are passing through very difficult times. If the war is prolonged, then Russia’s economic back can also be broken. Which would be a very sad fact for the aspirations of Russian President Putin.
Ukraine’s response will be read a great lesson of nationality
Whatever may be the outcome of the Russia-Ukraine war, but this war will be a great lesson for nationalism on the world stage. It is possible that in the event of restlessness, Russia may launch even more horrific attacks on Ukraine or nuclear weapons may also be used. Ukraine should be completely destroyed. But the loss of national self-respect of the Ukrainian people will leave a golden mark on the world stage, which was once left by the Indian King Porus by fighting in front of Alexander. For centuries, the waves of national consciousness of the Ukrainian people will continue to radiate the divine aura of nationalism.
nationality is everything
For centuries Ukraine will keep sending the message that there is no greater force than nationality. Nothing is greater than nationality. There is no greater culture than nationalism. There is no greater energy than nationalism. Come, the people of my country, you should also recognize this national elem
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