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भोजपुरी के प्रथम उपन्यास ‘बिंदिया’ के लेखक श्रद्धेय रामनाथ पांडेय जी के आज 98 वीं जयंती हs!

भोजपुरी के प्रथम उपन्यास ‘बिंदिया’ के लेखक श्रद्धेय रामनाथ पांडेय जी के आज 98 वीं जयंती हs!

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भोजपुरी भाषा साहित्य के शिखर पुरुष आ भोजपुरी के प्रथम उपन्यास ‘बिंदिया’ के लेखक श्रद्धेय रामनाथ पांडेय जी के आज 98 वीं जयंती हs! उहाँ के जन्म आजु के दिन 08 जून 1924 के भइल रहे! होनहार विरवान के होत चिकने पात! साचहूँ, इहे सत्य रहे आ एकर वास्तविक झलक उहाँ के भोजपुरी भाषा साहित्य प्रेम का रूप में देखे के मिलल!उपन्यास लेखन का क्रम में एगो उपन्यास उहाँ का लिखनी, ” महेन्दर मिसिर “! ई उपन्यास भोजपुरी भाषा साहित्य खातीर एगो मील के पत्थर बा! काहेकि एह उपन्यास का माध्यम से ” पुरान चाउर पथ होला ” के चरितार्थ करत, पुरखा पूरनिया के अस्मिता के रक्षा करे के भरपूर प्रयास भइल बा !

उपन्यास लिखल त कठिन हइए ह , ऐतिहासिक उपन्यास लिखल आउर कठिन। सामाजिक उपन्यास लिखे के होखे , त कल्पना के पाँख लगा के काम बना ली । जेतना चाहीं पन्ना रंग ली । ऐतिहासिक , उहो व्यक्तिपरक उपन्यास लिखल बड़ा कठिन काम ह। एह में यथार्थे के आस -पास चक्कर काटे के पड़ेला – कल्पना के सहारा के कमें गुंजाइश रहेला ।
पांडेय जी के एह पोथी के महत्व ऐहू से बढ़ जाता कि इहां के ई उपन्यास लिखे में यथार्थ के साथ पूरा न्याय कइले बानी! सामाजिक उपन्यास से अलग हटके पाण्डेय जी एकर सर्जना 1994 में कइनी , जवन भोजपुरी के जीवंत गीतकार, पूर्वी के विधा के बेताज़ बादशाह महेन्दर मिसिर के जीवन दर्शन के एगो अनुपम कृति बा! मिसिर जी के रसिक मिज़ाज़ी आ नोट छापे के धंधा से जुड़ल किवदनती आ भ्रान्ति के तोड़त उहाँ के एगो स्वतंत्रता सेनानी के रूप में प्रतिष्ठित करेके गरज से एह उपन्यास के रचना कइनी जवना के पूर्ण आधिकारिक पात्र मिसिर जी रहनी!जवना तरह से जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के तथाकथित इतिहासकार लोग, प्रथम पंक्ति के स्वतंत्रता सेनानी का संगे भेद भाव कइलस, ठीक ओसहीं भोजपुरी साहित्यकार लोग भी महेन्दर मिसिर जी संगे भी कइलस! बाकिर एकर क्षतिपूर्ति श्रद्धेय पाण्डेय जी ” महेन्दर मिसिर ” उपन्यास लिख के पूरा कर दिहलीं!

अन्त में, एह उपन्यास के लेखक श्रद्धेय रामनाथ पाण्डेय जी के सुपुत्र आ “सारण भोजपुरिया समाज “के संस्थापक श्री विमलेन्दु भूषण पाण्डेय जी हार्दिक बधाई बा कि उहाँ का अपना पिताजी के साहित्यिक विरासत के सम्हलले बानी आ भोजपुरी भाषा साहित्य के संरक्षण आ संवर्धन में आपन पूर्ण योगदान दे रहल बानी!! संगे संगे उहाँ के जयंती भी खूब विधिवत मना रहल बानी! हार्दिक बधाई आ शुभकामना बा “!

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