क्या पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता में अमेरिका की कोई भूमिका है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अपनी कुर्सी बचाने के आखिरी प्रयास में जुटे हैं। इस क्रम में उन्होंने जनता के समक्ष अपनी बात रखी। इमरान ने पाकिस्तान के मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि उनकी स्वतंत्र विदेश नीति अमेरिका को हजम नहीं हो रही है। इस लिए वह अमेरिका के आंखों में खटक रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि क्या सच में पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के लिए अमेरिका जिम्मेदार है। या पाकिस्तानी प्रधानमंत्री अपनी कुर्सी बचाने के लिए यह नया पैतरा चल रहे हैं
1- प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान अपनी कुर्सी बचाने के लिए यह सारे उपक्रम कर रहे हैं। इसी क्रम में वह कभी अमेरिका के साथ भारत की तारीफ कर रहे हैं तो कभी निंदा कर रहे हैं। प्रो पंत ने कहा इमरान ने कहा कि पाकिस्तान की विदेश नीति कभी स्वतंत्र नहीं रही है। यही कारण है कि इमरान खान ने चीन में उइगर मुसलमानों के अत्याचार का जिक्र नहीं किया। इमरान की चिंता सिर्फ धर्मनिरपेक्ष भारत में रह रहे मुस्लिमों को लेकर ही रही। पाकिस्तान का चीन के प्रति झुकाव खटकता है। पाकिस्तान की विदेश नीति चीन का समर्थन करती है।
2- प्रो पंत ने कहा कि इमरान खान विपक्ष और देश के आम नागरिकों का ध्यान भटकाना चाहते हैं। वह इस फिराक में हैं कि देश में अविश्वास प्रस्ताव से लोगों का ध्यान हटे। इसलिए वह आंतरिक मामले से वैदेशिक मामलों को हथियार बनाना चाहते हैं। इमरान खान चीन के दबाव में हैं। उन्होंने कहा कि यह अचरज की बात नहीं कि वह चीन के उकसावे में आकर अमेरिका पर निशाना साध रहे हो। पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता को अमेरिका के लिए उत्तरदायी बनाने के पीछे चीन की साजिश हो सकती है।
3- उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अमेरिका की दिलचस्पी पाकिस्तान में कम हुई है। अमेरिका की पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में ज्यादा रुचि नहीं है। अमेरिका ने पाकिस्तान से अपनी फौजों को भी बाहर निकाल लिया है। अब अमेरिका के लिए पाकिस्तान की सामरिक उपयोगिता कम हुई है। इस समय अमेरिका का पूरा ध्यान यूरोप, पूर्वी एशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, भारत और आस्ट्रेलिया पर है। इसके उलट पाकिस्तानी सेना के लिए अमेरिका अब भी बेहद खास है। इसकी बड़ी वजह यह है कि पाकिस्तानी सेना के पास ज्यादातर हथियार अमेरिका निर्मित हैं। पाकिस्तानी वायु सेना के पास अमेरिकी एफ-16 लड़ाकू विमान है। इस पर पाकिस्तान की सेना इतराती है। इसलिए पाकिस्तान की सेना अमेरिका से बेहतर राजनीतिक संबंध चाहती है।
4- पाकिस्तानी सेना यह कतई नहीं चाहती कि अमेरिका से रिश्ते खराब हो। सेना इमरान की अमेरिका विरोधी नीति से नाराज है। इसलिए अब सेना भी चाहती है कि इमरान सरकार सत्ता से बाहर जाए। उन्होंने कहा कि अमेरिका महाशक्ति है। पाकिस्तानी सेना यह जानती है कि रावलपिंडी के लिए अमेरिका और पश्चिम देश बहुत जरूरी हैं। सेना को विश्वास है कि इमरान खान के सत्ता से हटने के बाद अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार होगा। चीन के साथ पाकिस्तान के रिश्ते जैसे हैं वैसे ही रहेंगे। इसमें कोई बदलाव होने वाला नहीं है।
5- उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास ऐसा कोई ठोस कारण नहीं है कि वह पाकिस्तान की घरेलू राजनीति में दिलचस्पी ले। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के राजनीतिक हालात के पीछे विदेशी ताकतों के होने की कहानी बहुत विश्वसनीय नहीं लगती है। इमरान खान अमेरिका के विरोध में मुखर रहे हैं। वह पाकिस्तान में अमेरिका के ड्रोन हमलों का विरोध करते रहे हैं। इसलिए वह पाकिस्तान की स्वतंत्र विदेश नीति की वकालत करते रहे हैं। इमरान सरकार और अमेरिका के बीच रिश्ते भी बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। अभी वो अमेरिका को ही राजनीतिक हालात के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
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