सतर्कता और संवाद से ही बचेगा बचपन!
डिजिटल क्रांति के दौर में बच्चों पर इंटरनेट का पड़ रहा गंभीर नकरात्मक प्रभाव
अभी घट रही घटनाएं कर रही सचेत, समाज और परिवार के स्तर पर नहीं चेते तो बच्चों का भविष्य हो जाएगा बर्बाद
✍️गणेश दत्त पाठक, मोटिवेटर एंड मेंटर, PATHAK’S IAS
श्रीनारद मीडिया :
समाज में प्रतिदिन हजारों घटनाएं घटती रहती है। परंतु कुछ घटनाएं सतर्क और सचेत करती दिखती हैं। ये ऐसी घटनाएं होती है, जिनपर यदि समय रहते सावधानी न बरती जाए तो भविष्य में बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ता है। ऐसी ही बच्चों पर इंटरनेट के दुष्प्रभाव की एक खतरनाक घटना शेखपुरा में सामने आई है, जिसके बारे में मनन चिंतन बेहद जरूरी है।
किशोरों की हरकत ने किया शर्मसार
शेखपुरा में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर एक दिल दहलाने वाली घटना सामने आई, जिसमें छह किशोरों ने मोबाइल पर पोर्न फिल्म देखने के बाद दो बच्चियों के साथ दुष्कर्म कर डाला। यह घटना अभी चार जी के दौर में सामने आई है जबकि 5 जी का दौर अभी आनेवाला है। समाज और परिवार के स्तर पर बच्चों द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल पर सतर्क नजर रखने के साथ बच्चों से संवाद की प्रक्रिया को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है। अन्यथा युवा वर्ग इंटरनेट के दुष्प्रभाव चलते तबाह हो सकता है।
कोरोना महामारी के दौर में बढ़ा इंटरनेट से जुड़ाव
इंटरनेट जानकारी का खजाना है तो तबाही का भस्मासुर भी। इंटरनेट का यदि सावधानीपूर्वक इस्तेमाल न किया जाए तो ज़िंदगी तबाह हो सकती है। कोरोना महामारी के दौर में लॉकडाउन के तले ऑनलाइन स्टडी का क्रेज बढ़ा है। साथ ही, मोबाइल के सस्ता होने और 4 जी के दौर में डाटा की सस्ती उपलब्धता से हर किशोर के हाथ में मोबाइल आ गया है। अब स्थिति यहां तक आ गई है कि आटा के समान डाटा भी जीवन की बुनियादी जरूरत बन गई है। अभी 5 जी का दौर आनेवाला है, जब तीव्र गति से डाटा का प्रवाह समाज की गति को और तीव्र कर देगा। किशोरों का मोबाइल से बढ़ता जुड़ाव समाज की हकीकत बन चुका है। लेकिन शेखपुरा जैसी घटनाएं सतर्क और सचेत करती हैं। समय रहते सचेत नहीं हुआ गया तो भविष्य में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
तबाह कर देगी इंटरनेट की लत
आज के डिजिटल दौर में बच्चों और युवाओं में बढ़ती इंटरनेट की लत, उनका भविष्य तबाह कर डालेगी। सोशल मीडिया से जुड़ाव इंटरनेट की लत को और बढ़ा रहा है। स्थिति यह उत्पन्न हो रही है कि बच्चे इंटरनेट की लत के कारण अपनी दैनिक गतिविधियों को भी ठीक तरीके से अंजाम नहीं दे पा रहे हैं। अधिकांश युवा अनिद्रा के शिकार हो जा रहे हैं। अवसाद आदि मानसिक व्याधियों के लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं। गुस्सा, चिड़चिड़ापन बचपन और युवावस्था की पहचान बनती जा रही है। समय का बर्बाद होता जाना एक आम दस्तूर बन चुका है। इंटरनेट के दुष्प्रभाव के कारण बच्चों में अश्लीलता बढ़ती जा रही है। इस तरह इंटरनेट की लत के कारण बच्चों का भविष्य तबाह होता दिख रहा है। इंटरनेट के सदुपयोग के लिए समाज और परिवार के स्तर पर तत्काल प्रयास समय की जरूरत है।
सतर्कता होगी पहली सावधानी
युवा वर्ग और बच्चों को इंटरनेट के दुष्प्रभाव जनित मानसिक विकृति से बचाने के लिए सबसे पहली भूमिका समाज और परिवार के स्तर पर सतर्कता ही हो सकती हैं। घरों में परिवार के सदस्य निरंतर निगरानी रखें कि बच्चे या युवा इंटरनेट पर क्या देख रहे हैं? घर में खुले स्थानों पर कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल के इस्तेमाल की व्यवस्था बनाई जाए। अजनबियों से चैट और ऑनलाइन मित्रों के बारें में बच्चों को सचेत करना जरूरी है। बेहतर होगा कि परिवार के सदस्य बच्चों को अच्छे जानकारियों और मोटिवेशनल साइट्स को देखने के लिए लिस्ट मुहैया कराकर उन्हें प्रोत्साहित करें। साथ ही, परिवार के स्तर पर मोबाइल और कंप्यूटर में फिल्टरिंग और ब्लॉकिंग सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है।
संवाद ही समस्या का बेहतर समाधान
मोबाइल पर हर परिवार के सदस्य के चिपके रहने से परिवार के स्तर पर संवाद में काफी कमी देखी जा रही है। यह संवाद में कमी कई समस्याओं की सबब भी बनती जा रही है। इसलिए परिवार के सदस्य आपसी संवाद में बढ़ोतरी के लिए हरसंभव जतन करें। परिवार के बड़े सदस्य स्वयं इंटरनेट से जुड़ाव को कम करें। घर में बातचीत करें। इससे बच्चों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा। बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार बच्चों की हरकतों पर नजर रखने में भी मदद मिलेगी। संवाद के माध्यम से ही बच्चों को अच्छी साइट्स देखने और समय के सदुपयोग के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
आउटडोर गतिविधियों के लिए करें प्रेरित
आजकल देखा जा रहा है कि परिवार के सदस्य बच्चों को मोबाइल देकर उनके चैन से बैठने की गारंटी पा लेते हैं। यह बेहद खतरनाक तरीका है। बच्चों को आउटडोर गतिविधियों के लिए प्रेरित करना चाहिए। उन्हें खेलने कूदने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। बागवानी, पेंटिंग, डांस, गायन, योगा आदि हॉबी के विकसित करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। आपका बच्चा एक ख्यात पब्लिक स्कूल में पढ़ता है तो यह सोचकर असावधानी न बरतें। क्योंकि ख्यात स्कूल का प्रबंधन का प्रथम दायित्व आपसे फीस वसूलना होता है न कि आपके बच्चों का नैतिक और मानसिक विकास। बच्चों को ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल तो बिलकुल न करने दें। संभव हो तो बच्चों को प्राणायाम, मेडिटेशन के लिए प्रेरित करें।
बच्चों को समय के सदुपयोग के लिए प्रेरित कर, संवाद से उनके साथ सामंजस्य बैठकर, सतर्कता बरतकर इंटरनेट के दुष्प्रभाव से बच्चों को बचाया जा सकता है। निश्चित तौर पर यह भूमिका परिवार और समाज के स्तर पर ही निभाया जाना है। समाज में बदलाव की गति निकट भविष्य में और तीव्र होनी ही है। इसलिए सतर्कता और संवाद बढ़ाना समय की मांग है ताकि देश का भविष्य उज्जवल और ऊर्जावान बन सके।
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