ये चूक है, गंभीर चूक, इस चूक को स्वीकारिये हुजूर!
मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगी एजेंसियों को बख्तियारपुर की घटना पर गंभीर मंथन करना चाहिए, सुरक्षा प्रबंध को और पुख्ता करने की कवायद में जुट जाना चाहिए
✍️गणेश दत्त पाठक, स्वतंत्र टिप्पणीकार :
बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार पर रविवार को एक युवक द्वारा धक्का देने के प्रयास का हैरतंगेज मामला सामने आया है। मामले के वायरल वीडियो ने मुख्यमंत्री की सुरक्षा में गंभीर चूक को जगजाहिर कर दिया है। युवक की जो भी मानसिक स्थिति रही हो लेकिन वीडियो में जिस तरह युवक मुख्यमंत्री के निकट पहुंचता दिखाई दे रहा है। वह आश्चर्यजनक है। सुरक्षा घेरे को आसानी से पार करता युवक मुख्यमंत्री के पास तो पहुंच जा रहा है लेकिन सुरक्षा एजेंसी की सतर्कता की पोल खुल जाती है। यह एक आम घटना नहीं है। सुरक्षा एजेंसियों को इस चूक को स्वीकार कर इस घटना पर व्यापक मंथन, मनन करना चाहिए तथा भविष्य में मुख्यमंत्री की सुरक्षा को चाक चौबंद रखने के हरसंभव प्रयास करने चाहिए।
अभी हाल के दिनों में अति महत्वपूर्ण व्यक्तियों के सुरक्षा में चूक के कई मामले सामने आ चुके हैं। अभी कुछ दिनों पूर्व ही देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के समय पाकिस्तान से जुड़ी अंतराष्ट्रीय सीमा के काफी निकट पुल पर उनके काफिले के फंस जाने की बेहद गंभीर घटना सामने आई थी। घटना के बाद चुनावी महासंग्राम को देखते हुए सियासी आरोप प्रत्यारोप के दौर केंद्र राज्य में खूब चले थे। लेकिन यह घटना तो बिहार में हुई और वो भी बिहार के मुख्यमंत्री के साथ।
घटना को लेकर सियासी मजे भी लिए जा सकते हैं। युवक के विक्षिप्त होने की बात भी सामने आ रही है। मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार का दयाभाव भी सामने आ रहा है। परंतु घटना सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना करने के लिए भी काफी है। जरा अंदाज लगाएं उस युवक के पास कोई हथियार होता या यदि वह कोई आतंकी होता तो फिर क्या होता?
वायरल वीडियो को देखने पर विदित होता है कि युवक आसानी से सुरक्षा घेरे को पार कर मुख्यमंत्री के पास पहुंच जाता है। मुख्यमंत्री से धक्का मुक्की करता है। फिर मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मी उस व्यक्ति पर टूट पड़ते हैं। लेकिन ध्यान दें कि कुछ पल के लिए मुख्यमंत्री अकेले पड़ जाते हैं। मान लीजिए उस समय कोई दूसरा असामाजिक तत्व वहां मौजूद होता तो.. मुख्यमंत्री की सुरक्षा में यह बेहद गंभीर चूक का मसला है। मुख्यमंत्री की सुरक्षा में लगी सुरक्षा एजेंसी को इस चूक से सबक लेकर अपने तैयारी को और फूलप्रूफ बनाने के कवायद पर ध्यान देना चाहिए और बेहद प्रोफेशनल उपागम को अपनाना चाहिए। इस मामले के एक एक पहलू की जांच हो, एक एक खामी की पड़ताल होना चाहिए। चूक के हर जिम्मेदार पर सख्त कार्रवाई होना चाहिए।
निश्चित तौर पर इसे सियासी माहौल में कई नजर से देखा जायेगा। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को इस घटना के एक एक परत को टटोलना चाहिये। इसके पहले ही देश अपने दो दो प्रधानमंत्रियों को ऐसे ही चूक के चलते खो चुका है तो सुरक्षा एजेंसियों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इसलिए सुरक्षा एजेंसियां चूक को स्वीकार करें और बेहतर सुरक्षा प्रबंधन की गंभीर कवायद में तत्काल जुट जाएं।
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