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29 विधायक वर्ष 2022 में फिर चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। 

29 विधायक वर्ष 2022 में फिर चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। 

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उत्तर प्रदेश की सत्रहवीं विधानसभा में चार या इससे अधिक बार विधायक बनने का गौरव हासिल करने वाले 29 माननीय वर्ष 2022 में फिर चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं। इनमें से एक ने दसवीं, दो ने नौवीं, चार ने आठवीं, तीन ने सातवीं और पांच ने छठवीं बार विधानसभा पहुंचने में सफलता पाई है। वहीं, 14 दिग्गज ऐसे हैं जो पांचवीं बार विधायक चुने गए हैं। राजनीति के ये महाबली अठारहवीं विधानसभा की शोभा बढ़ाएंगे। चुनावों में अपने राजनीतिक पराक्रम से विरोधियों को परास्त करते आए इन दिग्गजों पर समय-समय पर चलीं सियासी लहरें भी बेअसर रही है।

आजम खां दसवीं बार बने विधायक : रामपुर सीट से चुनाव जीतने वाले सपा के के कद्दावर नेता मोहम्मद आजम खां दसवीं बार विधानसभा की देहरी लांघने में कामयाब हुए हैं। आजम पहली बार 1980 में चुनाव जीतकर विधायक चुने गए थे और उसके बाद से अब तक वर्ष 1996 को छोड़कर वह सभी विधानसभा चुनावों में जीत का परचम लहराते आए हैं।

ये नौवीं बार पहुंचे विधानसभा : योगी सरकार में वित्त, चिकित्सा शिक्षा और संसदीय कार्यमंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाले सुरेश खन्ना शाहजहांपुर सीट से लगातार नौवीं बार विधानसभा पहुंचने में कामयाब हुए हैं। खन्ना पहली बार 1989 में विधायक निर्वाचित हुए थे। अखिलेश सरकार में मंत्री रहे दुर्गा प्रसाद यादव भी बतौर सपा प्रत्याशी आजमगढ़ सीट से चुनाव जीतकर नौवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं। वह पहली बार 1985 में विधायक चुने गए थे। सत्रहवीं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे राम गोविंद चौधरी और मथुरा की मांट सीट से बसपा उम्मीदवार रहे श्याम सुंदर शर्मा यदि चुनाव न हारते तो ये दोनों भी विधानसभा में अपनी उपस्थिति नौवीं बार दर्ज कराते।

आठवीं बार बने विधायक : आठवीं बार विधानसभा की शोभा बढ़ाने वालों में योगी सरकार के औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना शामिल हैं। 1991 में पहली बार विधायक चुने गए महाना ने कानपुर की महाराजपुर सीट पर अपना विजय अभियान जारी रखा। भाजपा के वरिष्ठ नेता और समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री भी आठवीं बार विधानसभा पहुंचने वाले चंद सौभाग्यशाली लोगों में शामिल हैं।

गोंडा (सुरक्षित) सीट से चुनाव जीतने वाले रमापति शास्त्री पहली बार 1974 में छठवीं विधानसभा में सदस्य निर्वाचित हुए थे। योगी सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रहे जय प्रताप सिंह ने भी सिद्धार्थनगर की बांसी सीट पर अपना दबदबा बरकरार रखा और आठवीं बार विधानसभा पहुंचने में सफल हुए। हरदोई की बालामाऊ सीट पर जीत दर्जकर आठवीं बार विधानसभा पहुंचने में भाजपा के रामपाल वर्मा भी कामयाब रहे।

सातवीं बार के माननीय : कुंडा सीट पर रघुराज प्रताप सिंह का विजय रथ वर्ष 1993 में जो दौड़ा तो अब तक रुका नहीं है। वह इस सीट से लगातार सातवीं बार विधायक चुने गए हैं। छह बार वह निर्दल प्रत्याशी की हैसियत से जीते तो इस बार उन्होंने अपनी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के बैनर तले चुनाव लड़ा। संभल सीट से चुनाव जीतकर आए इकबाल महमूद भी उन बड़े लड़ैया में शुमार हैं जो सातवीं बार माननीय बने हैं। वह मुलायम और अखिलेश सरकारों में मंत्री रहे। गोरखपुर की कैंपियरगंज सीट पर हुए चुनावी दंगल में बतौर भाजपा प्रत्याशी विरोधियों को चित करने वाले फतेह बहादुर सिंह भी सातवीं बार विधानसभा पहुंचे हैं।

इन्होंने लगाया जीत का छक्का : जसवंतनगर सीट से सपा के चिह्न पर चुनाव जीतने वाले प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव, अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से चुनाव जीतने वाले पूर्व मंत्री लालजी वर्मा व अंबेडकरनगर सीट पर विजय हासिल करने वाले पूर्व मंत्री रामअचल राजभर, अमरोहा सीट पर कब्जा बरकरार रखने वाले महबूब अली और शाहजहांपुर की पुवायां सीट से जीते चेतराम छठवीं बार विधायक चुने गए हैं।

ये पांचवीं बार बने विधायक

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