आखिर क्यों भारत के लिए महत्वपूर्ण है Gulf?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
सरकार को इस मामले पर जहां एक ओर अंतरराष्ट्रीय आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है वहीं घरेलू मोर्चे पर विपक्ष आग बबूला हो रहा है। विपक्ष का आरोप है कि भाजपा की वजह से विदेशों में भारत की साख को धक्का पहुँचा है और भारतीय राजदूतों के लिए असहज स्थिति पैदा हो गयी है। विपक्ष यह भी आरोप लगा रहा है कि भाजपा नेताओं की वजह से छोटा-सा-छोटा देश भी भारत को आज चुनौती दे रहा है। वाकई इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी सरकार की मेहनत से विश्व भर में भारत की जो साख बनी थी और इस्लामिक देशों के साथ संबंध जिस तरह प्रगाढ़ हुए थे, वह सब भाजपा नेता की विवादित टिप्प्णी से प्रभावित हुए हैं।
विपक्ष यह भी कह रहा है कि भाजपा ने खाड़ी देशों के दबाव में विवादित बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई की है। सांसद असद्दुदीन ओवैसी का कहना है कि हम तो पिछले दस दिन से मांग कर रहे थे कि नुपूर शर्मा पर कार्रवाई की जाये लेकिन जब खाड़ी देशों में विवादित टिप्पणी का विरोध हुआ तब कार्रवाई की गयी। सवाल उठता है कि क्या ओवैसी के इस आरोप में दम है? जवाब तलाशें तो कुछ सच्चाई तो नजर आती है क्योंकि खाड़ी देश भारत के लिए वाकई बहुत महत्वपूर्ण हैं।
यही नहीं, नुपूर शर्मा की विवादित टिप्पणी को खाड़ी देशों में बड़ा मुद्दा बनाते हुए इसे अभियान का रूप देने वाले ओमान के ग्रैंड मुफ्ती शेख अहमद बिन हमाद अल खलीली ने मुस्लिम देशों से भारतीय वस्तुओं के बहिष्कार और भारतीयों को नौकरी से निकालने का आह्वान कर दिया था। इस आह्वान के बाद अरब में भारतीय उत्पादों के बहिष्कार करने की अपील ट्विटर पर ट्रेंड हो गयी और खाड़ी देशों में काम कर रहे लोगों पर रोजगार छिनने का संकट मंडराने लगा। इसके अलावा भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों का 52.7 प्रतिशत तेल खाड़ी देशों से ही आयात करता है। वर्तमान वैश्विक माहौल में रूस से तेल आयात में तमाम मुश्किलें पेश आ रही हैं ऐसे में भारत खाड़ी देशों को कैसे नाराज कर सकता है।
यही नहीं इस विवाद के बाद खाड़ी देशों के साथ भारत का व्यापार भी चर्चाओं के केंद्र में आ गया है। खाड़ी देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार पर नजर डाली जाए तो भारत सऊदी अरब और क़तर जैसे खाड़ी देशों से बड़े पैमाने पर कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस का आयात करता है। वहीं इन देशों को मोती, कीमती पत्थर, धातु, नकली गहने, विद्युत मशीनरी, लोहा और इस्पात एवं रसायन का निर्यात करता है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत और खाड़ी सहयोग परिषद के सभी छह सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में उछलकर 154.73 अरब डॉलर का हो गया। 2020-21 में यह 87.4 अरब डॉलर का था। जीसीसी को भारत का निर्यात 2021-22 में 58.26 प्रतिशत बढ़कर लगभग 44 अरब डॉलर हो गया है। वहीं इन देशों का भारत के कुल निर्यात में हिस्सा बढ़कर 2021-22 में 10.4 प्रतिशत हो गया है।
व्यापारिक दृष्टि से भारत और जीसीसी के बीच संबंधों पर नजर डाली जाये तो कुछ इस तरह की तस्वीर उभर कर आती है-
1. सऊदी अरब बीते वित्त वर्ष में भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा। 2021-22 में दोनों देशों की बीच व्यापार बढ़कर 43 अरब डॉलर का हो गया।
2. क़तर से प्रतिवर्ष 85 लाख टन प्राकृतिक गैस का आयात होता है। बदले में क़तर को अनाज से लेकर मांस, मछली, रसायन और प्लास्टिक का निर्यात होता है। दोनों देशों के बीच 2021-22 में व्यापार बढ़कर 15 अरब डॉलर पर रहा।
3. कुवैत बीते वित्त वर्ष में भारत का 27वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार रहा। कुवैत और भारत में द्विपक्षीय लेन-देन बीते वित्त वर्ष में बढ़कर 12.3 अरब डॉलर का रहा।
4. यूएई वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का तीसरा सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार रहा। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार 2021-22 में बढ़कर 72.9 अरब डॉलर का हो गया।
5. ओमान 2021-22 में भारत का 31वां सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार देश रहा। इस देश के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में बढ़कर लगभग 10 अरब डॉलर हो गया है।
6. बहरीन और भारत के बीच 2021-22 में 1.65 अरब डॉलर का कारोबार हुआ।
7. इसके अलावा भारत ने एक और खाड़ी देश ईरान के साथ बीते वित्त वर्ष में 1.9 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार किया।
तो इस प्रकार आपने देखा कि खाड़ी देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध कितने प्रगाढ़ हैं साथ ही आपने जाना कि कितनी बड़ी संख्या में भारतीय लोग खाड़ी देशों में नौकरी करते हैं। ऐसे में इस ओर भारत सरकार को ध्यान तत्काल देना ही था। अगर खाड़ी देशों में काम कर रहे लोगों को नौकरी से निकालने का दौर शुरू हो जाता या भारत से निर्यात होकर जो वस्तुएं खाड़ी देशों में भेजी गयी थीं वह लौटाई जाने लगतीं तब स्थिति को संभालना और मुश्किल हो जाता। वैसे खाड़ी देशों ने भी जिस तरह एकदम से और एक जैसी प्रतिक्रिया दी वह दर्शाता है कि आज भी इन देशों में भारत विरोधी लॉबी मजबूत है जोकि मौका मिलते ही अपने अभियान को आगे बढ़ाने में लग जाती है।
बहरहाल, भाजपा ने विवादित बयान देने वाले नेताओं के बयानों से किनारा करते हुए कहा है कि वह सभी धर्मों का सम्मान करती है और उसे किसी भी धर्म के पूजनीय लोगों का अपमान स्वीकार्य नहीं है। इसके अलावा कूटनीतिक विवाद को शांत करने की कोशिश करते हुए विभिन्न देशों में भारतीय राजदूतों ने भी स्पष्ट किया है कि ‘‘ट्वीट किसी भी तरह से भारत सरकार के विचारों को नहीं दर्शाते। ये संकीर्ण सोच वाले तत्वों के विचार हैं।’’ जहां तक ओआईसी के बयान की बात है तो भारत ने इस्लामिक देशों के संगठन (आईओसी) की टिप्पणियों को ‘संकीर्ण सोच वाला, प्रेरित, भ्रमित और शरारतपूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया है। देखा जाये तो इस विवाद ने भारत के लिए एक बड़ा सबक भी दिया है। सरकार को चाहिए कि संकीर्ण सोच वाले तत्व यदि फिर कोई विवादित बयान दें तो उन पर तत्काल सख्त कार्रवाई की जाये और भाजपा को भी चाहिए कि वह अपने नेताओं और प्रवक्ताओं को संयम से अपनी बात रखने की सलाह दे।
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