हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, अपनी किश्ती वहां डूबी पानी जहां कम था–बिहार MLC चुनाव.

हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, अपनी किश्ती वहां डूबी पानी जहां कम था–बिहार MLC चुनाव.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

एक चर्चित शेर है गालिब का – हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, अपनी किश्ती वहां डूबी पानी जहां कम था। बिहार में 24 सीटों पर हुए चुनाव में कुछ सीट ऐसे रहे जिस पर यह शेर सटीक है। वैशाली और मुंगेर के बारे में चर्चा है कि यहां अपनों ने ही खेल कर दिया है। तेजस्वी यादव के गढ़ वैशाली में राजद के सीटिंग एमएलसी सुबोध राय की जब हार हुई तो आरोप लगाया कि राजद के महुआ विधायक मुकेश रौशन ने भीतरघात किया है। ये वही सीट है जिसके लिए तेजस्वी ने तो जोर लगाया ही था, चिराग पासवान ने भी अपने समर्थकों को चाचा पशुपति कुमार पारस के उम्मीदवार भूषण राय को हराने और तेजस्वी के उम्मीदवार सुबोध राय को जीताने का साफ-साफ इशारा किया था। सबके बावजूद इस हॉट सीट पर राजद की हार हो गई।

बेगूसराय में गिरिराज सिंह और रजनीश कुमार के बीच पुराने खटास का असर

बेगूसराय में भाजपा के पूर्व एमएलसी रजनीश कुमार की हार हो गई है। इसके पीछे के कारण में लोग केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और रजनीश कुमार के बीच रिश्तों की खटास से जोड़ कर देख रहे हैं। गिरिराज सिंह को लोकसभा चुनाव के समय नवादा से हटाकर बेगूसराय भेजा गया था और तब गिरिराज सिंह की नाराजगी बढ़ी थी। उस समय रजनीश कुमार ने भी गिरिराज सिंह को नसीहतें दी थीं। हालांकि गिरिराज सिंह बेगूसराय से लड़े और दमदार तरीका से जीते भी। बेगूसराय की जीत ने उन्हें केंद्र में मंत्री पद भी दिलाया। बड़े नेताओं के बीच खटास होने पर कार्यकर्ता भी बंट जाते हैं। वहां एक जदयू विधायक ने अपने भाई राजीव सिंह को कांग्रेस में सेट करवाया और कांग्रेस का टिकट दिलवाया। इसके बाद जदयू विधायक ने भाजपा के उन विधायकों के साथ मिलकर जिले में गोलबंदी की जो विधायक रजनीश कुमार से नाराज थे।

मुंगेर में ललन सिंह और विजय सिन्हा के बीच पावर-वार का असर

मुंगेर में भी भीतरघात होने की बात कही जा रही है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा की वजह से यह सीट हॉट रही। मुंगेर से राजद के अजय सिंह चुनाव जीत गए। ललन सिंह के करीबी संजय प्रसाद को मुंगेर-लखीसराय-जमुई की सीट पर उम्मीदवार बनाया गया था। संजय चकाई से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, जहां वे निर्दलीय सुमित कुमार से हारे थे। सुमित, नीतीश सरकार में मंत्री बन गए लेकिन उनके मन में संजय प्रसाद के खिलाफ गुस्सा कायम रहा।

लखीसराय में तो विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा और ललन सिंह के बीच तनाव काफी रहा। इसकी गूंज विधानसभा में भी सुनी गई और मुख्यमंत्री का गुस्सा भी बरपा था। कहा जा रहा है कि भाजपा और जदयू के बीच पावर वार का बड़ा असर मुंगेर में देखने को मिला। मुंगेर के बारे में जानकारी यह भी कि कई वोटर्स ने पैसा कइयों से लिया पर वोट एक को दिया। बाकी को आश्वासन दिया। पूर्व मंत्री शैलेश कुमार ने कोई भीतरघात किया है कि नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। वे किनकी वजह से विधान सभा चुनाव हारे थे, कार्यकर्ता भी जानते हैं।

 

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