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भागलपुर ब्लास्ट में एक साथ हुआ 14 शवों का अंतिम संस्कार.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भागलपुर विस्फोट में अबतक 14 लोगों के शव मलवे के अंदर से बरामद किये गये. शुक्रवार को सभी शवों का दाह-संस्कार किया गया. लेकिन प्रशासनिक पदाधिकारी की ओर से विस्फोट में मरे लोगों को आखिरी वक्त भी सम्मान नहीं मिल पाया. श्मशान घाट पर खासकर लावारिस लाश का जैसे-तैसे दाह संस्कार कर दिया गया. इतना ही नहीं एक ही चिता पर दो शव को मिलाकर दाह संस्कार कर दिया गया. एक बच्चे के शव को नदी में बहा दिया.

एक ही परिवार के पांच सदस्यों को एक साथ दी गयी मुखाग्नि :

विस्फोट में मरे एक ही परिवार के पांच सदस्यों की चिता को परिवार में बचे अलग-अलग सदस्यों ने एक साथ मुखाग्नि दी. एक साथ लीलावती देवी, उनकी पुत्री पिंकी देवी, नाती प्रियांशु, दूसरी पुत्री आरती देवी, आरती देवी का पुत्र अयंश के शव की चिता सजायी गयी. एक साथ सजी चिता को देखकर श्मशान घाट आये परिजन समेत अन्य लोग भी गमगीन थे. ऐसे भयावह दृश्य को देख कर सभी की आंखों में आंसू आ गये.

अस्पताल में भर्ती पुत्र श्रवण ने श्मशान पहुंच दी मुखाग्नि

विस्फोट में घायल श्रवण ने मायागंज अस्पताल से कुछ देर के लिए छुट्टी लेकर अपने पिता राजकुमार साह और छोटे भाई राहुल को मुखाग्नि दी. पैर में लगे बैंडेज में श्रवण ने स्ट्रेक्चर से उठकर मुखाग्नि दी तो माहौल और गमगीन हो गया.

एंबुलेंस से शव उतारने वाला कोई नहीं

श्मशान घाट पर एंबुलेंस से शव उतारने वाला कोई नहीं था. घाटराजा ने एंबुलेंस से शव को निकाला और चिता पर लिटाया. जिनका परिजन था, उन्हें भी शव उठाने का साहस नहीं हो रहा था.

किसी को पति ने दी मुखाग्नि, तो किसी को दादा ने, सब थे स्तब्ध

पिंकी देवी की चिता को मुखाग्नि पति दीपक मंडल ने दी तो प्रियांशु को दादा पारस मंडल ने मुखाग्नि दी. लीलावती देवी को दामाद दीपक मंडल ने मुखाग्नि दी. तो आरती देवी व अयंश के शव को भी बारी-बारी से मुखाग्नि देकर चिता में आग लगा दी गयी. इधर दो-दो लावारिस लाश को एक ही चिता पर जैसे-तैसे जला दिया गया.

लावारिस लाश को ऐसे दी गयी मुखाग्नि

एक लावारिस लाश को चिता पर फेंक दिया और मुंह के बल लिटा कर जला दिया गया. इसी घटना की शिकार उर्मिला देवी की चिता को नाती विवेक कुमार ने मुखाग्नि दी तो नंदिनी देवी को उनके पति मनीष कुमार ने मुखाग्नि दी. गणेश सिंह को पुत्र राम कुमार सिंह ने मुखाग्नि दी.

काजीवलीचक के जिस मकान में यह धमाका हुआ उसका गृहस्वामी मोहम्मद आजाद है, जो घटना के बाद से फरार है. बारूद के खेल को संचालित करने वाली लीलावती की मौत इसी हादसे में हो गयी. विस्फोट इतना भयानक था कि कई किलोमीटर तक इसकी धमक महसूस की गयी.

धमाके से आस-पास के कई मकान ध्वस्त हो गये. ये धमाका केवल पटाखा बनाने के दौरान का नहीं लगता. पड़ोसियों ने भी खुलकर बयान दिये हैं कि यहां सरेआम दशहत मचाने वाला बम तैयार किया जाता था. मौके पर जांच के दौरान भी कुछ ऐसे ही साक्ष्य बरामद हुए हैं.

घर के भीतर से काफी मात्रा में कील भी बरामद हुए हैं. जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां केवल पटाखा बनाने के लिए बारूद का यूज नहीं किया जाता होगा. बल्कि अपराधियों द्वारा प्रयोग किया जाने वाले घातक बम भी बनाया जाता था. जांच के दौरान कई सारे केमिकलों की भी बरामदगी की बात सामने आ रही है. यानी यह भी स्पष्ट है कि पटाखा में इस्तेमाल किये जाने वाले विस्फोटकों को घातक बम बनाने में इन केमिकल का यूज होता होगा. डीजीपी ने भी प्रेस कांफ्रेंस में केमिकल की बात की.

मीडिया रिपोर्ट में हुई जिक्र के अनुसार, रसायन शास्त्र के जानकार बताते हैं कि भागलपुर का धमाका जिस स्तर का है वो पटाखा बनाने वाले साधारण बारूद से नहीं हो सकता. तबाही का मंजर बताता है कि ये कोई शक्तिशाली बम तैयार करने के दौरान हुई घटना से ही संभव है. यह विस्फोटक डाइनामाइट तैयार करने वाले या जिलेटिन की छड़ के कंपाउंड से ही संभव है. हालांकि इसकी जांच अभी बाकी है. इस धमाके में अब आतंकी कनेक्शन की भी जांच एटीएस के द्वारा की जा रही है.

2008 में भी इस घर में विस्फोट हुआ

लेकिन सवाल यह है कि क्या यह पहली घटना है जो पुलिस को इतनी लाशों के गिरने के बाद अब जाकर जांच करने की सूझी है. इस घर में 2008 में भी विस्फोट हुआ था. उस वक्त भी तीन लोगों की हुई थी मौत, जिनमें महेंद्र मंडल की पत्नी भी शामिल थी. इसके बाद भी यहां पर विस्फोट हुआ था. इस दौरान इन पर मामला दर्ज हुआ था. इस बार के धमाके में महेंद्र मंडल की भी मौत हुई है. लेकिन पुलिस लगातार हो रही घटना के बाद भी नींद से नहीं जाग सकी. सवाल यह सामने आता है कि यहां बारुद का इतना बड़ा खेल बीच शहरी इलाके में कैसे चल रहा था.

जिले में बिना लाइसेंस बारूद का खेल पसरा

जिले में किसी के पास भी पटाखा बनाने या बेचने का लाइसेंस नहीं है. फिर शहर के बीचोबीच काजवलीचक में विस्फोटक, बारूद और इससे जुड़े खतरनाक वस्तुओं से जुड़ा अवैध कारोबार कैसे हो रहा था. यह बड़ा सवाल है. दूसरी ओर सदर एसडीओ धनंजय कुमार ने बताया कि पटाखे बनाने या बेचने का लाइसेंस किसी को नहीं दिया गया है. काजवलीचक में हुए विस्फोट की घटना की इस एंगल से भी की जायेगी कि आखिर यह कारोबार कैसे किया जा रहा था.

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