डॉ. अम्बेडकर सारी मानवता के पथ प्रदर्शक थे-डॉ रविन्द्र पाठक.
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय संविधान की प्रारुप समिति के अध्यक्ष, भारत रत्न, बोधिसत्व, बाबासाहेब डॉ भीमराव रामजी आंबेडकर की जयंती पूरे धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाई गई। सीवान नगर के गोपालगंज मोड़ स्थित उनकी प्रतिमा पर विद्यालय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भैया-बहनों तथा प्राचार्य वाणीकांत झा सहित अनेक गणमान्य अतिथियों ने माल्यार्पण कर बाबासाहेब को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अवकाश प्राप्त प्रोफेसर रविन्द्र पाठक ने दीप-प्रज्ज्वलन कर उपस्थित श्रोताओं को संबोधित किया और डॉ अम्बेडकर के योगदान को याद किया।
डॉ अंबेडकर की मूर्ति पर जिले की सभी गणमान्य व्यक्ति ने माल्यार्पण कर उनकी 131 वीं जयंती को याद किया।इस अवसर पर महावीर सरस्वती विद्या मंदिर विजय हाता के भैया-बहनों की एक मंडली ने अपने देश के नायक को पुष्पांजलि अर्पित कर नमन किया।
इस मौके पर उतर बिहार के सम्पर्क प्रमुख डाॅ रविंद्र पाठक ने कहा किडॉ. अम्बेडकर किसी वर्ग विशेष के नेता नहीं थे। वे सम्पूर्ण भारतवर्ष के ओैर सारी मानवता के पथ प्रदर्शक थे। सैकड़ों हजारों वर्षों में ऐसा व्यक्ति जन्म लेता है। सम्पूर्ण देश उनके कार्यो का ऋणी है तथा रहेगा। वे करोड़ों दलित हिंदुओं के लिए नहीं अपितु सभी के लिये परम आदरणीय हैं।सामाजिक समरसता के प्रेरक व भारत में सामाजिक क्रांति के संवाहक भारतरत्न डा. भीमराव रामजी अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को मध्यप्रदेश के महू में हुआ था।
डा. अंबेडकर सामाजिक समता, न्याय और सामाजिक अभिसरण जैसे समाज परिवर्तन विषयों को प्रधानता दिलाने वाले विचारवान नेता थे ।डा. साहेब के सपने को साकार करना है तो यह आवश्यक है कि उनके इस चिंतन को समाज के समाने लाया जाये जिसमें उन्होंने सम्पूर्ण समाज की एकजुटता और समरसता की बात कही है। जहां उन्होंने ऊपर उठे लोगों से कहा कि अपने कमजोर भाइयों को स्वयं हाथ पकड़कर ऊपर उठायें। उनके नाम पर राजनीति करने वाले वस्तुतः उनके किसी भी विचार का अनुसरण नहीं करते हैं।
विद्यालय के प्राचार्य वाणी कांत झा ने कहा कि आजादी के 75 में अमृत महोत्सव में देश की नायकों को याद करना हम सभी का कर्तव्य व दायित्व है। उपप्राचार्य मंगलदेव राय, डॉ आशुतोष कुमार पाण्डेय, सुनील सिंह, प्रवीण चंद्र मिश्र, संतोष कुमार श्रीवास्तव, मनोज सिंह , सुनील प्रसाद, सुधा पांडेय, अर्चना सिंह, पूनम कुमारी आदि आचार्य बंधु-भगिनी की सराहनीय भूमिका रही। मीडिया प्रभारी अखिलेश श्रीवास्तव ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बाबासाहेब को जातीय सीमाओं तक समेटने की कोशिश उनका अपमान है, क्योंकि वे एक युगपुरुष थे और हर भारतीय की शान थे।आज की पीढ़ी इन नायक को जानकर समझकर देश को आगे ले जाएगी।
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