क्या पड़ोसी यूक्रेन को समझने में चूक गया रूस?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
जिस तरह नेटो देशों को समझने में यूक्रेन से गलती हुई और वह दुनिया के चुनिंदा ताकतवर देशों में शुमार रूस से भिड़ गया और फिर सीधी जंग में अकेला पड़ गया है, उसी तरह यूक्रेन को समझने में रूस ने भी गलती कर दी। यही वजह है कि दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में गिना जाने वाला रूस तकरीबन एक सप्ताह की लड़ाई और 75 प्रतिशत फौज झोंक देने के बाद भी यूक्रेन को झुका नहीं पाया है।
हमले करना से पहले रूस को ऐसा बिल्कुल अंदाजा नहीं रहा होगा कि यूक्रेन इतनी मजबूती से उसका प्रतिरोध करेगा। एक कामेडियन से करियर शुरू करने वाले यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष जेलेंस्की की अब दुनिया कायल हो रही है। खैर, यूक्रेन से मुकाबला बेहद आसान होगा, ये सोचना रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बहुत भारी पड़ा है। अब तक रूस के 6000 सैनिक मारे जा चुके हैं।
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गौरतलब है कि कामेडियन रहे वोलिदिमीर जेलिन्सकी रूस के हमले के बाद से इतने मजबूत नजर आए हैं कि दुनियाभर में उनकी दिलेरी, उनकी राष्ट्रभक्ति, उनकी नेतृत्व क्षमता और उनकी कूटनीति की तारीफ हो रही है। वो सड़कों पर सेना की वर्दी में घूमकर अपने सैनिकों का हौसला बढ़ा रहे हैं, वो देश के हर तबके को राष्ट्रभक्ति दिखाने और हथियार उठाने को प्रेरित कर रहे हैं, वो देश छोड़कर भागने की सलाहों को दरकिनार कर जंग की विषम परिस्थिति में देश का नेतृत्व कर रहे हैं और रूसी सेना को कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
साथ ही वो जंग के बीच, कभी यूरोपियन यूनियन में यूक्रेन को शामिल करने के लिए आवेदन कर रहे हैं तो कभी यूरोपियन यूनियन को संबोधित कर रहे हैं। कभी नेटो व गैर नेटो देशों से मदद मांग रहे हैं तो कभी जी-7 की बैठक में शामिल हो रहे हैं। बहुत संभव है कि कुछ दिनों बाद ही रूस अपने पड़ोसी देश यूक्रेन को पराजित कर दे, लेकिन फिलहाल सच्चाई यही है कि यूक्रेन रूस को नाकों चने चबवा रहा है। यही वजह है कि पुतिन दिन बीतने के साथ अस्थिर दिखाई दे रहे हैं और परमाणु हमले तक की धमकी देने लगे हैं।
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पहली नजर में भले ये लगे कि नेटो देशों ने यूक्रेन को जंग में अकेला छोड़ दिया, लेकिन वास्तव में नेटो का कदम इस जंग के दौरान अब तक बेहद सधा हुआ रहा है। नेटो का एक गलत कदम पूरी दुनिया को विश्वयुद्ध में झोंक सकता है, जिसे रोकना यूक्रेन की कीमत पर बुरा सौदा कतई नहीं है। इसके बावजूद नेटो ने आर्थिक प्रतिबंधों में जिस तरह रूस को घेरा है, उसके कुप्रभाव को झेल पाना रूस के लिए आसान बिल्कुल नहीं होगा। आगे क्या होगा ये तो भविष्य के गर्भ में है, लेकिन ऐसी उम्मीद जरूर की जानी चाहिए कि ये जंग रूस और यूक्रेन तक सीमित रहे। हालांकि, रूस के साथी बेलारूस के यूक्रेन में सेना भेजने से इस बात की आशंका भी बढ़ी है कि धीरे-धीरे और भी देश दोनों खेमों में जुड़ते जाएंगे और ये जंग एक विश्वयुद्ध का रूप ले लेगी।
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