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  गया जिला में बीते साल टीबी रोग के 7180 मरीज हुए चिह्नित  - श्रीनारद मीडिया

  गया जिला में बीते साल टीबी रोग के 7180 मरीज हुए चिह्नित 

गया जिला में बीते साल टीबी रोग के 7180 मरीज हुए चिह्नित

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24 मार्च: विश्व टीबी दिवस  पर विशेष
पोषण योजना से टीबी मरीजों तक पहुंचे 1.2 करोड़ रुपये:
टीबी की जांच के लिए प्रखंड स्तर पर सुविधा है मौजूद:
मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल नोडल ड्रग रेसिंटेंट सेंटर:

श्रीनारद मीडिया, गया (बिहार):


24 मार्च को विश्व टीबी दिवस है। जिला में स्वास्थ्य विभाग द्वारा टीबी की रोकथाम और बचाव के लिए जनजागरूकता लाने का काम किया जा रहा है। टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत ट्यूबरक्लोसिस के लक्षणों की जांच कर संभावित मरीजों को चिह्नित कर, उपचार तथा निक्षय पोषण योजना का लाभ पहुंचाया गया है। जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ पंकज कुमार सिंह ने बताया जिला सहित प्रखंड स्तर पर टीबी के मरीजों को चिह्नित करने का काम किया जा रहा है। मरीजों को उपचार की सुविधा मुहैया कराने के साथ उन्हें पोषण की राशि सीधे बैंक खाते में भेजी गयी है।

वर्ष 2021 में टीबी मरीज के रूप में 7180 लोग हुए चिह्नित:
जिला यक्ष्मा विभाग द्वारा दर्ज आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में कुल 7180 लोग टीबी मरीज के रूप में चिह्नित किये गये। आमस प्रखंड में 259 टीबी मरीज, अतरी प्रखंड में 28, बांकेबाजार प्रखंड में 44, बाराचट्टी में 127, बेलागंज में 47, बोधगया में 233, डोभी में 136, डुमरिया में 84, फतेहपुर में 286, गुरारू में 93, गुरुआ में 74, इमामगंज में 321, खिजरसराय में 69, कोंच में 50, मानपुर में 466, मोहनपुर में 108, मोहरा में 41, नीमचक बथानी में 24, परैया में 21, शेरघाटी में 415, सदर में 3838, टिकारी में 278, टनकुप्पा में 53 तथा वजीरगंज में 85 लोगों को टीबी मरीज के रूप में चिह्नित किया गया। जनवरी—दिसंबर 2021 में जिला में कुल 8240 लोगों की टीबी जांच तथा मरीज के रूप में चिह्नित करने का लक्ष्य निर्धारित था। जिसमें 7180 जांच कर टीबी मरीज के रूप में लक्ष्य का 87 फीसदी प्राप्त किया गया।

निक्षय पोषण योजना से लाभुकों तक पहुंचे 1.2 करोड़ रुपये:
टीबी रोग का एक बड़ा कारण कुपोषण है। बेहतर खानपान नहीं होने तथा शराब और तंबाकु आदि के सेवन का टीबी के संभावित लक्षणों वाले लोगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। टीबी मरीजों में कुपोषण को बढ़ने से रोकने के​ लिए निक्षय पोषण योजना के तहत मरीज के बैंक खाता में 500 रुपये प्रतिमाह भेजे जाते हैं। बीते वर्ष में जिला में निक्षय पोषण योजना के तहत एक करोड़ से भी अधिक राशि चिह्नित टीबी मरीजों के खातों में भेजे गये।

मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल नोडल ड्रग रेसिटेंट टीबी सेंटर:
टीबी की रोकथाम व इलाज के लिए राज्य में 6 नोडल ड्रग रेसिटेंट टीबी सेंटर बनाये गये हैं। इनमें मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी शामिल है। इसके अलावा अन्य पीएमसीएच और आईजीआईएमएस सहित जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय भागलपुर, श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल मुजफ्फरपुर, दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय भी शामिल हैं। राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम के तहत आधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीकों का विस्तार किया गया है। इसमें डीसीटी लैब, सीबीनेट, ट्रूनेट मशीन से टीबी की नि:शुल्क जांच की सुविधा प्रदान की गयी है।

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