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एनीमिया से गर्भवती महिलाओं को उच्च जोखिम वाले प्रसव का खतरा

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अतिरिक्त आयरन के लिए अच्छे पोषण के साथ दवाओं का करें सेवन:
एनीमिया से गर्भवती को होती है थकान, कमजोरी व हंफनी की समस्या:

श्रीनारद मीडिया‚ गया (बिहार)


महिलाओं के बेहतर स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जाना जरूरी है. एक महिला का स्वस्थ्य रहना पूरे परिवार को स्वस्थ्य रखता है. महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी समस्या एनीमिया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एनीमिया की स्थिति में रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य से कम होती है. इसकी वजह से महिला को थकान, कमजोरी, चक्कर आना और सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानी होती है. कई गंभीर रोगों के कारण भी एनीमिया होता है. एनीमिया उच्च जोखिम वाले प्रसव की स्थिति को जन्म देता है.

जिला में 64 फीसदी गर्भवती में एनीमिया:
मगध मेडिकल कॉलेज की गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ तेजस्वी नंदन ने बताया नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 5 की रिपोर्ट के अनुसार जिला में 15 से 49 वर्ष आयुवर्ग की 64 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से पीड़ित होती हैं. ऐसे में एनीमिया को सौ फीसदी तक घटाने की बहुत आवश्यकता है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियमित तौर पर गर्भवती महिलाओं की ​प्रसव पूर्व जांच की जाती है और उन्हें आवश्यक आयरन व फॉलिक एसिड की गोलियां मुहैया कराया जाता है. लेकिन कई बार गर्भवती महिलाओं द्वारा दवाओं के सेवन नियमित तौर पर नहीं करने के कारण यह समस्या हमेशा के लिए बनी रहती है. ऐसे में यह जरूरी है कि आयरन व फॉलिक एसिड दवाओं के सेवन के साथ पोषक भोज्य पदार्थ​ लिया जाना चाहिए.

आयरन की गोलियों का सेवन करना जरुरी:
गभर्वती महिलाओं को नौ माह के दौरान चार बार प्रसव पूर्व जांच कराना आवश्यक है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे—5 की रिपोर्ट के मुताबिक19 फीसदी गर्भवती महिलाएं प्रसव के 100 दिनों या इससे अधिक दिनों तक आयरन फॉलिक एसिड की गोलियां लेती हैं. वहीं सिर्फ सात फीसदी गर्भवती महिलाएं 180 दिन या इससे अधिक दिनों तक आयरन फॉलिक एसिड की गोलियों का सेवन करती हैं. एनीमिया एक गंभीर समस्या है जो गर्भवती महिलाओं के लिए सबसे अधिक खतरनाक है. यह गर्भवती महिलाओं के उच्च जोखिम वाले प्रसव वाली स्थिति बनाता है.

पोषण से अतिरिक्त आयरन की करें प्राप्ति:
पोषण की कमी के कारण होना वाला एनीमिया गर्भवती महिलाओं के साथ उसके शिशु के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. एनीमिया मातृ मृत्यु का एक सबसे प्रमुख कारण है. गर्भ में भ्रूण के सही विकास के लिए अतिरिक्त आयरन की जरूरत होती है. इसलिए उच्च आयरन वाले पोषण तत्वों जैसे पालक साग, दाल आदि के साथ आवश्यक आयरन फॉलिक एसिड की गोलियां दी जाती है. एनीमिया के लक्षणों की पहचान नियमित प्रसव पूर्व जांच से होता है. इसके अलावा सामान्य रूप से त्वचा का सफेद दिखना, जीभ, नाखूनों एवं पलकों के अंदर सफेदी, कमजोरी एवं बहुत अधिक थकावट, चक्कर आना विशेषकर लेटकर एवं बैठकर उठने में, सांस फूलना. दिल की गति तेज होना, चेहरा व पैर का सूजन आदि खून की कमी होने के पहचान हैं.

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