मानव के मुक्ति का एक मात्र मार्ग श्री कृष्ण नाम का जाप है
श्रीनारद मीडिया, एम सावर्ण, भगवानपुर हाट, सिवान (बिहार):
सीवान जिले के भगवानपुर हाट प्रखण्ड के सोनबरसा में हनुमत प्राणप्रतिष्ठा सह शतचंडी महायज्ञ में बुधवार को भागवत कथा में श्री कृष्ण प्रणामी धर्म श्री निजानन्द सम्प्रदाय के संत श्री गोविन्द जी महाराज ने अजामील की कथा ,भक्त प्रहलाद की कथा ,एवम राजा बली की कथा सुनाई ।
गोविन्द जी महाराज ने कहा की कोई भी मनुष्य जाति से नही कर्म से महान बनता है । चाहे वह अजामील ब्राह्मण हो या भक्त प्रह्लाद ।अगर समय रहते ही शरीर के रोगी होने एवम मृत्यु से पहले ही अपने किये हुए अशुभ पाप कर्मों का प्रायश्चित नही कर लिया जाए तो नरक की प्राप्ति निश्चित है । अजामील ब्राह्मण कुल में जन्म लिया लेकिन उसने अपने माता पिता स्त्री पुत्र सबका त्याग कर कुलटा नारी के मोहजाल में फस गया जो अत्यंत निंदनीय पाप कर्म है ।
इस पाप कर्म के फलस्वरूप मृत्यु के समय यमदूत यम फास में डालने लगें लेकिन अंत समय मे उसने अपने पुत्र के बहाने अपनी रक्षा हेतु भगवान नाम का जाप कर लिया । जिसके फलस्वरूप भगवान के पार्षदों ने उसे यमदूतों से बचा लिया ।तब अजामील ने भगवान के नाम का महत्व समझा और उसी समय वह विषयो से विरक्त हो गया और कुलटा स्त्री का त्यागकर तीर्थो में जाकर बचे हुए उम्र भगवान की भक्ति कर अपने पापो का प्रायश्चित किया और भगवान को प्राप्त कर लिया ।
गोविन्द जी महाराज ने कहा की भगवान नाम की महिमा आपार है जो मनुष्य अजामील की तरह अपने पापों का प्रायश्चित कर सोते जगते चलते फिरते उठते बैठते श्री कृष्ण नाम का जप करता हैं वह अपने हजारों जन्मों के पापो से को भष्म कर असत्य और सत्य से परे श्री कृष्ण के परमधाम को प्राप्त कर लेता है ।
समस्त जप तप पूजा पाठ व्रत उपवास तीर्थो का सेवन इन सबका सार तत्व श्री कृष्ण ही है । श्री कृष्ण से परे कुछ भी नही है । सभी ब्रह्मात्माओं के स्वामी श्री कृष्ण ही है ।इसलिये आत्मकल्याण चाहने वाले मनुष्यो को सदा ही पाप कर्मों से दूर रहना चाहिये क्योकि पाप मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु हैं।और श्री कृष्ण नाम ही मुक्ति का मार्ग हैं ।
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