नल से पानी तो लीक हो जाता है लेकिन ये कागज का पेपर कैसे लीक हो जाता है पापा?
पेपर लीक होने की घटना पर मासूम बेटे ने दागे पिता से सवाल
पेपर के लीक होने की घटना व्यवस्था पर उठा जाती है अनगिनत सवाल, जिसके बस जवाब नहीं मिल पाते
✍️ गणेश दत्त पाठक, स्वतंत्र लेखक :
श्रीनारद मीडिया *
सुबह का समय था। मैं अखबार पढ़ रहा था। मेरे बगल में बैठे मेरे सुपुत्र सुयश (उम्र आठ वर्ष) भी अखबार ही पढ़ रहे थे। तभी सुयश की नजर यूपी बोर्ड में बोर्ड परीक्षा में पेपर लीक की एक फॉलोअप खबर पर पड़ी। उनका चंचल मन व्यग्र हो गया।… और पूछ ही पड़े, पापा नल से तो पानी लीक हो सकता है, बोतल से तेल भी लीक हो सकता है, फिर यह परीक्षा में पेपर कैसे लीक हो जाता है? पेपर तो कागज का बना होता है! फिर वह कैसे लीक हो जाता है?
बचपन का यह मासूम सवाल मुझे भी उद्वेलित कर गया। मैं सोच रहा था कि पता नहीं भविष्य में इन नौनिहालों को किस तरह के तिकड़म का सामना करना पड़ेगा? अभी तो चार जी के दौर में ही हालत ऐसी है कि कब कौन सी परीक्षा रद्द हो जाए कहां नहीं जा सकता? फिर आगे 5जी 6जी, 7जी के दौर में पता नहीं क्या होगा? उस समय तिकड़म किस स्तर तक पहुंच जाएगा कहा नहीं जा सकता है? फिर भी पेपर लीक कैसे होता है, इसके दुष्परिणाम क्या होते हैं यह बताना जरूरी भी था।
फिर मैंने बताया कि सफलता हासिल करने के दो तरीके होते हैं। एक जब कठोर परिश्रम, सुनियोजित रणनीति के साथ समर्पित तरीके से तैयारी किया जाए और परीक्षा दिया जाए तथा अपने क्षमता और परिश्रम के बल पर सफलता हासिल किया जाए। एक दूसरा तरीका यह होता है कि तिकड़म लगाकर परीक्षा के प्रश्नों को जानकारी परीक्षा के पूर्व ही कर लिया जाए। इसके लिए परीक्षा सम्पन्न कराने में कुछ लोग कार्मिकों के नैतिक विहीन आचरण से तथा शिक्षा माफिया द्वारा दी गई लालच से परीक्षा के प्रश्न पत्रों को परीक्षा के पूर्व ही रुपया लेकर प्रसारित कर दिया जाता है। इसी को पेपर का लीक होना कहते हैं।
इतना जानने के बाद सुयश बेहद मासूम अंदाज में कह उठते हैं परंतु पापा ये तो बहुत गलत होता हैं न?
मैंने बेटे को तथ्य की समझ देखते हुए प्रत्युत्तर दिया कि हां ये बेहद गलत है। तिकड़म के आधार पर मिली सफलता चोरी के समान अनैतिक होती हैं। इसके कारण कई मेहनती विद्यार्थियों का भविष्य भी बर्बाद हो जाता है। मेहनत के बावजूद सफलता नहीं मिलने पर कई छात्र निराशा के भंवरजाल में फंस जाते हैं। पेपर लीक के मामले सामने आने पर कई बार परीक्षाएं भी रद्द हो जाती है। जिसके कारण जनता के धन की बड़े पैमाने पर बरबादी होती है। साथ ही, कई निर्धन छात्र ऐसे भी होते हैं जो बड़ी कठिनाई से संसाधन एकत्र कर परीक्षा देने जाते हैं। उनके लिए तो दूसरी परीक्षा देना किसी वज्राघात से कम नहीं होता है। साथ ही, प्रशासनिक अधिकारियों का समय भी जाया होता है। इस तरीके से सफल छात्र भी आगे की जिंदगी में नैतिक नहीं रह पाते हैं। समाज से नैतिकता का अभाव होने पर अन्य कई समस्याएं भी उत्पन्न होती है।
नहीं पापा, पेपर लीक तो बहुत खराब चीज है, परंतु ये होता क्यों हैं? सरकार कुछ करती क्यों नहीं है? मुझे लगा की मासूम बचपन अब पेपर लीक के रहस्य को समझ रहा है! तो फिर मैं आगे बोला कि सरकार द्वारा चाहे बोर्ड की परीक्षा हो या किसी प्रतियोगिता परीक्षा की बात हर परीक्षा के सफल संचालन के लिए पुख़्ता व्यवस्थाएं बनाई जाती है। परीक्षा लेनेवाले संगठनों से बेहद सुरक्षित अंदाज में प्रश्नपत्रों को बैंक या अन्य सुरक्षित स्थानों पर भेजा जाता है। लेकिन प्रश्नपत्रों के वितरण के दौरान परीक्षा माफियाओं की हरकतों और कुछ कार्मिकों के कारनामों से परीक्षा के पूर्व ही प्रश्नपत्र बाहर आ जाते हैं। आज के दौर में सोशल मीडिया और डिजिटल क्रांति के दौर में फटाफट प्रश्नपत्र एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच जाते हैं। जिसे शिक्षा माफिया मुंहमांगी दाम पर बेचकर करोड़ों रुपए कमा लेते हैं। लोग भी कुअवसर का लाभ उठाने में पीछे नहीं रहते हैं। लालच से शिक्षा माफिया को भी मदद और प्रोत्साहन मिलती हैं।
अब सुयश परेशान हो चुके थे। उन्होंने मासूम अंदाज में पूछा पापा पेपर लीक करनेवालों को पुलिस क्यों नहीं पकड़ लेती है? मुझे महसूस हुआ की बचपन अब अपने भविष्य को लेकर सतर्क हो चुका है। मैने कहा कि कई परीक्षाओं में पेपर लीक के मामलों की जांच पुलिस और अन्य एजेंसियों द्वारा की जा रही हैं। परंतु जांच में काफी लंबा समय लग जाने के कारण कोई गंभीर कारवाई नहीं हो पाती है।
इससे सुयश निराश दिखे। और बोल पड़े भला तिकड़म से पास होना भी कोई पास होना है! पढ़ो और सही तरीके से परीक्षा देकर रिजल्ट निकालो तो ही न बात बने। मैं अचंभित था और सोच रहा था कि काश सभी ऐसा सोच पाते तो कागज का पेपर भी लीक नहीं होता….
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