विश्व माहवारी दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
-शिक्षा एवं जागरूकता अभियान के माध्यम से बदली जा सकती है सोच: एचएनएस अधिकारी
-महिलाओं एवं युवतियों को मासिक धर्म को लेकर जागरूक करना पहला लक्ष्य: उषा कुमारी
श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):
पूर्णिया, 28 मई। महिलाओं एवं युवतियों में मासिक धर्म के कारण होने वाली चुनौतियों को लेकर जागरूकता अभियान चलाने और संबंधित समस्याओं के समाधान को उजागर करने के लिए प्रत्येक वर्ष 28 मई को विश्व मासिक स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरूआत वर्ष 2013 में वॉश (जल स्वच्छता एवं स्वास्थ्य रक्षा) द्वारा की गयी थी। इस दिवस को पहली बार 28 मई 2014 को मनाया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य एक ऐसे विश्व का निर्माण करना जिसमें हर महिला और युवती जिस भी समय अपनी निजता, सुरक्षा एवं गरिमा के साथ हैं, अपने मासिक धर्म को स्वस्थ्य तरीके से प्रतिबंधित कर सकती हैं।
इसी को लेकर जीविका समूह की दीदियों द्वारा पूर्णिया शहर के एक निजी होटल में विश्व माहवारी दिवस का आयोजन किया गया। जिसमें सैकड़ों महिलाओं ने भाग लिया। इस अवसर पर जीविका समूह की ओर से स्वास्थ्य, पोषण एवं सैनिटेशन (एच एन एस) अधिकारी अरुण उपाध्याय, रुपौली की उषा कुमारी, डॉली कुमारी एवं धमदाहा से सुमन कुमारी, नूतन कुमारी सहित सैकड़ों महिला उपस्थित थी।
-शिक्षा एवं जागरूकता अभियान के माध्यम से बदली जा सकती है सोच: एचएनएस अधिकारी
जीविका समूह के स्वास्थ्य, पोषण एवं सैनिटेशन अधिकारी अरुण उपाध्याय ने बताया शिक्षा एवं जागरूकता से ही समझ और जागरूकता आती है। इससे उन्हें अपने हक के बारे में पता चलता है। किशोरियों को कम से कम यह तो पता लगे कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, शर्मनाक नहीं। हम उन्हें डरा देते हैं और वह समझती हैं कि शायद उन्होंने ही कुछ गलत किया है। शिक्षा से ही अंधेरा दूर किया जा सकता है। जन जागरूकता अभियान के माध्यम से ही महिलाओं एवं युवतियों को जागरूक किया जा सकता है। महिलाओं को अपने शरीर की एक प्राकृतिक क्रिया के संबंध में समय से पहले बताया ही नहीं जाता था तो उनके मानसिक रूप से तैयार होने और स्वच्छता बनाए रखने की उम्मीद कैसे की जा सकती है।
-महिलाओं एवं युवतियों को मासिक धर्म को लेकर जागरूक करना पहला लक्ष्य: उषा कुमारी
जीविका समूह से जुड़ी रुपौली की उषा कुमारी का विश्व माहवारी दिवस के संबंध में कहना है कि इसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं एवं युवतियों को मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता रखने के लिए जागरूक करना था। प्रत्येक महीने के 28 तारीख को इसीलिए चुनाव किया गया कि आमतौर पर महिलाओं का मासिक धर्म 28 दिनों के अंदर आता है। मासिक धर्म एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है। बालिग़ युवतियों एवं महिलाओं में प्रत्येक महीने होने वाली यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मासिक धर्म के दौरान, महिला के गर्भाशय से रक्त और अन्य तरल पदार्थ स्रावित होती है। प्रत्येक महीने 3 से 5 दिनों तक लगातार रहने वाली यह प्रक्रिया युवतियों के बालिग़ होने से लेकर रजोनिवृत्ति 40 से 50 वर्ष तक की आयु तक आती रहती है। पहले के समय में ऐसा कहा जाता था कि यह मत करो, वह मत करो। मंदिर मत जाओ, अचार मत छुओ। एक जगह बैठो। जो बहुत ही अजीबोग़रीब लगता था। लेकिन हम जैसी महिलाओं को यह सब कुछ मजबूरी में झेलना पड़ता था। हालांकि वर्तमान समय में इन तथ्यों पर काफी हद तक लगाम लगाया जा चुका है लेकिन आज भी गांव-देहात की महिलाएं मासिक धर्म को लेकर भ्रांति में जी रही हैं। उनमें न तो जागरूकता है और न ही उन्हें इसका उपयोग या इससे होने वाली बीमारियों के बारे में पता है। जीविका समूह की महिलाओं के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं एवं युवतियों को माहवारी से संबंधित फैलाए गए भ्रम से बाहर निकालना अतिआवश्यक है।
-मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता न रखने पर बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन होने की बढ़ जाती है संभावना: डॉ अनिशा किशोर
राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल के प्रसव गृह में पदस्थापित महिला रोग विशेषज्ञ डॉ अनिशा किशोर ने बताया कि मासिक धर्म के समय स्वच्छता नहीं अपनाने से कई महिलाओं की जान भी चली जाती है। जिसमें सर्वाइकल कैंसर का स्थान पहले नंबर पर आता हैं। इसलिए मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के संबंध में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता न रखने पर बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है। यह संक्रमण कभी-कभी यूट्रस तक भी पहुंच जाता है। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता बहुत ही ज़्यादा जरूरी है। मासिक धर्म के समय सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करें। इन्हें भी हर छह घंटे में बदलें। गीला रहने पर त्वचा में संक्रमण हो सकता है। इस्तेमाल किए गए पैड को सही तरीके से फेंकना भी बहुत जरूरी है, नहीं तो आसपास के वातावरण में भी बीमारियां फैल सकती हैं। प्रयोग किए गए पैड्स कागज में लपेटकर कूड़ेदान में डालें। ध्यान रखें कि माहवारी कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक साधारण शारीरिक प्रक्रिया है। अगर कोई समस्या है तो डॉक्टर की सलाह लेने में देर न करें।
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