क्या यासीन मलिक को सजा सुनाया जाना कश्मीरी पंडितों को न्याय मिलने की शुरुआत है?

क्या यासीन मलिक को सजा सुनाया जाना कश्मीरी पंडितों को न्याय मिलने की शुरुआत है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यासीन मलिक को टैरर फंडिंग मामले में तो सजा मिल गयी है लेकिन अभी उसे सैंकड़ों निर्दोषों की हत्या और इस पृथ्वी का स्वर्ग माने जाने वाले समूचे कश्मीर को आतंकवाद की आग में झोंकने जैसे गंभीर अपराधों में सजा मिलना बाकी है। उल्लेखनीय है कि जम्मू-कश्मीर में आतंक को बढ़ावा देने, कश्मीर की आजादी की वकालत करते रहने, बम बारूद और बंदूक के दम पर कश्मीर घाटी में डर का माहौल बनाये रखने, कश्मीर घाटी के युवाओं को बरगलाने का अभियान चलाये रखने और कत्लेआम मचाने वाला यासीन मलिक और भी कड़ी सजाओं का हकदार है। 1987 में पाकिस्तान जाकर वहां आतंक की ट्रेनिंग लेकर लौटने वाले यासीन मलिक ने कश्मीर घाटी को जिस तरह बर्बाद किया उसे देश भूल नहीं सकता इसीलिए उसे उसके सभी गुनाहों की सजा मिलकर रहेगी।

पाकिस्तान क्यों भड़क गया है?

फिलहाल तो टैरर फंडिंग मामले में यासीन मलिक को सजा सुनाये जाने से जहां देशभर में खुशी का माहौल है वहीं पाकिस्तान को मिर्ची लग गयी है और जम्मू-कश्मीर को दशकों तक लूटते रहे वहां के स्थानीय नेताओं पर भी जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। हम आपको याद दिला दें कि यासीन मलिक को दोषी ठहराये जाने पर पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारत के प्रभारी उच्चायुक्त को तलब कर एक आपत्ति पत्र भी सौंपा था। अब तो यासीन मलिक के बचाव में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तक आ गए हैं।

उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि दुनिया को जम्मू और कश्मीर में सियासी कैदियों के साथ भारत सरकार के रवैये पर ध्यान देना चाहिए। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि यासीन मलिक को फर्जी आतंकवाद के आरोपों में दोषी ठहराना भारत के मानवाधिकारों के उल्लंघन की आलोचना करने वाली आवाजों को चुप कराने की कोशिश है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि मोदी सरकार को इसके लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए।

वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट को पत्र लिखकर भारत से यह अपील करने का अनुरोध किया है कि वह यासीन मलिक को सभी आरोपों से बरी करे और जेल से उसकी तत्काल रिहाई सुनिश्चित करे ताकि वह अपने परिवार से मिल सके। वहीं भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रह चुके अब्दुल बासित ने भी इस मसले पर अपनी भड़ास निकालते हुए पाकिस्तान सरकार को सलाह दी है कि वह इस मामले को अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में ले जाए।

यहां तक कि क्रिकेटर अफरीदी ने भी संयुक्त राष्ट्र से गुहार लगा दी है। देखा जाये तो पाकिस्तान की यह खिसियाहट समझ आ सकती है क्योंकि उसका एक ‘काबिल’ और ‘भरोसेमंद’ गुर्गा पकड़ा गया है। पाकिस्तान ने जिस यासीन मलिक के सहारे वर्षों तक कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दिया उसको सजा सुनाये जाने पर पाकिस्तान का भड़कना स्वाभाविक है।

लेकिन हैरत होती है जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला के बयान पर जिन्होंने यासीन मलिक को दोषी करार दिये जाने के फैसले का स्वागत करने की बजाय उन्हें सलाह दे डाली कि वह इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती दें। महबूबा मुफ्ती ने भी यासीन मलिक को सजा सुनाये जाने का स्वागत नहीं कर अपनी मानसिकता का परिचय दिया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि किसी को सजा दिये जाने से कश्मीर के मसले हल नहीं होंगे।

कौन-से आरोप सिद्ध हुए?

हम आपको बता दें कि यासीन मलिक को जिस मामले में सजा सुनाई गई है उसके तहत जो आरोप सिद्ध हुए हैं उनमें यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि यासीन मलिक के नेतृत्व वाला जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यूएपीए कानून के तहत प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है।

और किन-किन को दोषी ठहराया गया

हम आपको यह भी बता दें कि इसी मामले में अदालत ने पूर्व में, फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, शब्बीर शाह, मसरत आलम, मोहम्मद युसूफ शाह, आफताब अहमद शाह, अल्ताफ अहमद शाह, नईम खान, मोहम्मद अकबर खांडे, राजा मेहराजुद्दीन कलवल, बशीर अहमद भट, जहूर अहमद शाह वटाली, शब्बीर अहमद शाह, अब्दुल राशिद शेख तथा नवल किशोर कपूर समेत कश्मीरी अलगाववादी नेताओं के खिलाफ औपचारिक रूप से आरोप तय किए थे। यही नहीं लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया, जिनको इस मामले में भगोड़ा अपराधी बताया गया है।

बहरहाल, अब देखना होगा कि यासीन मलिक के खिलाफ जो अन्य मामले हैं उस पर कब तक निर्णय आता है। खासकर वायुसेना अधिकारी रवि खन्ना की पत्नी को इंतजार है कि कब उनके पति का हत्यारा अपने गुनाह की सजा पाता है। हम आपको याद दिला दें कि यासीन मलिक ने 1990 में अपने आतंकवादी साथियों के साथ मिलकर वायु सेना अधिकारियों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें चार अधिकारियों की मौत हो गई थी और 40 अन्य घायल हो गए थे। मरने वालों में स्क्वॉड्रन लीडर रवि खन्ना भी थे। रवि खन्ना को 26 गोलियां मारी गयी थीं। शहीद रवि खन्ना की पत्नी निर्मल खन्ना का कहना है कि हमें न्याय मिलने का इंतजार है। उम्मीद है निर्मल खन्ना समेत बाकी पीड़ित परिवारों का भी न्याय का इंतजार जल्द खत्म होगा।

 

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