कायाकल्प योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए प्रशिक्षण शिविर का आयोजन
यूनिसेफ़ (वॉश) के प्रशिक्षकों द्वारा जिले के सभी एमओआईसी सहित कई अन्य अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण:
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की होती हैं अस्पताल को संवारने की जिम्मेदारी: सुधाकर
विभिन्न तरह के मापदंडों के आधार पर अंकों का किया जाता है निर्धारण: राजेश नल्लामुथु
कायाकल्प योजनाओं में तीन सौ मापदंडों के आधार पर 70 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य: आरपीएम
श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):
स्वास्थ्य केंद्रों में सभी तरह की सुखसुविधा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से कायाकल्प योजना की शुरूआत 15 मई 2015 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा की गई थी। जिले या राज्य सहित देश के उन तमाम स्वास्थ्य केंद्रों और जन स्वास्थ्य सुविधाओं को विशिष्ट मानकों की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग जुटा हुआ है। इसी योजना को जिले के सभी अस्पतालों में धरातल पर उतारने को लेकर जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक, बीएचएम एवं स्टाफ़ नर्स को प्रशिक्षित करने के उद्देश्य से प्रशिक्षण शिविर का आयोजन राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित एएनएम स्कूल में किया गया। इस अवसर पर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमूल होदा, ज़िला सलाहकार गुणवत्ता यक़ीन पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार शर्मा, डीएचएस की ओर से डीपीसी निशि श्रीवास्तव, स्थानीय यूनिसेफ़ की ओर से नंदन कुमार झा एवं तनुज सौरभ, राज्य मुख्यालय से आए यूनिसेफ़ (वॉश) की ओर से प्रशिक्षक के रूप में सुधाकर रेड्डी एवं राजेश नल्लामुथु सहित स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी उपस्थित थे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की होती हैं अस्पताल को संवारने की जिम्मेदारी: सुधाकर
यूनिसेफ़ (वॉश) के सुधाकर रेड्डी ने बताया कि राज्य के सभी स्वास्थ्य केंद्रों में बेहतर सुविधाएं एवं रखरखाव सहित कई अन्य तरह की सेवाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सरकार की ओर से कायाकल्प योजना की शुरुआत की गई है। जिसके तहत अब जिले ही नहीं बल्कि राज्य व देश के अस्पताल संवरने लगे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में साफ-सफाई और संक्रमण रोकने के लिए किए गए प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए कायाकल्प योजना की शुरुआत की गई थी। इस योजना के तहत साफ-सफाई सहित अस्पताल में मरीजों को मिलने वाली अन्य मूलभूत सुविधाओं का ख्याल रखा जाना है ताकि मरीजों को बेहतर प्रबंधन के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिल सके और मरीजों को किसी प्रकार के परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।
विभिन्न तरह के मापदंडों के आधार पर अंकों का किया जाता है निर्धारण: राजेश नल्लामुथु
यूनिसेफ़ (वॉश) की ओर से प्रशिक्षक राजेश नल्लामुथु ने बताया कि कायाकल्प योजना के तहत स्वास्थ्य केंद्रों एवं अस्पतालों में सुविधाओं के आधार पर लगभग 250 बिदुओं पर जांच की जाती है। इनमें सात बिंदु प्रमुख होते हैं, जिसमें मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं, साफ़-सफाई, प्रबंधन, सामाजिक कार्य, मरीजों का भोजन, सैनिटेशन, हाइजीन, वेस्ट मैनेजमेंट, सपोर्ट सर्विस, इंफेक्शन कंट्रोल, हाइजीन प्रमोशन, चहारदीवारी, औषधीय गुण वाला बगीचा सहित कई अन्य बिन्दुओं पर जांच की जाती है। इन्हीं मापदंडों के आधार पर खड़ा उतरने वाले अस्पताल को अंकों का निर्धारण किया जाता हैं। इस योजना को सफल बनाने के लिए केयर इंडिया एवं यूनिसेफ़ की टीम भी सहयोग करती है।
कायाकल्प योजनाओं में तीन सौ मापदंडों के आधार पर 70 प्रतिशत अंक लाना अनिवार्य: आरपीएम
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमूल होदा ने बताया कि कायाकल्प योजनाओं को लागू होने से पहले लगभग 400 सौ मापदंडों को पूरा करना होता है। इन्ही बिंदुओं के आधार पर स्वास्थ्य केंद्रों को 800 अंक दिए जाते हैं। इसके साथ ही 70 प्रतिशत अंक लाने के बाद ही सरकार की ओर से धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। इस राशि की उपयोगिता अस्पताल की स्वच्छता, अस्पताल से निकलने वाले कचरे का सही इंतजाम, अस्पताल के फूलों की क्यारी एवं बिजली सहित कई अन्य में अस्पताल प्रशासन के द्वारा खर्च की जाती है। सभी तरह के मरीजों को उचित प्रबंधन के साथ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कायाकल्प योजना लाई गई है। इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के साथ ही स्वास्थ्य संस्थानों के संचालन में भी पहले से बेहतर साकरात्मक बदलाव किया जाता हैं। इस योजना से न सिर्फ मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलती हैं बल्कि समुचित व्यवस्थायें भी दी मुहैया कराई जाती हैं।
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