इस देश को सबसे बड़ा नुकसान दो प्रधानमंत्रियों के काल में हुआ,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
इंद्र कुमार गुजराल – पैदाइशी कम्युनिस्ट जो कांग्रेस में गए और फिर जनता दल में…
इन्होने किया वो ये कि भारत के PMO से ख़ुफ़िया विभाग और RAW का पाकिस्तान डेस्क ही खत्म कर दिया. अगस्त 1997 में अमेरिका में पाकिस्तान के PM से मुलाकात होते ही वहीँ से इन्होने आदेश किया कि इनके भारत लौटने तक RAW का पाकिस्तान डेस्क ख़त्म होना चाहिए.
इसके बाद इस दौरान भारत के पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सऊदी, कुवैत, यमन, UAE आदि जगहों पर स्थित 100 के ऊपर एजेंट मारे गए. एक हफ्ते में सारा खुफिया विभाग ध्वस्त हो गया और RAW नेस्तनाबूद हो गई. पूरा का पूरा ख़ुफ़िया ढाँचा तबाह हो गया, पाकिस्तान से लेकर फिलिस्तीन तक…
उसका नतीजा ये हुआ कि भारत को OIC इलाके में उसके खिलाफ हो रहे षडयंत्रों का पता ही नहीं चलता था. 1997 से लेकर 2001 तक का समय बेहद कठिन रहा, भारत बिना किसी ख़ुफ़िया जानकारी के रहा और कोई ऐसा महीना नहीं गया जब भारत में बम विस्फोट से लेकर सीमा पर छिटपुट आतंकी हमले न हुए हों.
1998 में वाजपेयी सरकार आई और 1999 में कारगिल हुआ, ख़ुफ़िया फेलियर पर खूब कोसा गया सरकार को, लेकिन कम्युनिस्ट मीडिया ‘गुजराल डॉक्ट्रिन’ नामक उस बेहूदे कागज़ के पुलिन्दे को गोल कर गई जिससे कम्युनिष्टों को अभी मुहब्बत है क्योंकि उसमें भारत की नाकामी है.
भारत के ख़ुफ़िया विभाग को ख़त्म करके और RAW को नेस्तनाबूद करके, उसके लॉजिस्टिक को बर्बाद और एजेंटों के खात्मे के बाद हाल बहुत खराब हो गया…
भारतीय यात्री विमान का हाईजैक होकर कंधार जाना, संसद भवन हमला, कोइम्बटूर हमला, अक्षरधाम, लाल किला हमला आदि होता गया और भारत सरकार पूरे 3 वर्ष तक कुछ जान ही नहीं पाई ख़ुफ़िया विभाग से.
अटल सरकार ने आने के कुछ महीने में ही फिर से RAW का पाकिस्तान डेस्क और इंटेलिजेंस का OIC विंग चालू किया था जिसको भारत में ही खड़ा करने में 2002 तक का समय लग गया.
फिर उसका विदेशों में एजेंट बनाना आदि करते करते 2004 में अटल सरकार चली गई… लोगों को अक्सर कारगिल और IC814 के हाईजैक को लेकर अटल सरकार पर हमला करते पाया जाता है, लेकिन गुजराल के कारनामे ने भारत का जो नुकसान कराया उस पर कभी बात ही नहीं हुई.
पेट्रोल डीज़ल, आलू – मटर – टमाटर के भाव, IT के स्लैब में बदलाव और एरियर को अपना सबसे बड़ा समस्या समझने वाली जनता को पता ही नहीं कि देश को असुरक्षा के किस दलदल में धकेल दिया गया था…
समय रहते अटल सरकार ने कदम उठाया लेकिन ध्वस्त करना आसान है, खड़ा करना मुश्किल – वो भी ख़ुफ़िया जैसा विभाग जिसमे कई वर्ष लगते हैं एक एजेंट खोजने में ……
दूसरा प्रधान मंत्री है विश्नाथ प्रताप सिंह जिन्होंने आधे पके मंडल कमीशन को लागू किया और आरक्षण की नीव पड़ी। दूसरा कांड कश्मीरी हिन्दुओ का पलायन जो आज सब को पता है.
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