Breaking

 विश्व हेपेटाइटिस दिवस : कोविड-19 संक्रमण वायरस से अधिक गंभीर होता है हेपेटाइटिस बी का संक्रमण

विश्व हेपेटाइटिस दिवस : कोविड-19 संक्रमण वायरस से अधिक गंभीर होता है हेपेटाइटिस बी का संक्रमण

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

संक्रमित मां से उसके बच्चे में वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना अधिक: सिविल सर्जन
संक्रमण से फ़ैलने वाली बीमारियों में हेपेटाइटिस सबसे अधिक गंभीर: डीपीएम

श्रीनारद मीडिया, कटिहार, (बिहार):

हेपेटाइटिस सबसे पहले ह्रदय को प्रभावित करता है। उसके बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम कर देता है। जिस कारण लिवर सिरोसिस, लिवर कैंसर एवं ह्रदयाघात का खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो प्रतिवर्ष पूरे विश्व में लगभग 9 से 10 लाख लोगों की मौत हेपेटाइटिस “बी” संक्रमण के कारण होती है। यह बीमारी नियत समय पर हेपेटाइटिस का टीकाकरण नहीं कराने एवं लोगों को इसके संबंध में जागरूकता की कमीं से हो रहा है।

संक्रमित मां से उसके बच्चे में वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना अधिक: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ डीएन पाण्डेय ने बताया कि नवजात शिशुओं का जब जन्म होता है, तो उस समय संक्रमित मां से उसके बच्चे में वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना अधिक रहती है। हेपेटाइटिस बी वायरस के लक्षण प्रकट होने से पहले छः महीने तक शरीर में निष्क्रिय रह सकता है। जिस कारण अत्यधिक थकान, भूख का नहीं लगना, पीलिया, लिवर एरिया में दर्द, मतली और उल्टी आदि होती है। इसलिए जल्द से जल्द हेपेटाइटिस की जांच अनिवार्य रूप से करवानी चाहिए। वहीं हेपेटाइटिस सी वायरस संक्रमित खून के संपर्क में आने से फैलता है। यह खून ट्रांसफ्यूजन और दूसरे प्रोडक्ट्स/प्रोसेस के माध्यम से होता है। हेपेटाइटिस सी संक्रमण का कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता है। इसीलिए इसका उपचार करना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है। जिस कारण संक्रमण से लिवर खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। उसके बाद लिवर सिरोसिस नामक बीमारी हो जाती है। हेपेटाइटिस डी आमतौर पर हेपेटाइटिस बी से संक्रमित होने वाले मरीजों में होता है। हेपेटाइटिस ई वायरस मुख्य रूप से दूषित पानी पीने या आसपास दूषित पानी फैले होने के कारण फैलता है।

संक्रमण से फ़ैलने वाली बीमारियों में हेपेटाइटिस सबसे अधिक गंभीर: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम डॉ किशलय कुमार ने बताया कि विश्व के लोगों के बीच जागरूकता लाने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस बी दिवस मनाया जाता है। इसका टीका नवजात शिशुओं के जन्म के समय ही नियमित रूप से सभी टीकाकरण केंद्रों पर लगाया जाता हैं। हेपेटाइटिस बी का संक्रमण सबसे ज्यादा प्रसूता से नवजात शिशुओं में फैलता है। हेपेटाइटिस का संक्रमण खून चढ़ाने, इस्तेमाल की गई सुई का प्रयोग, दाढ़ी बनाने वाले रेजर, दूसरे के टूथब्रश का इस्तेमाल करने, असुरक्षित यौन संबंध, टैटू बनवाने, नाक-कान छिदवाने से होता है। स्वास्थ्य विभाग एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं के अलावा स्वास्थ्य विभाग के लिए सामाजिक स्तर पर कार्य करने वाली गैर सरकारी संस्थानों द्वारा भी इसको लेकर समय-समय पर बैनर, पोस्टर या अन्य गतिविधियों के द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाता है। ताकि इस बीमारी के संबंध में सभी को जानकारी मिल सके।

 

हेपेटाइटिस जैसी बीमारी से बचाव के तरीके
– सुरक्षित यौन संबंध।
– रक्त चढ़ाने के पूर्व रक्त की जांच जरूरी।
– स्टरलाइज़्ड सुई व सिरिंज का प्रयोग।
– सुरक्षित रक्त चढ़वाना।
– गर्भवती महिला को संक्रमण होने पर इलाज ज़रूरी।
– टैटू के लिए नई सुई का प्रयोग।
– खाना बनाने व खाने से पहले हाथ धोएं।
– स्वच्छ व ताज़ा भोजन खाएं।
– शौच के बाद हाथों को स्वच्छ पानी एवं साबुन से अच्छी तरह धोएं।

यह भी पढ़े

हाईकोर्ट ने दुष्कर्म पीड़ित के ममाले में पिता की उम्रकैद की सजा रखी बरकरार.

भोला यादव की डायरी से लालू परिवार के खुलेंगे कई बड़े राज,कैसे?

वाराणसी में सरकारी पोखरे व स्कूल की जमीन पर कब्जे की शिकायत

गोपालगंज में पिता ने बेटी की हत्या कर दफनाया, पुलिस ने कब्र खोदकर शव को निकलवाया 

Leave a Reply

error: Content is protected !!