नवजात शिशुओं एवं बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए जरूरी होता है नियमित टीकाकरण:
-स्वस्थ्य राष्ट्र बनाने की दिशा में नियमित टीकाकरण एक महत्वपूर्ण कायर्क्रम: सिविल सर्जन
-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में काफी सहायक भी होता है नियमित टीकाकरण: डीआईओ
-प्रशिक्षित एएनएम के द्वारा दिए जाते हैं नियमित टीकाकरण के टीके: डॉ शरद कुमार
श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):
पूर्णिया, जिले में नियमित टीकाकरण को सुदृढ़ करने के लिए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से तत्पर है। इसके लिए राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल परिसर स्थित टीकाकरण केंद्र, अनुमंडलीय अस्पताल, रेफ़रल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा शहरी स्वास्थ्य केन्द्र पर कार्यरत सभी तरह के स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। सिविल सर्जन डॉ एसके वर्मा ने बताया कि नियमित टीकाकरण एक स्वस्थ्य राष्ट्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कायर्क्रम है जो गर्भवती महिलाओं से आरंभ होकर नवजात शिशुओं को पांच वर्षो तक नियमित रूप से दिये जाते है। नियमित रूप से दिया जाने वाला टीकाकरण शिशुओं को कई प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाता है। शिशुओं को दिया जाने वाला टीका शिशुओं को कई अन्य तरह की गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित और मजबूती प्रदान करता है। इस प्रकार कई तरह की जानलेवा बीमारियों से शिशुओं को बचाने के लिए खास टीके विकसित किये गये हैं, जिनका टीकाकरण करवाना आवश्यक है।
-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में काफी सहायक भी होता है नियमित टीकाकरण: डीआईओ
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ विनय मोहन ने बताया कि नियमित टीकाकारण कार्य के लिए दक्ष होना अतिआवश्यक है। क्योंकि इन टीकों को देने की प्रक्रिया अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यदि सही ढंग से टीका नहीं दिया गया तो इसका लाभ नहीं मिल पायेगा, इसलिए आवश्यक है कि टीकाकरण कार्य के लिए टीकाकर्मियों को प्रशिक्षित किया जाए। बचपन में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सबसे बेहतर उपाय टीकाकरण है। इससे धन, ऊर्जा एवं जीवन की बचत होती तथा शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में काफी सहायक भी होता है। टीकाकरण के दौरान पड़ने वाली वैक्सीन शरीर को रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। टीका हमेशा सही रूट एवं सही जगह पर देना चाहिए। टीके वाले जगह पर रूई से हल्का दबाना चाहिए न कि उस स्थान को रगड़ दें। शिशु को कभी भी कूल्हे पर टीका न दें। इससे टीका का असर कम होता और उस क्षेत्र की नसों को नुकसान हो सकता है। ज़िले के सभी आशा कार्यकर्ताओ को सर्वे रजिस्टर व ड्यूलिस्ट का सत्यापन एवं घर घर जाकर सर्वे करने का निर्देश दिया गया।
-प्रशिक्षित एएनएम के द्वारा दिए जाते हैं नियमित टीकाकरण के टीके: डॉ शरद कुमार
पूर्णिया पूर्व पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शरद कुमार ने बताया कि प्रशिक्षित एएनएम को नियमित टीकाकरण के फायदे, इसके रख-रखाव के तरीके, किस रोग में कौन सी टीके लगानी चाहिए, सुरक्षित इंजेक्शन एवं टीकाकरण के कचरे को निष्पादन करने के संबंध में बताया जा चुका है। वहीं नियमित टीकाकरण को लेकर समय-समय पर विस्तार से बताया जाता है ताकि किसी तरह से कोई परेशानी नही हो। नवजात शिशुओं को कई तरह के रोगों से बचाने के लिए संपूर्ण टीकाकरण बहुत जरूरी होता है। न्यूमोकोकल टीका (पीसीवी) निमोनिया, सेप्टिसीमिया, मैनिंजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से बचाव करता है। वहीं जन्म होते ही ओरल पोलियो, हेपेटाइटिस बी, बीसीजी के टीके दिए जाते हैं जबकि डेढ़ महीने बाद ओरल पोलियो-1, पेंटावेलेंट-1, एफआईपीवी-1, पीसीवी-1, रोटा-1 की ख़ुराक़ दी जाती है। इसी तरह ढाई महीने बाद ओरल पोलियो-2, पेंटावेलेंट-2, रोटा-2 और साढ़े तीन महीने बाद ओरल पोलियो-3, पेंटावेलेंट-3, एफआईपीवी-2, रोटा-3, पीसीवी-2 इसके अलावा नौ से 12 माह के अंदर मिजल्स 1, मिजल्स रुबेला 1, जेई 1, पीसीवी-बूस्टर, विटामिन ए की टीके लगाए जाते हैं।
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