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माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

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माहवारी स्वच्छता को लेकर खुल कर बात करने एवं लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता: आरपीएम
विद्यालयों में यौन शिक्षा को स्वच्छता से जोड़कर बातचीत करनी चाहिए: अमृता

श्रीनारद मीडिया, पूर्णिया, (बिहार):


स्वास्थ्य विभाग, यूनिसेफ़ एवं नव अस्तित्व फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में किशोरियों एवं महिलाओं के बीच माहवारी से संबंधित जानकारी देने के उद्देश्य से माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को लेकर स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से एमएचएम एक्शन प्लान को सभी विभागों के द्वारा रोल आउट प्लान करना है जिसमें आज स्वास्थ्य विभाग के साथ पहला प्रशिक्षण सह बैठक आयोजित की गई।

ज़िले के तत्कालीन जिलाधिकारी राहुल कुमार द्वारा पूर्व के बैठक में कहा गया था कि ज़िलें के सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर माहवारी स्वच्छता प्रबंधन की जानकारी दी जाए। जिसके आलोक में एमएचएम एक्शन प्लान के रोल आउट के तहत राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय सह अस्पताल परिसर स्थित एएनएम स्कूल के सभागार में कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

इस अवसर पर क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमूल होदा, जिला कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार सिंह, डीसीएम संजय कुमार दिनकर, नव अस्तित्व फाउंडेशन की संस्थापिका अमृता सिंह, पल्लवी सिन्हा, जिला समन्यवक श्रीप्रकाश ठाकुर, प्रखंड समन्वयक नूतन साह सहित जिले के सभी एमओआईसी, बीएचएम एवं बीसीएम उपस्थित थे।

 

माहवारी स्वच्छता को लेकर खुल कर बात करने एवं लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता: आरपीएम
क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधक नजमूल होदा ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में नित्य नए-नए प्रयोगों के माध्यम से लोगों को स्वस्थ रखने की कोशिश की जा रही है। देश निरंतर विकास के पथ पर अग्रसर हो रहा है। लेकिन समुदायों में अभी भी माहवारी स्वच्छता को लेकर चुप्पी बरकरार है। इस दिशा में माहवारी स्वच्छता पर खुल कर बात करने एवं लोगों को इसके संबंध में जागरूक करने के लिए माहवारी स्वच्छता से संबंधित कार्यक्रमों का आयोजन कर जागरूकता अभियान चलाया जाता है। माहवारी स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए किशोरियों एवं महिलाओं को सेनेटरी पैड इस्तेमाल करने को लेकर जागरूक भी किया जाता है। जिले के सभी एमओआईसी, बीएचएम एवं बीसीएम को प्रक्षिशित किया गया है। ताकि इनलोगों के माध्यम से जिले के सभी आशा एवं एएनएम के बीच माहवारी प्रबंधन से संबंधित जानकारी देने का लक्ष्य पूरा किया जा सके। किशोरी एवं महिलाएं माहवारी स्वच्छता पर बात करने में बहुत संकोच करती हैं। बहुत-सी किशोरियां इस दौरान अपने स्कूल नहीं जा पाती हैं। अभी भी लोग इस प्राकृतिक प्रक्रियाओं के बारे में गलत अवधारणा रख हुए हैं। हमारे परिवार में भी इस बारे में कोई बातचीत नहीं की जाती है।

 

विद्यालयों में यौन शिक्षा को स्वच्छता से जोड़कर बातचीत करनी चाहिए: अमृता एवं पल्लवी
नव अस्तित्व फाउंडेशन की संस्थापिका अमृता सिंह एवं पल्लवी सिन्हा ने संयुक्त रूप से कहा कि एनएफएचएस की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 58 प्रतिशत महिलाएं ही माहवारी प्रबंधन के लिए स्वच्छ साधनों का उपयोग कर पाती हैं। कई ऐसे परिवार हैं जो घर की युवतियों को माहवारी चक्र के दौरान अलग रहने पर मजबूर करते हैं। रसोई या मंदिर जाने पर पूर्णतया पाबंदी लगा दी जाती है। परिवार के पुरुषों को इस विषय से संबंधित बातचीत नहीं करने की हिदायत भी दी जाती है। जो कि हिंसा एवं भेदभाव का एक प्रकार है। आवश्यकता है कि इस संबंध में घर की किशोरियों से बातचीत कर उन्हें सही मार्गदर्शन दिया जाए। विद्यालयों में भी इस विषय को यौन शिक्षा और स्वच्छता से जोड़कर बातचीत करनी चाहिए। मासिक धर्म को लेकर जागरूकता बहुत ज़्यादा जरूरी है। प्रशिक्षण के दौरान माहवारी पर शपथ ग्रहण भी किया गया।

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