परशुराम पुर में लगेगी भगवान परशुराम की प्रतिमा
कुवाँ का होगा जीर्णोद्धार ।
श्रीनारद मीडिया, जीरादेई, सीवान (बिहार):
सीवान जिले के जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र के मझवलिया पंचायत के परशुरामपुर गांव में भगवान परशुराम जी के स्थल पर राजीव तिवारी की अध्यक्षता में रविवार को बैठक आयोजित किया गया । बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सरयू नदी में मिलती झरही नदी के तट पर स्थित भगवान परशुराम जी की प्राचीन स्थल पर उनकी भव्य प्रतिमा लगाई जाय ताकि इस स्थल की प्राचीनता पुनः वापस आ सके तथा भावी पीढ़ी अपनी विरासत पर गर्व कर सके । प्रधानाध्यापक सह शोधार्थी कृष्ण कुमार सिंह ने भगवान परशुराम की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव रखा।उन्होंने बताया कि परशुरामपुर गांव प्राचीन समय में काफी उन्नत था तथा व्यापार के क्षेत्र में सम्पन्न था ।
श्री सिंह ने बताया कि द्रोणाचार्य के आश्रम दोन से करीब 7 किलोमीटर पूरब नदी के किनारे परशुराम पुर घाट के पास स्थित प्राचीन बट वृक्ष है ।यह बट वृक्ष काफी विशाल व प्राचीन प्रतीत होता है । उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक पुस्तक में दर्ज विवरण के अनुसार यहाँ भगवान परशुरामजी कुछ समय साधना किये थे आज भी बट वृक्ष विद्यमान है जिसे परशुरामजी का स्थान कहा जाता है तथा ग्रामीण भक्ति भाव से उनकी पूजा अर्चना करते है ।
उन्होंने बताया कि इसके दक्षिण शिवपुर बाजार है जहाँ नदी के किनारे शिव मंदिर स्थित है जिसे परशुराम जी स्थापित किये थे । उन्होंने बताया कि इसके आसपास का क्षेत्र महाभारत काल के पात्रों से भरा हुआ है जैसे दोन द्रोणाचार्य का आश्रम ,कुकुर भुक्का गांव , वीर बालक एकलव्य का याद दिलाता है ।महर्षि कुंभज -कुम्भट गांव , ,कर्णपुरा कर्ण की कर्म भूमि , कृष्ण पाली ,गोपाल पुर ,कन्हौली आदि सभी गांव महाभारत काल के पात्रों को याद दिलाता है ।
श्री सिंह ने बताया कि द्रोण आश्रम से पश्चिम चकरी गांव है जो चक्र व्यूह स्थल का प्रतीक है ।यही हरिपुर ,भगवान पुर आदि गांव भी श्री कृष्ण के नाम पर प्रतीत होते है तथा बलिया गांव है जो बलशाली लोगों का प्रतीक है । सोहन पुर गांव जो पूर्वकाल में शोणित पुर था जहाँ वाणासुर ( जिसकी बेटी उगवा श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध से व्याही गयी थी ,सोहनपुर के पास ही कोठा गांव में एक उच्चा टीला है उसे अब तक उगवा का धरोहर कहा जाता है ) भागवत पुराण से जाना जाता है कि वाणासुर ने कैलाश से लाकर शिवलिंग स्थापित किया था जो सोहगरा में है ।
रथ गढ़ी भी स्थान है । उन्होंने कहा कि महर्षि भारद्वाज दरौली, महर्षि सृंगी ऋषि -सिसवन गांव ,रघुनाथपुर जहाँ जहाँ भगवान श्रीराम रुके थे ।सब मिलाकर पूरा क्षेत्र काफी प्राचीन व ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है । उन्होंने बताया कि भगवान श्री परशुरामजी के स्थान पर एक प्राचीन कुवाँ है जो भर गया है फिर भी कुवाँ का रूप स्पष्ट दिखाई देता है ।जरूरत है इस स्थल व कुवाँ को विकसित करने का ताकि धर्मिक रूप से सम्पन्न यह नगर पुनः अपने प्राचीन रूप में आ सके ।इस मौके पर ई अंकित मिश्र,कामेश्वर उपाध्याय,शंभु यादव,दिलीप प्रसाद ,इंद्रदेव उपाध्याय ,पप्पू तिवारी ,विवेक तिवारी आदि उपस्थित थे ।
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