पंजाब में बन रही है तीन मस्जिदें,क्योंकी केरल की संस्था ने कश्मीर से डायवर्ट किया है फंड.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 50 किलोमीटर के दायरे में तीन मस्जिदों के निर्माण में कश्मीर के रास्ते हुई फंडिंग के बाद सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। केरल की संस्था रिलीफ एंड चैरिटेबल फाउंडेशन आफ इंडिया (आरसीएफआइ) ने 2019 में जिले के फरीदकोट, जैतो व मत्ता अजीत सिंह गिल में तीन मस्जिदों का निर्माण करवाया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि संस्था ने विदेश में रह रहे लोगों या संगठनों से प्राप्त धन को कश्मीर के बारामूला के दो लोगों के माध्यम से फरीदकोट भेजा।
रिपोर्ट के अनुसार आरसीएफआइ ने पंजाब की बार्डर बेल्ट (पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर व फाजिल्का) समेत देश के कुछ और हिस्सों में भी मस्जिद निर्माण के लिए 70 करोड़ रुपये का अंतरराष्ट्रीय फंड हासिल किया। इस रिपोर्ट के बाद राज्य व केंद्र की सुरक्षा एजेंसियां फरीदकोट के अलावा अन्य जिलों में भी संस्था की गतिविधियों पर नजर रख रही हैं।
पंजाब के फरीदकोट स्थित बाबा फरीद गोसिया मस्जिद में रिलीफ एंड चैरिटेबल फाउंडेशन आफ इंडिया की तरफ से लगाया गया शिलापट्ट।
फरीदकोट स्थित बाबा फरीद गोसिया मस्जिद की देखरेख करने वाले बरकत अली व टेक चंद ने बताया कि 2018 में उनके पास बठिंडा के इमाम मौलाना हाजी रुजमान दो-तीन बार आए थे। उन्होंने कहा कि एक संस्था उन्हें निश्शुल्क मस्जिद बनाकर देगी। हमें जमीन देने के लिए कहा गया था। हमने 10 लाख रुपये का चंदा इकट्ठा कर जमीन खरीदी और रजिस्ट्री केरल की संस्था आरसीएफआइ के सदस्य सलीम को सौंप दी। इसके बाद यहां मस्जिद का निर्माण हुआ। अब संस्था कह रही है कि पंजाब में उसकी कोई इकाई नहीं है। हालांकि, मस्जिद के अंदर लगे नींव पत्थर में भी संस्था का नाम लिखा है।
बठिंडा के इमाम के कहने पर संस्था काे दी जमीन
मस्जिद की देखरेख करने वाले प्रधान टेकचंद व (दाएं) बरकत अली।
उद्घाटन पटिट्का पर मस्जिद उमरबीन खरताब लिखा है, जबकि यहां सब इसे बाबा फरीद गोसिया मस्जिद ही कहते हैं। बरकत अली व टेकचंद ने बताया कि मस्जिद में एक मौलाना कार्यरत हैं, जिसका वेतन वक्फ बोर्ड दे रहा है। संस्था को कहां से फंडिंग हुई, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने तो बठिंडा के इमाम मौलाना हाजी रुजवान के कहने पर संस्था को जमीन दी थी। पौने सात लाख की आबादी वाले फरीदकोट जिले में मुस्लिमों की आबादी लगभग दो हजार है।
केंद्र ने पिछले वर्ष लगाई थी फंडिंग पर रोक
यह बात भी सामने आई है कि केंद्रीय गृह मंत्रलय ने अगस्त, 2021 में इस संस्था की फंडिंग पर रोक लगा दी थी और विदेशी चंदा प्राप्त करने का लाइसेंस निलंबित कर दिया था। वहीं, आरसीएफआइ की वेबसाइट के मुताबिक यह वर्ष 2000 में स्थापित एक प्रमाणित गैर-सांप्रदायिक संगठन है। इसमें मस्जिदों के निर्माण की बात का उल्लेख नहीं है। वेबसाइट के मुताबिक आरसीएफआइ का मुख्य कार्य पिछड़े समुदायों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है। फंडिंग के लिए इसे 24 राज्यों से समर्थन मिला है।
सल्फी और बहावी विचारधारा से प्रभावित
जम्मू: आरसीएफआइ का कश्मीर से नाता पुराना है। 2014 की बाढ़ के दौरान संस्था ने कश्मीर में कई स्थानीय संगठनों के साथ मिलकर राहत कार्य चलाए थे। श्रीनगर, बारामुला व पुंछ में कुछ स्कूलों का संबंध इसी संस्था से है और उनके संचालक व अधिकांश अध्यापक भी केरल से ही हैं। संस्था से जुड़े लोग इस्लाम की सल्फी और बहावी विचारधारा से प्रभावित हैं। कतर की एक संस्था ईद चैरिटी भी आरसीएफआइ को फंडिंग करती है। ईद चैरिटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस्लामिक आतंकवाद को प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से वित्तीय मदद प्रदान करने के अलावा बहावी विचारधारा के प्रसार में खुलकर शामिल है।
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