तम्बाकू निषेध दिवस विशेषः- आर्थिक, शारीरिक एवं मानसिक परेशानियों को आमंत्रित करता तम्बाकू
– मुंह को रसायनिक कारखाना न बनायें
– सामाजिक स्तर से जागरूकता काफी जरूरी
श्रीनारद मीडिया, सहरसा, (बिहार):
तम्बाकू उत्पादों की बात करें तो यह बहुत पहले से ही मुखशोधन के नाम से पान के साथ सेवन किया जाता रहा है। तब इसका उपयोग यदा कदा एवं बहुत कम लोगों के द्वारा ही किया जाता था। लेकिन बीसवीं सदी के उत्तरार्ध यानि 1980 के दशक से जैसे ही पान के स्थान पर गुटखा सेवन का प्रचलन आरंभ हुआ तब से आज तक इसका प्रचलन दिन ब दिन जोर ही पकड़ता जा रहा है। इस काल की यदि गणना की जाय तो वैसे व्यस्क व्यक्ति जो उस समय से गुटखों का सेवन आरंभ किये होंगे, वर्त्तमान में उनकी औसत आयु लगभग 45 वर्ष से अधिक की होगी और वे पिछले करीब 30 वर्षों से तम्बाकु आधारित उत्पाद गुटखा का सेवन करते आ रहे हैं। इस प्रकार 11 हजार से अधिक दिनों से प्रतिदिन औसतन 5 समय पर इनका उपयोग करने की बात करें तो अब तक वे 55 हजार बार गुटखों का सेवन कर चुके होंगे। जिसकी आर्थिक गणना करें तो अब तक 2.5 लाख से अधिक रुपये का खर्च केवल गुटखा सेवन में किये होंगे। यह राशि तब और कई गुणा बढ़ जाती है जब वे अधिक कीमत वाले गुटखा का सेवन करते आ रहे होंगे। इस प्रकार गुटखों के माध्यम से किया जा रहा तम्बाकू सेवन उस व्यक्ति के बचत पर इसका काफी प्रतिकूल ढंग से प्रभावित करता है।
मुंह को रसायनिक कारखाना न बनायें-
जिले के सुप्रसिद्ध दंत चिकित्सक डा. अफगान खान ने बताया मानव शरीर का बहुत ही क्रियाशील अंग है मुंह। जिसके भीतर काफी संवेदनशील अंग जीभ भी आता है। जो शरीर के पाचन क्रिया के लिए काफी महत्वपूर्ण रसायनों के उत्पादन एवं मिश्रण करने की अहम भूमिका अदा करता है। वहीं दाँत भोजन को पचाने योग्य बनाने के लिए उसे कूटने या छोटे-छोटे टुकड़ों करने का काम करता है। मुंह के सम्पर्क में अन्य ऐसी कई ग्रंथियाँ भी हैं जो मानव शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों पर नियंत्रण एवं दक्षता को प्रभावित करता है। गुटखा खाने से उसके बनाने में उपयोग किये गये कई अन्य प्रकार के रसायन जो उनमें दुर्गंध नाशक एवं अन्य कई कारणों से उपयोग किये जाते हैं वे भी मानव मुख में जाते हैं। इस प्रकार गुटखा का सेवन करने पर मुंह रसायनिक कारखाना की तरह काम करने लगता है। जहां कई प्रकार की जटिल रसायनिक प्रतिक्रियाएं एक साथ चल रही होती हैं। ये रसायनिक प्रतिक्रियाएं मुख्यतः मुंह में भोजन को पचाने के लिए बनाये गये लार के साथ होती हैं। वैसे भी तम्बाकू में सैकड़ों प्रकार के जटिल रसायन पहले से ही मौजूद रहते हैं जिनका सही-सही विश्लेषण अभी तक नहीं किया जा सका है। वहीं अन्य कई प्रकार के रसायनों का उपयोग उनके खाने योग्य बनाने के लिए उत्पादित करने के दौरान भी किये जाते हैं। यानि खाने योग्य तम्बाकू एक काफी जटिल रसायनिक गुणों से युक्त होता है। जिनका किसी भी प्रकार से उपयोग करना केवल और केवल नुकसानदेह ही है।
सामाजिक स्तर से जागरूकता काफी जरूरी-
डा. खान ने बताया सरकार द्वारा तम्बाकू सेवन रोकने के प्रति कई प्रकार के कार्यक्रम चलाये जाते हैं। इनका काफी प्रचार प्रसार भी किया जाता है। लेकिन जब तक सामाजिक स्तर से इसके प्रति जागरूकता नहीं आती है, इसपर रोक नहीं लगायी जा सकती है। तम्बाकू सेवन करने वाले लोगों को जागरूक करते हुए उन्हें तम्बाकू सेवन से रोकना चाहिए। समाज में नये तम्बाकू सेवक न बनने पाये इसके लिए सामाजिक स्तर से प्रसाय किये जाने चाहिए। प्रभावकारी तौर पर सामाजिक स्तर से किये गये प्रयासों से ही तम्बाकू सेवन पर रोक लगायी जा सकती है। इसके लिए समाज के लोगों को आगे आना होगा। युवाओं में बढ़ते तम्बाकू सेवन को रोकने के लिए खासकर उनके अभिभावकों को प्रखर तौर पर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी पड़ेगी।
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