1600 ई. पुराना है सीवान का प्रसिद्ध गढ़ देवी मंदिर का इतिहास.

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मान्यता है की इस मंदिर में राजा देते थे नरबलि

बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे का है यह पैतृक गांव

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सीवान के महाराजगंज प्रखंड का बलिया गांव गढ़ देवी के नाम से विख्यात है। यहां माता रानी के दर्शन करने के लिए राज्य के अलग-अलग हिस्सों से श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। गढ़ देवी को लेकर यहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि उनकी उत्पत्ति सन 1600 ई.पूर्व दो राजाओं ने की थी। हीरा सिंह और धीरा सिंह नामक दो राजाओं ने अपने गढ़ पर देवी मां की पूजा अर्चना करते थे। अपनी मन्नत सिद्ध कराने के लिए दोनों राजा अपने पुत्रों का गला काटकर उनके चरणों मे समर्पित कर देते थे। राजाओं के इतनी बड़ी कुर्बानी को देख माता रानी प्रसन्न होती थी और उनके पुत्रों को जिंदा करने के बाद उनके द्वारा मांगी गई सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती थी।

दोनों राजाओं का 7 मंजिल ऊंचे टीले पर गढ़ था

स्थानीय निवासी दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि जंगल झाड़ियों के बीच दोनों राजाओं का 7 मंजिल ऊंचे टीले पर गढ़ था। इससे घुसपैठियों के आने की जानकारी उन्हें दूर से ही चल जाती थी। आज भी लोग बताते है की मंदिर के नीचे गहरी गुफा में 24 घंटे दीपक जलता रहता है। समय बीतने के साथ-साथ राजाओं ने भी उस गढ़ को छोड़कर कहीं दूसरे जगह प्रस्थान कर गए। जिसकी वजह से देवी की पूजा-अर्चना होना बंद हो गई। इसके बाद देवी लोगों की सपनों में आने लगी।

चंदा इकट्ठा कर मिट्टी का मंदिर निर्माण कराया

वहीं, दूसरे स्थानीय निवासी सुरेंद्र पांडे ने बताया कि साल 1952 में गांव के लोगों ने चंदा इकट्ठा कर मिट्टी का मंदिर निर्माण कराया। समय परिवर्तन के साथ क्षेत्र के लोगों का माता रानी के प्रति अटूट विश्वास जगने लगा। देवी मां का जिन लोगों ने अनादर किया और मंदिर निर्माण में चंदा नहीं दिया उनके घरों में अचानक से आग लगने लगी। जिसके बाद लोगों के बीच आस्था के प्रति विश्वास जगना शुरू हो गया। वर्तमान समय में इस स्थान पर चैत्र रामनवमी के दिन भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। बकायदा राज्य सरकार ने इस मेले को राजकीय मेला भी घोषित कर दिया है।

 

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