उत्तर प्रदेश के विधायकों का वोट वैल्यू भारत में सबसे अधिक, सिक्किम का सबसे कम
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत में राष्ट्रपति चुनाव के लिए सोमवार 18 जुलाई को निर्वाचित विधायक और सांसद (लोकसभा और राज्यसभा) मतदान करेंगे. जनसंख्या के लिहाज से से उत्तर प्रदेश के विधायकों का मत मूल्य सबसे अधिक होगा. वहीं, सिक्किम के विधायकों का मत मूल्य सबसे कम होगा. वहीं, अगर सांसदों के मत मूल्य की बात करें, तो उनके मत का मूल्य विधायकों से कहीं अधिक 700 होता है.
उत्तर प्रदेश के विधायकों के मतों का मूल्य 208
एक रिपोर्ट के अनुसार, किसी विधायक का मत मूल्य 1971 की जनगणना के अनुसार उस राज्य की कुल आबादी के आधार पर गिना जाता है. उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से प्रत्येक का मत मूल्य 208 है यानी उनका कुल मूल्य 83,824 है. तमिलनाडु और झारखंड के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य 176 है. इसके बाद महाराष्ट्र का 175, बिहार का 173 और आंध्र प्रदेश के हरेक विधायक का मत मूल्य 159 है. वहीं, छोटे राज्यों में सिक्किम के प्रत्येक विधायक का मत मूल्य सात है. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम का मत मूल्य आठ-आठ, नगालैंड का नौ, मेघालय का 17, मणिपुर का 18 और गोवा का मत मूल्य 20 है. केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी के एक विधायक का मत मूल्य 16 है.
विधानसभाओं का मत मूल्य
रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश की विधानसभा का कुल मत मूल्य 83,824 है. तमिलनाडु की 234 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 41,184 है और झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 14,256 है. महाराष्ट्र विधानसभा के 288 विधायकों का मत मूल्य 50,400 है और बिहार विधानसभा के 243 सदस्यों का मत मूल्य 42,039 है. वहीं, 175 सदस्यीय आंध्र प्रदेश विधानसभा का कुल मत मूल्य 27,825 है. छोटे राज्यों में सिक्किम में 72 सदस्यीय विधानसभा का कुल मत मूल्य 224, मिजोरम विधानसभा में 40 सदस्यों का मत मूल्य 320, अरुणाचल प्रदेश के 60 विधायकों का मत मूल्य 480, नगालैंड के 60 सदस्यों का मत मूल्य 540, मेघालय के 60 सदस्यों का मत मूल्य 1,020, मणिपुर विधानसभा के 60 सदस्यों का मत मूल्य 1,080 और 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा का मत मूल्य 800 है.
सांसदों के मत मूल्य में कटौती
रिपोर्ट के अनुसार, संसद के एक सदस्य का मत मूल्य 708 से घटाकर 700 कर दिया गया है, क्योंकि जम्मू कश्मीर में अभी कोई विधानसभा नहीं है. राष्ट्रपति चुनाव में किसी सांसद का मत मूल्य राज्य विधानसभाओं और दिल्ली, पुडुचेरी तथा जम्मू कश्मीर समेत केंद्र शासित प्रदेशों में निर्वाचित सदस्यों की संख्या के आधार पर तय होता है. राष्ट्रपति चुनाव के निर्वाचन मंडल में लोकसभा, राज्यसभा के सदस्य तथा राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के सदस्य शामिल होते हैं. अगस्त 2019 में लद्दाख और जम्मू कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने से पहले जम्मू-कश्मीर राज्य विधानसभा की 83 सीटें थीं. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून के अनुसार, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख पर केंद्र सरकार का शासन होगा.
भारत में 18 जुलाई 2022 दिन सोमवार को राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए मतदान होगा. देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की ओर से झारखंड की पहली महिला पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं, करीब 17 राजनीतिक दलों वाले विपक्ष की ओर से पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को साझा उम्मीदवार तय किया गया है.
झारखंड की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का समर्थन मिल जाने के बाद द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने वाले दलों की वोट हिस्सेदारी करीब 75 फीसदी के पार पहुंच गई है. इसी के साथ, इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में उनकी जीत पक्की मानी जा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि द्रौपदी मुर्मू अगर राष्ट्रपति के इस चुनाव में जीत दर्ज कर लेती हैं, तो उनके नाम कम से तीन रिकॉर्ड दर्ज हो जाएंगे. हालांकि, इससे पहले उनके नाम झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का रिकॉर्ड दर्ज है.
द्रौपदी मुर्मू के नाम दर्ज होगा ये तीन रिकॉर्ड
ओडिशा के सबसे पिछले जिले मयूरभंज से निकलकर भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू अगर यह चुनाव जीतकर राष्ट्रपति बन जाती हैं, तो उनके नाम तीन रिकॉर्ड दर्ज होगा. पहला यह वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला राजनीतिज्ञ होंगी. इसके साथ ही उनके नाम दूसरी उपलब्धि आजादी के बाद जन्म लेने वाले राजनेताओं में से पहली राष्ट्रपति बनने की होगी और तीसरा रिकॉर्ड सबसे युवा महिला राष्ट्रपति बनने का होगा.
द्रौपदी मुर्मू की वोट हिस्सेदारी 75 फीसदी के पार
बता दें कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को राष्ट्रपति पद की एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को अपनी पार्टी के समर्थन की घोषणा की. आदिवासी समुदाय से आने वाली मुर्मू के लिए समर्थन बढ़ता जा रहा है. वहीं, यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाने वाले विपक्ष में नए सिरे से विभाजन नजर आ रहा है. इससे द्रौपदी मुर्मू का पलड़ा भारी होता दिखाई दे रहा है. अनुमान यह लगाया जा रहा है कि झारखंड से झामुमो का समर्थन मिल जाने के बाद राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने वाले दलों की वोट हिस्सेदारी 75 फीसदी के पार पहुंच गई है.
झारखंड की पहली महिला राज्यपाल का रिकॉर्ड कर चुकी हैं दर्ज
बता दें कि आगामी 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू जीत हासिल करती हैं, तो वह भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति होंगी. वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनी थीं. यह उनके सार्वजनिक जीवन का एक रिकॉर्ड है. एक महिला राज्यपाल के तौर पर उन्होंने वर्ष 2015 से लेकर 2021 तक कार्य किया. द्रौपदी मुर्मू 2013 से 2015 तक भाजपा के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य रह चुकी हैं. इसके बाद वर्ष 2010 और 2013 में मयूरभंज (पश्चिम) के भाजपा जिला प्रमुख के रूप में कार्य किया. वर्ष 2006 और 2009 के बीच वह ओडिशा में भाजपा के एसटी मोर्चा की प्रमुख थीं. वह 2002 से 2009 तक भाजपा एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य रहीं.
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