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चैत्र मास में हैं कई त्‍योहार.

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चित्रा नक्षत्र के कारण चैत्र मास.

भगवान राम के अवतरण के कारण चैत्र मास को सनातन धर्म में महत्वपूर्ण माना गया.

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

चैत्र मास को अमूमन नवरात्रि के लिए ही जाना जाता है जबकि सनातन धर्म में चैत्र मास में लगभग सभी तिथियों पर कोई न कोई विशेष पर्व होता ही है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम को ये मास इतना अधिक प्रिय था कि उन्होंने अवतरण के लिए इसी मास की नवमी तिथि को चुना था। जिसे रामनवमी के नाम से लोग मनाते हैं। इस मास में किया गया स्नान दान मुक्ति के द्वार खाेलता है। आनंद रामायण में इस मास की विशेष महिमा बताई गई है।

हिंदू नववर्ष का आरंभ चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होता है। इसी के साथ गर्मी भी बढ़ जाती है। आयुर्वेद में कहा गया है कि चैत्र महीने में आहार एवं जीवन शैली से जुड़ी कई सावधानी रखना चाहिये। इस महीने में शीतला सप्तमी पर ठंडा भोजन करने की परंपरा चली आई है। माना जाता है कि जब अमावस्या के बाद चन्द्रमा मेष राशि व अश्विनी नक्षत्र में प्रकट होकर रोज बढ़ता हुआ 15 वें दिन चित्रा नक्षत्र में पूर्ण होता है, तब वह मास चित्रा नक्षत्र के कारण चैत्र कहलाता है।

चैत्र मास के प्रमुख त्‍योहार

शीतला सप्तमी 24 मार्च, गुरुवार

सप्‍तमी पर शीतला देवी की पूजा की जाती है। सभी घरों में भोजन नहीं पकाया जाता, बल्कि एक दिन पहले बनाया भोजन ही ग्रहण किया जाता है। अष्टमी तिथि पर भी यह पर्व कुछ स्थानों पर मनाए जाने की पंरपरा है।

पापमोचनी एकादशी 28 मार्च, सोमवार

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने का विशेष महत्‍व है। इस एकादशी पर व्रत रखा जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि ऐसा करने से मनुष्‍य के समस्‍त पापों का नाश होता है।

प्रदोष व्रत 29 मार्च, मंगलवार

इस दिन शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखा जाता है एवं पूजा की जाती है। मंगलवार को होने से यह व्रत मंगल प्रदोष कहलाता है।

चैत्र अमावस्या 1 अप्रैल, शुक्रवार

यह मूल रूप से चैत्र मास की अमावस्या है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण किए जाते हैं। कई तीर्थ स्थानों पर इस दिन धार्मिक पर्व के मेले भी लगते हैं।

गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल, शनिवार

इस दिन से हिंदू नववर्ष का आरंभ होता है। यह पर्व देश के कई हिस्सों में पृथक नामों एवं परंपरा से मनाया जाता है।

चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल, शनिवार

इस साल चैत्र नवरात्रि 2 से 11 अप्रैल तक रहेगी। हिंदू नववर्ष की पहली नवरात्रि यही होती है। इसे बड़ी नवरात्रि भी कहा जाता है। इन 9 दिनों में देवी के विभिन्‍न रूपों की पूजा की जाती है।

गणगौर तीज 4 अप्रैल, मंगलवार

इस दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा का महत्‍व है। इस पर्व को हम ईसर-गौर भी कहते हैं। यह पर्व मुख्य रूप से राजस्थान और इसके समीप के क्षेत्रों में मनाया जाता है।

श्रीराम नवमी 10 अप्रैल, सोमवार

यह दिन भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। सुबह से ही नगर के सभी राम मंदिरों को सजाया जाता है और विशेष धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं। यह चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन है।

कामदा एकादशी 12 अप्रैल, मंगलवार

इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है एवं व्रत रखा जाता है।

हनुमान प्रकटोत्सव 16 अप्रैल, शनिवार

इस साल 16 अप्रैल को संकट मोचन महाप्रभु श्री हनुमान जी महाराज का जन्‍मोत्‍सव है। यह पर्व देश व दुनिया में हनुमान जी के प्रकटोत्‍सव के रूप में मनाया जाएगा। समस्‍त मंदिरों में हवन सहित धार्मिक आयोजन होंगे। हनुमान जी की विशेष आराधना की जाएगी।

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