ज्योतिराव फुले अनगिनत लोगों के लिए हैं आशा के स्रोत–पीएम मोदी.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
देशभर में ज्योतिराव फुले की 195 वीं जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘सामाजिक न्याय का चैंपियन’ बताया है। पीएम ने कहा कि वे ऐसे समाज सुधारक थे जिन्होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा दिया।
पीएम मोदी ने ट्विट कर कहा, “महात्मा फुले को सामाजिक न्याय के चैंपियन और अनगिनत लोगों के लिए आशा के स्रोत के रूप में व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है। वह एक बहुमुखी व्यक्तित्व थे जिन्होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अथक प्रयास किया। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि।
मनोहर लाल खट्टर और अशोक गहलोत ने भी श्रद्धांजलि दी
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी ज्योतिराव फुले को श्रद्धांजलि दी और महात्मा ज्योतिबा को महान विचारक बताया। वहीं फुले को श्रद्धांजलि देते हुए, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, “महान समाज सुधारक, महात्मा ज्योतिबा फुले जी को उनकी जयंती पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। उन्होंने सामाजिक न्याय के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था। महिलाओं की शिक्षा के लिए उनका योगदान और दलितों का उत्थान हमेशा प्रेरणादायक रहेगा।
इसलिए फुले को कहा गया था महात्मा
महात्मा फुले ने अपने जीवन का ज्यादातर समय स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने के साथ बाल विवाह को खत्म कराने और देशहित के कार्य करने लगाया था। उन्होंने देश में कई सारे अभियान भी छेड़े थे। बता दें कि समाज सुधारक विट्ठलराव कृष्णजी वाडेकर ने ही उन्हें समाज के कल्याण में महान योगदान के लिए ‘महात्मा’ की उपाधि दी थी।
महात्मा ज्योतिराव फुले 19वीं सदी के एक महान समाज सुधारक, समाजसेवी, लेखक और क्रांतिकारी कार्यकर्ता थें. आज यानी 11 अप्रैल को इनकी जयंती है. सन् 1827 में महाराष्ट्र के सतारा में ज्योतिराव फुले का जन्म हुआ था. उन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं और दलितों के उत्थान में लगा दिया. वह हमेशा से ही स्त्रियों को शिक्षा का अधिकार दिलाने और बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए काम किया करते थें.
पूरा जीवन लड़कियों के उत्थान के लिए किया अर्पण
बता दें, आज देश में हर महिला स्वतंत्र है. महिलाएं हर क्षेत्र में आदमी के समान काम कर रही हैं. अपनी सदियों पुरानी सांस्कृतिक, सामाजिक और पारंपरिक बाधाओं को तोड़ रही हैं, लेकिन ऐसा पहले नहीं था. इस बदलाव के पीछे सिर्फ महात्मा ज्योतिराव फुले को हाथ था. महात्मा ज्योतिराव और उनकी पत्नी सावित्रीबाई ने अपना पूरा जीवन लड़कियों के उत्थान, लैंगिक समानता और जातिगत भेदभाव के खिलाफ अर्पण किया है.
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