धंधेबाजों का धंधा चौपट? निगाहें एमएलसी चुनाव पर!
नोचनें व लूटने वाले अवसरवादियों का जले कलेजे से नमस्कार स्वीकार कर रहे हैं प्रत्याशी?
फिलहाल गाल बजाऊ सरदारों की मुफ्त पूड़ी- पनीर व डीजल- पेट्रोल तथा वाहनों की सुविधा हुई बंद!
चुनावी हार-जीत में भी बोहनी व कमाई की जुगत में है प्रत्याशियों की आर्थिक कारसेवा करने वाले वोटों के ठेकेदार?
कृष्ण कुमार द्विवेदी(राजू भैया) श्रीनारद मीडिया –
बाराबंकी। विधानसभा चुनाव में मतदान के बाद दिमागदार चुनावी धंधेबाजों का धंधा मतदान के होते ही चौपट हो चुका है? फिलहाल ऐसे अवसरवादियों ने अब अपनी निगाहें आगे होने वाले एमएलसी के चुनाव पर गड़ा दी हैं! जबकि बेचारे ज्यादातर प्रत्याशी चुनाव में नोचनें व लूटने वाले इन कथित सरदारों की राम जुहार व नमस्कार भी अब जले कलेजों के साथ लेते नजर आ रहे हैं?
बाराबंकी की सभी 6 सीटों पर चुनाव का मतदान संपन्न हो चुका है । आगामी 10 मार्च को चुनाव परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे। लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा घाटा अगर किसी का हुआ है! तो वह है प्रत्याशियों को चुनाव जिताने का ठेका लेने वाले कई घाघ अवसरवादी दिमागदार? यह ऐसे सियासी तत्व है जिनकी जेब में हजारों वोट भरे पड़े रहते हैं! चुनाव के दरमियान यह प्रत्याशियों को बड़े सपने दिखाकर ऐसा अपनी जेब में रखते हैं कि बेचारा प्रत्याशी आंख खुलते- खुलते काफी कुछ इन पर लुटा चुकता है?
विश्वत सूत्रों के मुताबिक इस समय चुनाव के मौके पर विभिन्न राजनीतिक दलों सक्रिय चुनावी धंधेबाजो का धंधा फिलहाल चुनाव मतदान के बाद चौपट हो चुका है? ऐसे में इन दिमागदारों ने अब भविष्य में होने वाले एमएलसी के चुनाव पर अपनी नजरें गड़ा दी हैं? इधर बीते दो-तीन महीनों में चुनाव की बेला आई तो इन सभी दिमागदार सरदारों की चांदी ही चांदी हो गई थी। फ्री का पेट्रोल तो फ्री का डीजल?कम ही नहीं पड़ रहा था। चुनावी कार्यालय में पनीर कट रही थी। तो वही दिव्य भोजन लगातार पेटों में पचता दिखता था?
चुनाव में प्रत्याशियों को लूटने में माहिर ऐसे कई सरदारों की रंगबाजी भी गजब की थी? वाहन भी उनकी सेवा में लगा हुआ था? पनीर, पुलाव, सलाद, मुर्गा, दारू, तंदूरी रोटी, चाय ,मसाला ,पान ,सिगरेट जैसी सारी सुविधाएं तो फ्री में मिल रही थी? लेकिन हाय मतदान किया हुआ ये सारी सुविधाएं एकाएक बंद हो गई? अब वोटों के ऐसे कई ठेकेदार अथवा सरदार बेरोजगार हो गए हैं? फिर भी इनमें निराशा नहीं है! क्योंकि आशा ही इनका जीवन है? ऐसे कई सरदारों ने कहा भैया विधानसभा चुनाव संपन्न हो गया। इतने दिन मौज किया? आगे भी हम मौज करेंगे! उन्होंने कहा कि आगे एमएलसी का चुनाव है। बहुत लोग परेशान है एमएलसी बनने के लिए?
उधर दूसरी ओर चुनाव में कई राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों ने अपने साथ हुई लूट को नजदीक से महसूस किया है। कई प्रत्याशियों ने चर्चा के दौरान कहा कि ऐसा एक- एक चेहरा हमें याद है। कई ऐसे भी चेहरे याद हैं जिन्होंने बिना रुपया लिए एक कदम आगे नहीं बढ़ाया! और मेरे ऊपर एहसान भी खूब लादे? ऐसे सभी पीठ में छुरा भोंकने वाले तथाकथित वोट के सौदागर हमें हमेशा याद रहेंगे! कई प्रत्याशियों ने कहा कि ऐसे लोगों को देखकर आंखों में खून उतर आता है।सच दुश्मन दिखाई देते हैं ऐसे लोग। फिर भी जले कलेजों के साथ इनकी नमस्कार स्वीकार करनी पड़ती है? बेचारे आर्थिक कारसेवा के शिकार हुए प्रत्याशियों ने कहा कि चुनाव लड़ने के समय तो हर कोई प्रत्याशी को बस लूट ही लेना चाहता है? एक महोदय ने कहा भैया कुछ ना कहिए बस कपड़े बच गए शरीर पर ?प्रत्याशियों ने चर्चा के दौरान नाम न छापने की शर्त पर कहा किसी ने टेंट के नाम पर लूटा! किसी ने बल्ली के नाम पर तो किसी ने झंडे के नाम पर लूटा? किसी ने मोटरसाइकिल व चार पहिया वाहनों के किराए के नाम पर लूटा? किसी ने मीटिंग के नाम पर ठगा? किसी ने प्रचार के नाम पर लूटा? किसी ने वोट दिलाने के नाम पर लूट लिया? किसी ने टिकट दिलाने के नाम पर लूट लिया ?
प्रत्याशियों ने यह भी कहा कि हां कुछ ऐसे भी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता एवं अन्य सामाजिक गणमान्य नागरिक भी मिले। जिन्होंने हमसे एक रुपया भी नहीं लिया। बल्कि स्वयं अपना पैसा लगा करके मेरा प्रचार किया। ऐसे लोग हमारे लिए हमेशा सम्मानीय बने रहेंगे। उधर दूसरी ओर चुनाव में कमाई करने में माहिर जब कई घाघ सरदारों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि अभी तो हार जीत का फैसला होना है? मतगणना के दिन जो हार जाएगा उससे मतलब नहीं? जो जीत जाएगा! हम उसके गले में जीत का हार डाल देंगे!राजू भैया हम लोग बालू से तेल निकालने में माहिर हैं । हार-जीत के फैसले में भी हमारी बोहनी अथवा कमाई होगी? हमारे प्रयास जारी है। हम पर इसका कोई फर्क नहीं कि प्रत्याशी व लोग हमें क्या कहते हैं? हमारा केवल एक उद्देश्य है? हर चुनाव में नोट कमाना! फिर हमारी निगाहें आगे एमएलसी के चुनाव पर गड़ी हुई हैं? भैया देख लेना वहां भी हम चुनाव में नोट छापेंगे? और पार्टी के समर्पित लोग पार्टी के लिए बेचारे बस जूझते नजर आएंगे? ईमानदार कार्यकर्ता। बस दरी बिछाता नजर आएगा? जी हां दरी?क्या समझें?
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