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महावीर जयंती उनके प्रेरणादायी विचारों को किया जा रहा याद.

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देशभर में आज जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व महावीर जयंती मनाई जा रही है। आज ही के दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था। जैन धर्म में इस जयंती को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि महावीर जैन धर्म के आखिरी आध्यात्मिक गुरु थे।

भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले बिहार के वैशाली के पास कुण्डलपुर में हुआ था। बता दें कि तीस वर्ष की आयु में राजा के घर जन्म लेने वाले महावीर ने संसार की सुख सुविधाओं को त्यागकर संन्यास ले लिया था। महावीर ने अपने संयास के दौरान लोगों को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत का बोद्ध कराया था। ये सिद्धांत हैं-सत्य, अचौर्य (अस्तेय), अपरिग्रह, अहिंसा और ब्रह्मचर्य।

पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई

पीएम मोदी ने भी आज सभी को महावीर जयंती की बधाई दी। पीएम ने ट्वीट कर कहा कि हम भगवान महावीर की महान शिक्षाओं को याद करते हैं और सभी को उन्हें धारण भी करना चाहिए। पीएम ने कहा कि भगवान महावीर विशेष रूप से शांति, करुणा और भाईचारे के प्रतीक हैं। पीएम ने इस दौरान एक कोट भी शेयर किया।

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खास तरीके से मनाई जाती है महावीर जयंती

जैन धर्म में महत्वपूर्ण मानी जाने वाली इस जयंती को जैन धर्म के लोग बेहद ही खास ढंग से मनाते हैं। वह सुबह सबसे पहले अपने दैनिक कार्य कर प्रभात फेरी निकालते हैं। प्रभात फेरी के दौरान भगवान महावीर की मूर्ति को पालकी में रखकर यात्रा निकाली जाती है। इससे पहले सोने और चांदी के कलश से भगवान महावीर का जलाभिषेक भी किया जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, जैन धर्म के 24वें तीर्थकर महावीर स्वामी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को हुआ था। इस साल 14 अप्रैल, गुरुवार को महावीर जयंती मनाई जाएगी। महावीर स्वामी का जन्म 599 ईसवी पूर्व बिहार के लिच्छिवी वंश के महाराज सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर पर हुआ था। महावीर स्वामी के बचपन का नाम वर्धमान था। भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत बताए, जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं। यह सिद्धांत हैं- अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह।

कैसे मनाई जाती है महावीर जयंती

महावीर जयंती का पावन पर्व बड़े ही हर्षो- उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भगवान महावीर की मूर्ति के साथ जूलूस निकाला जाता है और धार्मिक गीत गाए जाते हैं।

महावीर स्वामी के पांच सिद्धांत-

  1. जिस प्रकार धागे से बंधी (ससुत्र) सुई खो जाने से सुरक्षित है, उसी प्रकार स्व-अध्ययन (ससुत्र) में लगा व्यक्ति खो नहीं सकता है।
  2. वो जो सत्य जानने में मदद कर सके, चंचल मन को नियंत्रित कर सके, और आत्मा को शुद्ध कर सके उसे ज्ञान कहते हैं।
  3. हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो, घृणा से विनाश होता है
  4. सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
  5.  आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है , न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।

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