बाबा की केदार से राहुल तक की यात्रा सनातनी रही-प्रो. जयकांत सिंह जय।
सारण(छपरा) के स्नेही भवन,भगवान बाजार में मनाई गई,बाबा की 129वीं जयंति।
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सारण (छपरा) के स्नेही भवन में महापंडित राहुल सांकृत्यायन की जयंती पर अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन एवं पचमेल के तत्वावधान में मातृभाषा भोजपुरी में राहुल सांकृत्यायन के योगदान विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ शिक्षक एवं समाजसेवी श्री शंभू कमलाकर मिश्र ने की और संचालन शिवानुग्रह सिंह ने किया।
इस अवसर पर प्रो. पृथ्वीराज सिंह द्वारा हाल में प्रकाशित पुस्तक भारतीय भाषा सर्वेक्षण में भोजपुरी विषय पर भी विद्वानों ने चर्चा की और कहा कि यह एक चिरलंबित और जरूरी पुस्तक है।
पुस्तक निर्माण की प्रक्रिया पर अपना वक्तव्य रखते हुए प्रो. पृथ्वीराज सिंह ने कहा कि भाषा वैज्ञानिक सह आइसीएस अधिकारी अब्राहम ग्रियर्सन ने भारत की भाषाओं का सर्वेक्षण किया था जो 11 वॉल्यूम और 21 खंडों में प्रकाशित है।
उन्होंने कहा कि इस सर्वेक्षण में भोजपुरी भाषा के इतिहास, भूगोल, जनसंख्या, उसकी विभिन्न उपबोलियों संबंधी जो सूचनाएं दर्ज हैं वे मौलिक और वैज्ञानिक हैं और उनका हिंदी अनुवाद अबतक उपलब्ध नहीं था। इस प्रकार ये जरूरी सूचनाएं हिंदी में न होने के कारण आम आदमी के पहुंच के बाहर थीं।
इस पुस्तक में भाषा सर्वेक्षण की प्रक्रिया और हिंदी आंदोलन में ग्रियर्सन के योगदान पर भी प्रकाश डाला गया है।
देवरिया से पधारे जनार्दन सिंह अमन ने कहा कि आज हमारा समाज जात पात धर्मांधता और संप्रदायवाद की जकड़ में है। राहुल जी आजीवन इसके लिए संघर्ष किये। उनके संघर्ष को आगे बढ़ाना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
मुजफ्फरपुर से आये भोजपुरी विभाग के अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता ने कहा कि भोजपुरी नाटकों के विकास में राहुल जी का महत्वपूर्ण योगदान है। इनका प्रारंभिक नाम केदार पांडेय था। उन्हें परसागढ़ मठ में लाना उनके संघर्षशील व्यक्तित्व का उदाहरण है।
स्थानीय जमींदार की पदलोलुप दृष्टि मठ के जमीन पर थी जिसके प्रतिकार में राहुल जी को मठ का महंत बनाया गया।
समाजसेविका कश्मीरा सिंह ने राहुल जी के किसान आंदोलन और असहयोग आंदोलन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि राहुल जी ने छपरा को अपनी प्रारंभिक कर्मभूमि बनाया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष शंभू कमलाकर मिश्र ने कहा कि वे मानवतावादी थे और वेदवाक्य सर्वे भवन्तु सुखिनः के सनातन परंपरा के अनुसार अपना जीवन साम्यवाद में ढाला।
इस कार्यक्रम में सभी वक्ताओं ने भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग की और इस हेतु आंदोलन करने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम में यशवंत सिंह, सारंधर सिंह, विश्वनाथ शर्मा, उपेंद्र नाथ त्रिपाठी आदि वक्ताओं ने भी संबोधित किया।
उपस्थित लोगों में अजय सिंह, कुमार चंदन, निखिल कुमार, राजेश पांडेय, बबन सिंह आदि शामिल थे।
उक्त कार्यक्रम के सूत्रधार प्रो.पी.राज सिंह सर रहे। सर को अपने विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘ज्ञानाग्रह’ भेंट किया।
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