बेटियों के नाम पर लगवाये जाएंगे पौधे- रविशंकर
* जितना खाता उतना पौधा लगाने का रखा गया लक्ष्य
* ग्रीन हथुआ बनाने की शुरू हुई पहल
* डॉ सत्य प्रकाश के नेतृत्व में लगाएं जाएंगे पौधे
श्री नारद मीडिया हथुआ(गोपालगंज): बेटियों के नाम पर खुलने वाले सभी तरह के खातों के उपलक्ष्य पर उनके अभिभावकों को प्रेरित कर एक एक पौधा लगवाएं जाएंगे। इसके लिए सभी कर्मी प्लान तैयार कर रहे है। उक्त बातें हथुआ उप डाकघर के उप डाकपाल रविशंकर ने कैंप लगाकर बेटियों के नाम पर खुलने वाले सुकन्या समृद्धि योजना के खाता खोलते समय ग्राहकों को संबोधित करते हुए कहा। उप डाकपाल ने कहा कि डाक विभाग बेटियों के नाम पर बचत करने के लिए अच्छी योजना चला रखी है। जिससे बेटियां बड़ी होकर आत्म निर्भर बन सके। कार्यक्रम में उपस्थित पर्यावरणविद् डॉ सत्य प्रकाश ने उप डाकपाल को पौधा देकर बेटियों के अभिभावकों को पौधा लगाने और वृक्षों की सुरक्षा करने का संकल्प दिलवाया। इस अवसर पर पर्यावरणविद् ने कहा कि एक पौधा सौ पुत्रों के साथ साथ सौ पुत्री के भी समान होता है। यदि बेटियां नहीं आती तो समाज पुत्रों की कल्पना कैसे कर सकते। ऐसे में अब समय अा गया है कि एक पौधा सौ पुत्रियों के समान मानकर पौधा लगाना होगा। तभी महिलाओं का अधिकार सुरक्षित रह पाएगा। कार्यक्रम में डाकघर के प्रांगण में छायादार, फलदार व फूल के पौधे भी लगाएं गए। डाकपाल ने सुकन्या समृद्धि योजना के बारे में बताते हुए कहा कि यह सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजनाओं में शामिल है। इसके माध्यम से शून्य से दस वर्ष की बेटियों के नाम पर खाता खोला जा सकता है। जिसमें प्रति माह दो सौ पचास रुपया से लेकर अधिकतम डेढ़ लाख रुपया तक अपनी बेटी के नाम पर राशि जमा कर सकते है। जिसको 18 वर्ष बाद पढ़ाई के ख्याल से आप पचास प्रतिशत राशि निकाल सकेंगे। शेष राशि शादी के समय अधिकतम ब्याज के साथ लौटा दिया जाएगा। इन्होंने यह भी बताया कि इस योजना के माध्यम से अबतक 2732 खाता खोला गया है। जिनको पर्यावरणविद् डॉ सत्य प्रकाश के साथ प्रेरित करके पौधा लगाया जाएगा। इसपर पहल भी शुरू कर दी गई है। इन्होंने कहा कि यह सबसे अच्छी पहल होगी जब बेटियों के नाम पर खाता भी खुलेगा, पौधा भी लगेगा और हरियाली भी बचेगी। इस मौके पर प्रेमचंद्र प्रसाद, मनोज राय, शंभू प्रसाद सिंह, सुरेन्द्र मांझी, दीपक कुमार, मधुरेंद्र सिंह, नितिन प्रकाश यादव, अरुण गिरी सहित सभी कर्मी व ग्राहक आदि थे।