अरबपतियों के मामले में अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे नंबर पर पहुंचा.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पिछले साल देश में अति संपन्न लोगों की संख्या में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसमें उन इंडिविजुअल को शामिल किया गया है, जिनकी संपत्ति तीन करोड़ डालर (226 करोड़ रुपये) है। शेयर बाजार में तेजी और डिजिटल क्रांति को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। अरबपतियों की संख्या की बात करें तो भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। 748 अरबपतियों के साथ अमेरिका जहां शीर्ष पर है वहीं चीन में इनकी तादाद 554 है। जबकि भारत में इनकी संख्या 145 है।

1- संपत्ति सलाहकार फर्म नाइट फ्रैंक द्वारा जारी की गई द वेल्थ रिपोर्ट-2022 में कहा गया है कि पिछले साल वैश्विक स्तर पर अति संपन्न लोगों की संख्या 9.3 प्रतिशत बढ़कर 6,10,569 हो गई, जो पिछले साल समान अवधि में 5,58,828 से थी। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में इनकी संख्या 2021 में बढ़कर 13,637 हो गई, जो कि इससे पिछले वर्ष 2020 में 12,287 थी।

2- अति संपन्न लोगों के मामले में प्रमुख भारतीय शहरों की बात करें तो इस पायदान में बेंगलुरु अव्वल है। 226 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति वाले अमीरों की संख्या वाले शहरों में सबसे अधिक 17.1 प्रतिशत के साथ बेंगलुरु, दूसरे नंबर पर दिल्ली 12.4 प्रतिशत और मुंबई नौ प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ तीसरे स्थान पर रहा। नाइट फ्रैंक ने ऐसे अमीरों की संख्या 2026 तक 39 प्रतिशत बढ़कर 19,006 होने का अनुमान लगाया है। 2016 में इनकी संख्या 7,401 थी।

3- नाइट फ्रैंक इंडिया के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा कि इक्विटी बाजार और डिजिटलीकरण ने भारत में अति संपन्न लोगों की वृद्धि में प्रमुख भूमिका निभाई है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 69 प्रतिशत अति धनी व्यक्तियों की संपत्ति में इस साल 10 प्रतिशत से अधिक के उछाल की संभावना है।

4- पिछले साल अति संपन्न लोगों ने अपनी निवेश योग्य संपत्ति का लगभग 30 प्रतिशत पहला या दूसरा घर खरीदने में निवेश किया। जबकि 22 प्रतिशत निवेश योग्य संपत्ति का प्रयोग वाणिज्यिक संपत्ति खरीदने में किया। आठ प्रतिशत संपत्ति का इस्तेमाल जहां अप्रत्यक्ष तौर पर वाणिज्यिक संपत्ति खरीदने में किया गया वहीं विदेश में प्रापर्टी खरीदने में भी आठ प्रतिशत निवेश योग्य संपत्ति का इस्तेमाल किया।

पी-नोट्स के जरिये निवेश जनवरी में घटकर 87,989 करोड़ रुपये रहा

भारतीय पूंजी बाजार में पार्टिशिपेट्री नोट्स (पी-नोट्स) के जरिये किया जाने वाला निवेश जनवरी के अंत में घटकर 87,989 करोड़ रुपये रह गया। यह दिसंबर 2021 की तुलना में कम है जब 95,501 करोड़ रुपये का निवेश पी-नोट्स के जरिये किया गया था। वहीं नवंबर 2021 के अंत में यह आंकड़ा 94,826 करोड़ रुपये रहा था।

जनवरी में किए गए कुल पी-नोट्स निवेश में 78,271 करोड़ रुपये इक्विटी में किया गया था जबकि 9,485 करोड़ रुपये बांड एवं 232 करोड़ रुपये हाइब्रिड प्रतिभूतियों में लगाए गए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि यूक्रेन संकट की वजह से विदेशी निवेशकों का नकारात्मक रुख आगे भी बना रहेगा। पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) की तरफ से पी-नोट्स उन विदेशी निवेशकों को जारी किए जाते हैं जो भारतीय शेयर बाजार में पंजीकरण के बगैर ही इसका हिस्सा बनना चाहते हैं।

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