अच्छे स्वास्थ्य के बिना, संसार के सब सुख व्यर्थ हैं–डॉ अविनाश चन्द्र.

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विश्व स्वास्थ्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

दुनियाभर में लाखों की संख्या में लोग आज कई बड़ी बिमारियों से जूझ रहे हैं. जिसमें मलेरिया, हैजा, टीबी, पोलियो, कुष्ठ, कैंसर और एड्स जैसी घातक बिमारी शुमार हैं. दुनियाभर के लोगों को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से स्वस्थ बनाने के लिए जागरुक करना ही इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस के जरिए लोगों को अपने स्वास्थ्य की देखभाल और इसके लिए जागरुक रहना सीखाया जाता है।

आपके भौतिक जीवन की सुरक्षा के लिए आपको गर्मी भी चाहिए और ठंडक भी। दोनों की आवश्यकता है। समय-समय पर दोनों का लाभ लेना पड़ता है। यदि आप जीवन में गर्मी और ठंडक का संतुलन बना कर चलेंगे, तो आपका भौतिक जीवन सुरक्षित रहेगा। रोगी होने आदि अनेक समस्याओं से बच जाएंगे। यदि किसी भी क्षेत्र में अति करेंगे, चाहे गर्मी के क्षेत्र में, चाहे ठंडक के क्षेत्र में, तो अति करने से आप को हानि हो सकती है।

इसी प्रकार से दूसरों के साथ उत्तम व्यवहार करने में, जिन गुणों की आवश्यकता होती है, नम्रता सभ्यता स्वाभिमान इत्यादि। इनका भी जीवन में संतुलन बना कर चलना चाहिए। जो लोग जीवन में इन गुणों का संतुलन बना कर चलते हैं, वे नम्रता और सभ्यता आदि गुणों को साथ रखते हुए स्वाभिमान पूर्वक जीवन जीते हैं। ऐसे लोग अपने जीवन में सुखी होते हैं अर्थात नम्रता और सभ्यता आदि गुण जीवन में अवश्य होने चाहिएं, परन्तु इनके क्षेत्र में भी अति नहीं करनी चाहिए।

यदि आप अति नम्रता के क्षेत्र में चले गए, तो आपका स्वाभिमान खो जाएगा। और यदि अति अभिमान के क्षेत्र में चले गए, तो नम्रता सभ्यता आदि खो जाएंगे। तब जीवन में कठिनाइयां समस्याएं और दुख उत्पन्न हो जाएंगे। हो सकता है, कि दुष्ट लोग आपका जीवन जीना ही मुश्किल कर दें। कहीं आप स्वयं को ही न खो बैठें।

आत्म सम्मान को खोकर नम्रता और सभ्यता आदि गुणों से जीवन जीने में बुद्धिमत्ता नहीं है। इसलिए इन दोनों (नम्रता सभ्यता, तथा स्वाभिमान) का समन्वय या संतुलन करना आवश्यक है। जीवन में इनका संतुलन बना कर चलें, और सदा प्रसन्न रहें।

 

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